बीते कुछ साल डिजिटल कनेक्टिविटी के लिहाज से बहुत ही महत्वपूर्ण रहे हैं। बीते दशक में दुनिया 2G से 3G और 3G से 4G हुई। की-पैड फोन की जगह सेमी-स्मार्टफोन ने और सेमी-स्मार्टफोन की जगह स्मार्टफोन ने ले ली, लेकिन इन सब के बीच “इनइक्वालिटी इन कनेक्टिविटी” या कनेक्टिविटी में गैर-बराबरी के तौर पर, गैरबराबरी का एक और स्वरूप हमारे सामने आया। वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम (WEF) के एक्सपर्ट के मुताबिक 5G के आने से कनेक्टिविटी में इनइक्वालिटी या गैर-बराबरी कम होगी। इसके लिए विरजोन और WEF संयुक्त तौर पर पहल भी करने की तैयारी में हैं।
क्या है इनइक्वालिटी इन कनेक्टिविटी?
दरअसल दुनिया और हमारे समाज में कई तरह की गैरबराबरी है। अलग-अलग जाति, धर्म, समुदाय और जेंडर के लोगों में कुछ लोग तमाम तरह के अधिकारों और सुविधाओं में आगे होते हैं, तो वहीं कुछ लोग पीछे छूट जाते हैं। यानी बराबरी खत्म हो जाती है , इसे ही सोशल इनइक्वालिटी या सामाजिक गैर-बराबरी कहा जाता है। कनेक्टिविटी में इस तरह के अंतर को “इनइक्वालिटी इन कनेक्टिविटी” कहा जाता है।
'कनेक्टिविटी में इनइक्वालिटी' के मामले में भारत कहां है?
दुनिया भर में, महिलाओं की तुलना में पुरुषों की इंटरनेट तक पहुंच 20 करोड़ ज्यादा है, साथ ही महिलाओं के पास पुरुषों की तुलना में मोबाइल होने की संभावना 21% कम है। भारत में पांच साल से अधिक उम्र के कुल 45.1 करोड़ लोगों के पास इंटरनेट की सुविधा है। इसमें से पुरुषों की संख्या 25.8 करोड़ है जबकि महिलाओं की संख्या पुरुषों की तुलना में आधी है।
डिजिटल एक्सेस को बढ़ाकर कम की जाएगी कनेक्टिविटी में इनइक्वालिटी
अच्छी खबर यह है कि दुनिया में डिजिटल एक्सेस को बढ़ावा देकर सोशल इनइक्वालिटी कम करने की पहल WEF कर रहा है। यूनाइटेड नेशन (UN) की संस्था, इंटरनेशनल टेली-कम्यूनिकेशन यूनियन के मुताबिक सिर्फ 15 साल में दुनिया की आधी आबादी तक कनेक्टिविटी पहुंच चुकी है, लेकिन इसमें भी भारी इनइक्वालिटी है। मसलन, यूरोप में 80% लोग इंटरनेट एक्सेस करते हैं, जबकि अफ्रीका में 30% से भी कम। जाहिर है, यूरोप के लोग आर्थिक तौर पर जितने ही संपन्न हैं, अफ्रीका के लोग उतने ही गरीब। यानी दुनिया के कुल कनेक्टेड लोगों में गरीबों की संख्या, गैर पढ़े-लिखे लोगों की संख्या और महिलाओं की संख्या कम है। WEF इस दूरी को कम करना चाहता है।
WEF क्यों कर रहा है पहल?
WEF के एक्सपर्ट्स के मुताबिक दुनिया के आर्थिक विकास को गति देने में डिजिटल प्लेटफॉर्म अब सबसे अहम हो चला है। ऐसे में अगर दुनिया के किसी समाज में यदि कनेक्टिविटी में गैर-बराबरी रहेगी तो इसका सीधा असर उस समाज के लोगों के आर्थिक विकास पर पड़ेगा। बाद में यह आर्थिक पिछड़ापन दुनिया में आर्थिक गैर-बराबरी को और भी ज्यादा बढ़ा देगा, जिससे दुनिया पहले से ही जूझ रही है। WEF इसी बात का ध्यान रखते हुए इस पहल की तैयारी में है।
टेक इंडस्ट्री का रोल अहम होगा
WEF के मुताबिक इस पहल में दुनियाभर की टेक इंडस्ट्री का रोल अहम होगा। टेक कंपनियों की मदद से ही गरीब, पिछड़े, असाक्षर और महिलाओं को सस्ते में कनेक्टिविटी उपलब्ध कराई जा सकेगी। इस काम में WEF सरकारों की भी मदद लेगा।