देश में राष्ट्रपति चुनाव की गहमागहमी तेज है। विपक्ष ने अटल सरकार में मंत्री रहे 84 वर्षीय यशवंत सिन्हा को उम्मीदवार बनाया है। सिन्हा राष्ट्रपति उम्मीदवार के रूप में विभिन्न दलों से समर्थन मांगने में व्यस्त हैं। इस बीच सिन्हा ने भास्कर से खास बातचीत की। पढ़िए बातचीत के प्रमुख अंश...
सवाल-जवाब से पहले यशवंत सिन्हा जीवन के बारे में कुछ जान लेते हैं...
सवाल: आप राष्ट्रपति चुनाव में प्रत्याशी क्यों बन गए?
जवाब: विपक्षी दलों ने एकत्रित होकर कई नामों पर विचार किया। मुझसे पूछा गया तो मैंने हां कर दी। ये लड़ाई कठिन जरूर है, लेकिन इससे फायदा हो सकता है। 2024 के लिहाज से देखा जाए तो विपक्षी एकता की शुरुआत है। बात राष्ट्रपति चुनाव तक खत्म नहीं होगी, आगे भी चलेगी। अगर स्वतंत्र राष्ट्रपति होगा तो न सिर्फ सरकार के गैर संवैधानिक कदमों पर अंकुश लगेगा, बल्कि सरकार को सही दिशा में ले जा सकता है।
सवाल: अंक गणित आपके पक्ष में नहीं दिख रहा है?
जवाब: चुनाव तक बहुत कुछ बदलेगा। इस पर न जाएं कि किसने क्या कहा और कौन मुख्यमंत्री कहां है। परिस्थितियां बदलेंगी। उम्मीद है कि लोग अपने विवेक का इस्तेमाल करेंगे। चुनाव में व्हिप नहीं होता और चुनाव गुप्त होता है।
सवाल: आप की सियासी पृष्ठभूमि झारखंड की है, फिर भी झामुमो ने समर्थन नहीं दिया?
जवाब: झारखंड मुक्ति मोर्चा के नेता उस मीटिंग में थे, जिसमें मुझे उम्मीदवार चुना गया। भ्रम की स्थिति तब बनी जब NDA उम्मीदवार घोषित हुईं। मुझे विश्वास है कि झामुमो हमारे साथ रहेगा।
सवाल: विपक्ष एक नहीं, फिर भी उम्मीदवारी स्वीकारी?
जवाब: समय के साथ बहुत बातें बदलती हैं। मैं बिहार का हूं। मैं पटना समर्थन मांगने जाऊंगा। हम अपनी ताकत को प्रचारित नहीं करते। चुनाव में अपने ढंग से लगे हैं।
सवाल: यह बात आ रही है कि आदिवासी महिला प्रत्याशी के लिए आपको चुनाव से हट जाना चाहिए?
जवाब: अगर पक्ष-विपक्ष मिलकर तय करते तो सर्वसम्मत उम्मीदवार हो सकता था। उसका निर्विरोध निर्वाचन होता, लेकिन सरकार ने प्रयास नहीं किया। बिना उम्मीदवार बताए, समर्थन मांगकर सरकार ने औपचारिकता निभाई। सरकार गंभीर होती तो उम्मीदवार का नाम बताकर विपक्ष से एकराय बनाती। सरकार की मंशा विपक्षी दलों को अपमानित करने की रही है। बीते 8 सालों में उन्होंने दिखाया भी है। अब पीछे हटने का सवाल नहीं।
सवाल: NDA से नाम पहले आता तो आप नहीं लड़ते?
जवाब: विपक्षी दल शायद इस पर विचार करते और फिर सहमति बन भी सकती थी। आज किसी का अधिकार नहीं कि मुझसे पूछे कि अब क्यों लड़ रहे हैं।
सवाल: इस चुनाव के बाद राजनीति की दिशा क्या होगी?
जवाब: यह मेरा अंतिम चुनाव है। मैं राष्ट्रपति का चुनाव लड़ने के बाद और कोई चुनाव नहीं लड़ूंगा, ये तय है।
सवाल: क्या सांसद बेटे जयंत सिन्हा भी वोट मांगेंगे?
जवाब: दो अलग-अलग व्यक्तित्व हैं। यह पहली बार नहीं है कि पिता-पुत्र अलग-अलग दल में हैं। सबसे वोट मांगेंगे। मैंने प्रधानमंत्री जी को फोन किया था पर बात नहीं हो पाई।
सवाल: आपके कारण जयंत का सियासी नुकसान हुआ?
जवाब: अगर इसमें जरा भी सच्चाई है तो ये अफसोस की बात है कि वो इसलिए दंडित किया जा रहा है कि मैं उसका पिता हूं।