अबके बरस मानसून की राह बड़ी मुश्किल है। आमतौर पर अब तक कश्मीर पहुंचने वाला मानसून 12 दिन से यूपी-बिहार की सीमा पर अटका हुआ है। यह 17 जून को मऊ जिले के पास पहुंच गया था, लेकिन पाकिस्तान से राजस्थान के रेगिस्तानों से होकर आने वाली गर्म हवाओं के कारण आगे नहीं बढ़ पा रहा है। ऐसा पहले कर्नाटक में भी हो चुका है, जहां मानसून 10 दिन तक अटका रहा था।
मौसम विशेषज्ञों के अनुसार, बंगाल की खाड़ी में हवाओं का दबाव थोड़ा कम है। इस वजह से मानसून को आगे धकेलने वाली हवाएं नहीं चल रहीं। लेकिन, अब पश्चिमी हवाएं कमजोर होने लगी हैं और बंगाल की खाड़ी से हवाएं उठकर उत्तर-पश्चिम की ओर बहनी शुरू हो चुकी हैं। इसलिए उम्मीद है कि अगले दो दिन में मानसून आगे बढ़ना शुरू कर सकता है।
ऐसा हुआ तो 8-10 दिन के भीतर यह कश्मीर पहुंच सकता है। उसके बाद यह राजस्थान पार कर पूरे देश को कवर कर सकता है। दक्षिण और पूर्वोत्तर के राज्यों को छोड़ दें तो मानसून अब तक कमजोर रहा है। देश में 1 से 27 जून के बीच औसतन 150 मिमी बारिश दर्ज होती है। इस बार 135 मिमी हुई है। यानी 10% कम।
असम में जल तबाही; औसत से 80% ज्यादा बारिश
असम में बाढ़ का कहर जारी है। अब तक 135 लोगों की मौत हो चुकी है। 3 लाख से ज्यादा लोग राहत शिविरों में या सड़क किनारे रहने को मजबूर हैं। राज्य के 32 जिलों के 5,424 गांव बाढ़ की चपेट में हैं। यहां मानसूनी बारिश सामान्य से 80% ज्यादा हो चुकी है। -विस्तृत रिपोर्ट पेज 13 पर
मप्र में उमस ने किया परेशान
मप्र में जून में अप्रैल जैसी गर्मी, 1 हफ्ते से पारा 350 से 370 पर
बादल भी कर रहे निराश, क्योंकि बारिश कराने वाले कोई स्ट्रांग सिस्टम नहीं
भोपाल | पारा लगातार 35 से 37 डिग्री के आसपास। सामान्य से दो-तीन डिग्री ज्यादा तापमान। लोग उमस से बेहाल। आसमान में बादल हैं लेकिन बारिश नहीं हो रही। पिछले करीब 1 हफ्ते से भोपाल समेत प्रदेश के ज्यादातर इलाकों में ऐसा ही मौसम है। मानसून आने के बाद भी अप्रैल जैसी गर्मी पड़ रही है। इसकी खास वजह यह है कि अभी ऐसे कोई मानसूनी स्ट्रांग सिस्टम नहीं हैं जो तेज बारिश करा सकें। मौसम की इस बेरुखी का असर खेत से लेकर सेहत तक पड़ रहा है।
मानसून की दोनों ब्रांच सक्रिय नहीं... तापमान बढ़ रहा और नमी भी, इसलिए उमस ज्यादा हमारे यहां बारिश के लिए यह जरूरी है कि बंगाल की खाड़ी में लो प्रेशर एरिया बने। अभी ऐसा सिस्टम नहीं बना है। अरब सागर में भी कोई सिस्टम नहीं है। मानसून की दोनों ब्रांच सक्रिय नहीं हैं। इस कारण तेज बारिश नहीं हो रही। तापमान और नमी दोनो ज्यादा हैं, इसलिए उमस भी ज्यादा पड़ रही है। - वेद प्रकाश सिंह, मौसम वैज्ञानिक
घने बादल छाए, लेकिन बूंदाबांदी हुई मंगलवार को भोपाल में सुबह से ही घने बादल छाए थे। इस दौरान शहर के कुछ हिस्सों में बूंदाबांदी भी हुई। इसके बावजूद तापमान सामान्य से कम नहीं हो सका। दिन का तापमान 35.2 डिग्री दर्ज किया गया। यह सामान्य से एक डिग्री ज्यादा रहा। रात का तापमान 25.6 डिग्री दर्ज किया गया। यह भी सामान्य से एक डिग्री अधिक रहा।
शरीर पर असर : स्किन डिसऑर्डर, एलर्जी, सोरायसिस, अस्थमा के केसेस बढ़ जाते हैं ऐसे मौसम में एलर्जी, स्किन डिसऑर्डर, सोरायसिस, एक्जिमा और अस्थमा के केसेस बढ़ जाते हैं। हमारा रेस्पिरेट्री सिस्टम भी प्रभावित होता है। इसका असर हार्ट पर भी पड़ता है। प्री टर्म बर्थ के केसेस भी 10 फीसदी तक बढ़ जाते हैं। कम से कम 40 हफ्ते के बजाय 37 हफ्ते में प्रसूति होने की आशंका भी बढ़ जाती है। - डॉ. प्रीति तागड़े, प्रेसिडेंट,फार्मास्यूटिकल इंटरनेशनल सोसायटी
ऐसे मौसम का असर खेती पर... सोयाबीन की बोवनी 10 दिन लेट हो जाएगी सोयाबीन की बोवनी के लिए चार इंच बारिश और जमीन में भी चार इंच नमी होना जरूरी है। जिन इलाकों में अभी यह स्थिति नहीं है, वहां बोवनी में करीब 10 दिन की देरी हो सकती है। सामान्य तौर पर 25 जून से बोवनी शुरू हो जाती है। धान के रोपे तैयार किए जा सकते हैं। भोपाल के फंदा और बैरसिया के कुछ हिस्सों में तो बोवनी हो गई है, लेकिन सीहोर समेत प्रदेश के ज्यादातर हिस्सों में बोवनी नही हो सकी है। - डॉ. आरके जायसवाल, एक्सपर्ट प्रिंसिपल साइंटिस्ट, अनुसंधान केंद्र भोपाल