जोधपुर में दशहरा महोत्सव में भाग लेने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत बुधवार दोपहर जोधपुर पहुंचे। लंबे अरसे बाद वे महामंदिर स्थित अपने पुराने मोहल्ले में पहुंचे। जिस गली में खेल गहलोत बड़े हुए उसी गली में वे आज बड़े बेफ्रिक्री के अंदाज में चहल-कदमी करते हुए निकले और अपने बचपन की यादों को ताजा किया।
इस दौरान गहलोत ने बुजुर्गों से आशीर्वाद लिया तो युवाओं के कंधों पर हाथ रख उनसे कुशलक्षेम पूछी। वे आपने पैतृक मकान के निकट रहने वाले समाजसेवी सूरज सिंह टाक के निधन पर उनके परिजनों से मिलने पहुंचे थे।
जोधपुर एयरपोर्ट से सर्किट हाउस में थोड़ा ठहरने के बाद गहलोत सीधे महामंदिर पहंचे। अपने पैतृकआवास की गली में प्रवेश करते ही गहलोत अलग ही अंदाज में नजर आए। पूरा मोहल्ला उनके स्वागत को घरों से बाहर निकला हुआ था। गहलोत पहले समाजसेवी सूरज सिंह टाक के घर पहुंचे और परिजनों के साथ थोड़ा समय बिताया। उसके बाद वे पैदल ही अपनी पुरानी गली में चल पड़े।
हर तरफ उनसे मिलने को लोग आतुर नजर आए। बेहद प्रसन्न नजर आ रहे गहलोत ने बारी-बारी से सभी से मुलाकात की। उन्होंने किसी को निराश नहीं किया। गहलोत ने वहां मौजूद सभी लोगों से मिलने का प्रयास किया। कुछ बुजुर्गों से भी उनका हाल पूछते हुए वे आगे बढ़े। लोगों ने उनका साफा पहना अभिनन्दन किया। गहलोत छोटे से बड़े इसी गली में हुए।
अपनी पुरानी यादों को याद कर स्वयं को तरोताजा महसूस कर रहे थे। वे अपनी शुरुआती जैन स्कूल में पहुंचे। उन्होंने वहां प्रवास कर रहे जैन संत आचार्य हीरामुनी और महेंद्र मुनि से आशीर्वाद लिया। महामंदिर से वे लालसागर गए और वहां से वे वापस सर्किट हाउस पहुंच गए। यहां थोड़ी देर आराम कर वे दशहरा महोत्सव में शामिल हुए।
कुछ दिन पूर्व गहलोत ने बीकानेर में कहा था कि मैं राजस्थान का हूं, मैं मारवाड़ का हूं, मैं जोधपुर का हूं और मैं महामंदिर का हूं। इनसे मैं कैसे दूर हो सकता हूं। मैं कहीं भी अंतिम सांस तक इनसे जुड़ा रहूंगा। अपने इसी कथन को सार्थक करते हुए वे आज महामंदिर की गली में घूमते नजर आए। इससे पूर्व निर्धारित कार्यक्रम से तीन घंटे विलंब से पहुंचे गहलोत का एयरपोर्ट पर कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने बड़ी गर्मजोशी के साथ स्वागत किया। वहां मौजूद लोगों से मुलाकात करते हुए गहलोत आगे बढ़े।