नवंबर 2022: कोलकाता में 21 साल की एक युवती को फ्रेंड की बर्थडे पार्टी में 4 लड़कों ने कोल्ड ड्रिंक में ड्रग्स दे दी। पीड़िता के बेहोश होने के बाद उसका रेप हुआ।
नवंबर 2022: कोच्चि के एक बार में एक मॉडल को राजस्थान के एक परिचित ने इन्वाइट किया। पार्टी में पहुंचे 3 और युवकों ने उसे ड्रिंक पिलाई, फिर चलती SUV में उसके साथ रेप किया गया। मॉडल के मुताबिक ड्रिंक पीने के बाद वह बेसुध हो गई और आरोपियों का विरोध नहीं कर सकी।
जनवरी 2022: जयपुर के G क्लब में दोस्तों के साथ न्यू ईयर का जश्न मनाने गई किशोरी को वहां एक शख्स ने कोल्ड ड्रिंक में ड्रग्स पिला दी। लड़की होश में आई, तो पता चला कि बेहोशी की हालत में उसके साथ गैंगरेप हुआ था।
पार्टी में धोखे से लड़कियों को ड्रिंक में ‘रेप ड्रग्स’ मिलाकर पिला देने की ये घटनाएं आम हैं। पार्टियों का दौर शुरू होते ही ऐसी घटनाएं और बढ़ जाती हैं। इसकी एक बड़ी वजह पार्टी में ड्रग्स का बढ़ता ट्रेंड भी है।
इसी कारण न्यू ईयर से पहले ही गोवा से लेकर दिल्ली तक पुलिस और खुफिया एजेंसियां अलर्ट हैं। नशे के सौदागरों पर शिकंजा कसा जा रहा है, ताकि पार्टी के बहाने बढ़ते ‘ड्रग्स कल्चर’ और रेप जैसी घटनाओं पर रोक लगाई जा सके।
क्लब ड्रग्स, पार्टी ड्रग्स, रेव ड्रग्स जैसे नामों से जाने जाने वाले इन नशीले पदार्थों का चोरी-छुपे इस्तेमाल हाउस पार्टी, कॉलेज पार्टी, रेव पार्टी, बार और नाइट क्लब से लेकर कॉन्सर्ट्स तक में होता है।
इनमें से अधिकतर साइकोएक्टिव ड्रग्स होती हैं। साइकोएक्टिव ड्रग्स को लेते ही ब्रेन पर असर पड़ता है। जिससे मूड, अवेयरनेस, फीलिंग्स और बिहेवियर से लेकर सोचने-समझने का तरीका तेजी से बदल जाता है। गैरकानूनी होने के बावजूद बड़ी संख्या में लड़के-लड़कियां शौक और मजे के लिए मजे के लिए इन ड्रग्स को यूज कर लेते हैं।
आगे बढ़ने से पहले ये जान लेते हैं कि कौन सी ड्रग्स को पार्टी ड्रग्स कहा जाता है और ये किस कदर नुकसानदेह और खतरनाक हैं...
