राजसमंद जिले में 17 जनवरी 2013 को एक 8 वर्षीय मासूम बच्ची के साथ दुष्कर्म व मर्डर की वारदात हुई थी। जिसके बाद इस मामले में पुलिस ने आरोपी मनोज प्रताप सिंह को गिरफ्तार किया था। मनोज प्रताप सिंह ने नशे की हालात में इस जघन्य अपराध को अंजाम दिया था। चॉकलेट के बहाने मासूम को सुनसान जगह पर ले गया। जहां इस घिनौने काम को अंजाम दिया। इस हैवान ने दुष्कर्म के बाद बच्ची पर पत्थर पटककर सिर कुचल दिया था।
इस घटना के बाद राजसमंद जिले के लोगों ने उस समय उग्र प्रदर्शन किया था और आरोपी को जल्द से जल्द फांसी की सजा देने की मांग की थी। उस दौरान पीड़ित परिवार की ओर से लोक अभियोजक प्रदीप सांचीहर ने पैरवी की थी। उन्होंने जानकारी देते हुए बताया कि इस मामले में चालान पेश करने के बाद न्यायालय द्वारा अनुसंधान शुरू किया गया। बाद में आरोपी को राजसमन्द के विशिष्ट न्यायाधीश पॉक्सो एक्ट, जिला एवं सत्र न्यायाधीश ने फैसला देते हुए मृत्यु दण्ड की सजा सुनाई और आरोपी को जेल भेज दिया था।
जिस पर आरोपी मनोज प्रताप सिंह ने इस फैसले को चुनौती देते हुए हाईकोर्ट में अपील की थी। जहां हाईकोर्ट ने भी राजसमन्द के विशिष्ट न्यायाधीश पॉक्सो एक्ट, जिला एवं सत्र न्यायाधीश के मृत्युदण्ड के फैसले को बरकरार रखा। आरोपी ने पुनः हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट में अपील की। इस मामले पर शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट ने भी मृत्यदण्ड की सजा को बरकरार रखा है।
इस पूरे मामले पर जब दैनिक भास्कर डिजिटल की टीम ने बच्ची के पिता से बात की तो पिता रो पड़ा। बोला कि आरोपी को अब जल्द से जल्द मृत्यदण्ड दिया जाए। तभी जाकर बच्ची को पूरा न्याय मिलेगा। मासूम बच्ची का पिता जैसे तैसे अपना जीवन यापन कर रहा है। बच्ची के पिता ने बताया कि मैं मेरी बच्ची को तो खो चुका हूं और मेरी पत्नी ने भी कोरोना काल में दम तोड़ दिया। अब तो बस इसी उम्मीद पर जिंदा हूं कि मेरी बच्ची को जल्द से जल्द न्याय मिले और आरोपी को मृत्यु दण्ड दिया जाए।