राजस्थान की 700 साल पुरानी फड़कला और मेवाड़ के क्रांतिकारियों की कहानी को पूरा देश देखेगा। 26 जनवरी को भीलवाड़ा की फड़कला का प्रदर्शन राजपथ के मुख्य मंच पर हाेने वाला है। 120 फीट लंबी और 6 फीट चौड़ी फड़ का 15 दिन तक प्रदर्शन किया जाएगा।
इस चित्रकला को पहचान दिलवाने वाले भीलवाड़ा के कल्याण जोशी ने बताया कि राजपथ के मुख्य मंच के आमने-सामने की दीवारों पर 2-2 किलोमीटर की चित्रकलाओं काे लगाया जाएगा। फड़ में स्वतंत्रता संग्राम में भूमिका निभाने वाले क्रांतिकारियों की कहानियों को बताया गया है।
10 कलाकारों ने तैयार की है 120 फीट लंबी फड़। राजपथ पर इसकी 15 दिन तक प्रदर्शनी होगी।
फड़ चित्रकलाकार कल्याण जोशी ने बताया कि फड़ को भीलवाड़ा के 10 कलाकारों द्वारा चंडीगढ़ में 10 दिन में तैयार किया है। फड़ में किसान आंदोलन के नायक विजय सिंह पथिक, केशरीसिंह बारहठ की कहानियां को दर्शाया गया है। उन्होंने बताया कि यह पहला मौका है, जब राजपथ पर मेवाड़ के क्रांतिकारियों की कहानियों को पूरा देश निहारेगा।
किसान आंदोलन के क्रांतिकारियों की कहानी है इस फड़ में। 1969 में राजस्थान के भीलवाड़ा में जन्मे कल्याण जोशी 13 वीं शताब्दी के फड़ चित्रकारों के वंश से आते हैं।
चोचू भाट ने सबसे पहले उनकी फड़ पेंटिंग बनाई
बताया जाता है कि लोक देवता देवनारायण के भक्त चोचू भाट ने सबसे पहले उनकी फड़ पेंटिंग बनाई। इससे प्रसन्न होकर देवनारायण ने जोशी जाति के लोगों को फड़ चित्रकला बनाने के लिए अधिकृत किया। तब से जोशी परिवार फड़ चित्रकला बना रहा है।
जोशी परिवार जो 16वीं शताब्दी तक भीलवाड़ा के आसपास रहता था, बाद में शाहपुरा पलायन कर गया और 19वीं शताब्दी में पुन: भीलवाड़ा आ बसा। यहां बड़े स्तर पर यह कला सीखी और सिखाई जाती है। 1969 में राजस्थान के भीलवाड़ा में जन्मे कल्याण जोशी 13 वीं शताब्दी के फड़ चित्रकारों के वंश से आते हैं। इनके पिता पद्मश्री लाल जोशी के मार्गदर्शन में वे 8 वर्ष की उम्र से पेंटिंग कर रहे हैं।