इसी तरह से और भी कई सिंथेटिक ड्रग्स पार्टी ड्रग्स के तौर पर इस्तेमाल की जाती हैं। इन ड्रग्स की तस्करी ही नहीं, बल्कि इन्हें यूज करना भी गैर-कानूनी है और सख्त सजा हो सकती है।
कोल्ड ड्रिंक में मिलाकर ‘डेट रेप ड्रग’ पिला देते हैं अपराधी
GHB यानी गामा-हाइड्रॉक्सीब्यूटाइरेट। इस ड्रग में कोई गंध नहीं होती और न ही कोई रंग होता है। क्रिमिनल माइंड वाले लड़के पार्टी के दौरान चुपके से कोल्ड ड्रिंक में यह ड्रग्स मिलाकर लड़की को पिला देते हैं।
पीते ही सेंट्रल नर्वस सिस्टम पर इसका असर होता है और अचानक से सेक्स ड्राइव बढ़ जाती है। लड़की होश खोने लगती है, उसे चक्कर आने लगते हैं और दृष्टिभ्रम, मतिभ्रम होने लगता है। उसे खुद पर काबू नहीं रहता और असहाय हो जाती है। जिससे पीड़िता रेप का विरोध नहीं कर पाती।
होश में आने के बाद उसे कुछ भी याद नहीं रहता कि बेहोशी की हालत में उसके साथ क्या हुआ है। सेक्शुअल असॉल्ट के लिए यूज होने की वजह से ही GHB को डेट रेप ड्रग कहा जाता है। इसका स्वाद साबुन जैसा या नमकीन हो सकता है। कॉलेज स्टूडेंट्स अक्सर इस ड्रग्स का इस्तेमाल पार्टी के दौरान करते हैं।
मार्केट में रेप ड्रग्स के कोडनेम: GHB को रेप ड्रग, डेट रेप ड्रग, फॉरगेट पिल, G, सर्कल, फॉरगेट-मी पिल, लंच मनी, माइंड इरेजर, रोप, ट्रिप एंड फॉल, मेक्सिकन, लिक्विड एक्सटेसी, लिक्विड एक्स, होम बॉय, सोप, स्कूप, जूस, फैंटेसी, ब्लू नाइट्रो जैसे नामों से जाना जाता है।
GHB बन सकता है कोमा की वजह
GHB की वजह से पीड़िता कोमा में भी जा सकती है। इसके असर से नींद न आने की बीमारी, एंग्जाइटी, पसीना आना, हार्ट रेट और ब्लड प्रेशर बढ़ना, डिप्रेशन, याददाश्त खोना, सिरदर्द, कंफ्यूजन जैसी समस्याएं हो सकती हैं। इस ड्रग के कारण दृष्टिभ्रम, मतिभ्रम और मानसिक बीमारियां हो सकती हैं। GHB में प्रोटीन सिंथेसिस का गुण भी पाया जाता है, इसलिए बॉडी बिल्डर मसल्स बनाने और फैट कम करने के लिए इसे यूज करते हैं। फर्मेंटेशन की वजह से यह ड्रग बहुत हल्की मात्रा में बियर और वाइन में भी पाई जाती है।
पार्टी के दौरान आप किसी ऐसी परिस्थिति में न फंसे, इसके लिए एक्सपर्ट की बातों पर दें ध्यान...
10 में से 8 ड्रग एडिक्ट्स को जानलेवा 'म्याऊं-म्याऊं' की लत
हेरोइन और कोकीन जैसे ड्रग्स ब्लैक मार्केट में बहुत महंगी मिलती हैं। खुफिया एजेंसियों और पुलिस इनके अवैध कारोबार के पीछे पड़ी रहती है। म्याऊं-म्याऊं और MD जैसे नामों से टीनेजर्स और युवाओं के बीच पॉपुलर मेफेड्रोन जैसी सिंथेटिक ड्रग्स का पार्टियों में इस्तेमाल किया जा रहा है।
जर्नल ऑफ मेंटल हेल्थ एंड ह्यूमन बिहेवियर की एक रिपोर्ट के मुताबिक 1 ग्राम कोकीन 10 से 20 हजार रुपए तक में मिलती है, जबकि मेफेड्रोन 150 रुपए प्रति ग्राम मिल जाती है। कोकीन जैसी ड्रग्स स्मगलिंग के जरिए भारत में पहुंचती हैं। वहीं मेफेड्रोन इंडिया में ही केमिकल्स से तैयार होती है। रिपोर्ट्स के मुताबिक मुंबई में 10 में से 8 ड्रग एडिक्ट इसी सस्ते नशे का इस्तेमाल पार्टी ड्रग के तौर पर कर रहे हैं।
मार्केट में मेफेड्रोन के कोडनेम: पकड़े जाने से बचने के लिए तस्कर मेफेड्रोन को 'प्लांट फूड', 'बाथ सॉल्ट' जैसे लेबल लगाकर बेचते हैं। ड्रग यूजर्स मेफेड्रोन को ड्रोन, वाइट मैजिक, एम कैट, हैमर, रश और बबल भी कहते हैं।
मेंटल डिसऑर्डर का कारण है यह ड्रग्स, कई देशों में बैन
इजराइल ने मेफेड्रोन पर 2008 में, ब्रिटेन ने 2010 में, अमेरिका ने 2011 में और इंडिया ने 2015 में इस पर बैन लगा दिया था। इसकी लत कई तरह के मेंटल डिसऑर्डर्स की वजह है।
इसके असर के चलते व्यक्ति अजीब बातें सोचने लगता है। उसे ख्याल आने लगते हैं कि सरकार उसे मारना चाहती है, कोई उसे बर्बाद करना चाहता है, उसका पीछा किया जा रहा है। वह इन बातों को वहम मानने से इंकार कर देता है। उसे पैनिक अटैक, आत्महत्या और हत्या करने के ख्याल भी आने लगते हैं। उसकी याददाश्त पर बुरा असर पड़ता है। काम पर ध्यान नहीं लगा पाता। यह पार्टी ड्रग हाईपरटेंशन, चेस्ट पेन, हाईपरथर्मिया, धुंधला दिखाई देने, उल्टी, वेट लॉस, एनोरेक्सिया, कार्डिएक अरेस्ट के साथ ही मौत की वजह भी बन सकती है।
आपके आसपास किसी ने ड्रग्स का सेवन किया है, इसका पता लगाने के लिए इन लक्षणों पर दें ध्यान...
मॉली ड्रग्स से सेक्शुअली फैलने वाली बीमारियों का खतरा ज्यादा
डाइट पिल यानी भूख मारने की दवा के तौर पर बनाई गई इस ड्रग्स का इस्तेमाल 1980 के दशक में नशे के लिए होने लगा। 1990 के दशक में यह तेजी से कॉलेज स्टूडेंट्स और युवाओं के बीच पॉपुलर हो गई। तबसे यह रेव, नाइट क्लब और रॉक कॉन्सर्ट्स जैसी देर रात तक चलने वाली पार्टीज में यूज की जाती है। यह पाउडर, टैबलेट और कैप्सूल के रूप में आती है। ड्रग एडिक्ट्स LSD, गांजे और शराब में मिलाकर इसे लेते हैं। इसका असर 3 से 6 घंटे तक रहता है।
मार्केट में MDMA के कोडनेम: ड्रग एडिक्ट्स के बीच MDMA डिस्को बिस्कुट, एक्सटेसी, हग ड्रग, लवर्स स्पीड, मॉली, पीस, एडम, बींस, क्लैरिटी, ईव, गो, STP, एक्स जैसे नामों से जानी जाती है।
लिवर डैमेज कर देती है MDMA, जा सकती है जान
यह शरीर में सेरोटोनिन, डोपामाइन और नॉरपेनेफ्रिन जैसे हॉर्मोंस का लेवल बढ़ा देती है। जिससे व्यक्ति खुद के भीतर एनर्जी, कॉन्फिडेंस में बढ़ोतरी महसूस करता है। उसे ज्यादा भूख लगती है, हार्ट रेट और ब्लड प्रेशर बढ़ जाता है। उसे ज्यादा गुस्सा भी आता है और सेक्शुअल एक्टिविटी भी बढ़ जाती है।
MDMA की वजह से हाइपरथर्मिया, आंखों के सामने धुंधलापन, दांतों के जकड़ने, मसल्स में क्रैम्प, सिर चकराने के साथ ही लिवर डैमेज होने और सेक्शुअली फैलने वाली गंभीर बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है। यह ड्रग्स डिप्रेशन से लेकर मौत तक की वजह बन सकती है।
इन पार्टी ड्रग्स के जरिए कोई आपको शिकार न बना सके, इसके लिए घर से निकलने से पहले ही कर लें पूरी तैयारी...
यंगस्टर्स के बीच स्टेटस सिंबल बन गई हैं ये पार्टी ड्रग्स
स्टार्टअप और मल्टी-नेशनल कंपनियों की जॉब से हर महीने लाखों रुपए कमाने वाले युवाओं के बीच ये ड्रग्स स्टेटस सिंबल बन गई हैं। युवाओं के बीच ये गलतफहमी है कि हेरोइन और कोकीन जैसे हार्ड ड्रग्स के मुकाबले ये ‘पार्टी ड्रग्स’ सेफ होती हैं, जबकि ऐसा नहीं है।
इन ड्रग्स का शरीर पर टॉक्सिक असर होता है और जान तक जा सकती है। MDMA जैसी कुछ ड्रग्स न्यूरोटॉक्सिक होती हैं, फिर चाहे इन ड्रग्स को थोड़े समय या लंबे समय तक इस्तेमाल किया जाए। GHB और Rohypnol जैसी कुछ ड्रग्स रेप ड्रग्स के तौर पर बदनाम हैं। इनका इस्तेमाल डेट-रेप, पार्टी रेप और रॉबरी जैसे अपराधों को अंजाम देने के लिए किया जाता है। इनमें से अधिकतर का कोई एंटी डोट नहीं होता। GHB को छोड़ दिया जाए तो अधिकतर ड्रग्स को रूटीन टॉक्सिकोलॉजिकल स्क्रीनिंग में पकड़ पाना मुश्किल है। पार्टी के दौरान यूज की जाने वाली ये ड्रग्स सेक्शुअल संबंधों से होने वाली बीमारियों की (STD) की वजह भी बन सकती हैं, जिनमें HIV, हर्पीज और हेपेटाइटिस-सी जैसी गंभीर बीमारियां शामिल हैं।
कोई हाउस पार्टी हो या फिर नाइट क्लब, ड्रग्स से खुद को सेफ रखने के लिए इन टिप्स पर करें अमल...
5 स्टूडेंट लेते थे ड्रग्स, 1 साल में पूरे हॉस्टल को पड़ी लत
कॉलेज स्टूडेंट्स से लेकर प्रोफेशनल्स तक किस कदर इन ड्रग्स की चपेट में आ रहे हैं, इसका अंदाजा भोपाल के एक केस से लगा सकते हैं। 3 साल पहले भोपाल पुलिस ने एक एमटेक स्टूडेंट को MDMA (मिथाइलीनडाइऑक्सी मेथैमफेटामाइन) के साथ पकड़ा, तो उसने बताया कि वह दिल्ली और पुणे जैसे शहरों से ड्रग्स ले जाता था। ड्रग्स की लत भी उसे पुणे के एक हॉस्टल से लगी। जब वह हॉस्टल पहुंचा तब वहां रह रहे 80 में से सिर्फ 5 स्टूडेंट्स ड्रग्स लेते थे, लेकिन एक साल के अंदर 75 स्टूडेंट्स को नशे की लत पड़ गई। सरकार 2015 में ही MDMA ड्रग्स पर बैन लगा चुकी है।
बुरा असर दिखने पर भी डॉक्टर के पास नहीं जाते युवा
ऑनलाइन जर्नल पोर्टल SAGE पब्लिकेशंस पर मौजूद एक रिपोर्ट के मुताबिक युवा लड़के-लड़कियां पार्टी के दौरान इन ड्रग्स का इस्तेमाल इसलिए करती हैं, ताकि वे काम के बोझ, थकान और एंग्जाइटी को भूल सकें और मस्त होकर पार्टी एंजॉय करें। लेकिन, इन ड्रग्स की वजह से वे साइकोलॉजिकल डिसऑर्डर्स की चपेट में आ रहे हैं।
साथ ही रिस्की सेक्शुअल बिहेवियर, HIV संक्रमण, वॉयलेंस और क्राइम भी बढ़ रहा है। क्लब ड्रग्स यूज करने वाले अधिकतर युवा नशे का बुरा असर दिखने पर भी डॉक्टर के पास नहीं जाते और चोरी-छुपे ड्रग्स लेते रहते हैं।
इस रिपोर्ट के मुताबिक 2 साल (जनवरी 2017 से दिसंबर 2018) तक अखबारों में छपी खबरों का एनालिसिस करने पर पता चला कि मुंबई, गोवा, हैदराबाद, अहमदाबाद, कोलकाता और कोच्चि देश के वे टॉप-6 शहर हैं, जहां ड्रग्स के अवैध कारोबार के सबसे ज्यादा मामले सामने आए। 40 मामलों में कोकीन, 26 मामलों में LSD, 15 में मेफेड्रॉन, 14 मामलों में MDMA से जुड़ी खबरें छपीं। इस दौरान मेथैमफेटामाइन, केटामाइन, ऐम्फिटेमिन, GHB, एफिड्रिन जैसे ड्रग्स के इस्तेमाल से जुड़े कई मामलों का भी खुलासा हुआ।
ग्रैफिक्स: सत्यम परिडा
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