UP के सहारनपुर में मुस्लिम संगठन जमीयत उलमा-ए-हिंद का दो दिनों का बड़ा सम्मेलन चल रहा है। जमीयत उलमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना महमूद मदनी ने कहा, "मस्जिदों के बारे में भी बात होगी। कल इस पर चर्चा की जाएगी। जमात के फैसले से पहले कोई बात नही होगी और जमात के फैसले के बाद कोई कदम पीछे नहीं हटेगा। खामोशी, सब्र का इम्तेहान। वो चाहते क्या हैं? समझ लीजिए, मैं बार बार कह रहा हूं... जो नफरत के पुजारी हैं, आज वो ज्यादा नजर आ रहे हैं। अगर हमने उन्हीं के लहजे में जवाब देना शुरू किया तो वो अपने मकसद में कामयाब हो जाएंगे।"
मदनी ने कहा, "हमारा जिगर जानता है कि हमारी क्या मुश्किलें हैं। हां, मुश्किल झेलने के लिए ताकत–हौंसला चाहिए। हम जुल्म को बर्दाश्त कर लेंगे, दुखों को सह लेंगे, लेकिन अपने मुल्क पर आंच नहीं आने देंगे। यह फैसला कमजोरी नहीं, जमीयत की ताकत की वजह से है। हम हर चीज पर समझौता कर सकते हैं, लेकिन ईमान से समझौता बर्दाश्त नहीं। वो देश को अखंड भारत बनाने की बात करते हैं। देश के मुसलमान को पैदल चलना तक दुश्वार कर दिया है। वो मुल्क के साथ दुश्मनी कर रहे हैं। जरूरत पड़ेगी तो दारूल रसम को आबाद करेंगे।"
इस सम्मेलन से जुड़ी और बातें भी हम बताएंगे, लेकिन पहले ये पोल:
दिलों के मंदिर टूट जाएंगे तो मंदिर-मस्जिद का क्या होगा : नियाज
ज्ञानवापी मुद्दे के सवाल पर जमीयत उलमा-ए-हिंद के नेशनल सेक्रेटरी मौलाना नियाज अहमद फारूकी ने कहा, "हर शासकों ने गलतियां की हैं। जिसे हम भुगत रहे हैं। इन्हें सुधारने के लिए एक साथ बैठकर हल निकालना होगा। इससे बड़ा तो हमारा दिल है। जहां पर भगवान और अल्लाह विराजमान हैं। हम अपने दिलों को बांट देंगे तो इन मंदिरों-मस्जिदों का क्या होगा। अगर हमारे दिल सही रहेंगे तो हमारा मकसद धार्मिक रहेगा। ऐसा कोई विवाद न हो जिससे हमारे रिश्ते टूटे। फिर चाहे ये मंदिर और मस्जिद टूटे या बने इससे फर्क नहीं पड़ेगा।"
मौलाना नियाज अहमद फारूकी की बड़ी बातें...
- आज हमारा देश धार्मिक बैर भाव और नफरत में जल रहा है। युवकों को इस ओर बढ़ाया जा रहा है।
- इस्लामी सभ्यता और संस्कृति के खिलाफ निराधार आरोपों को फैलाया जा रहा है। सत्ता में बैठे लोग उनका हौसला बढ़ा रहे हैं।
- राजनीतिक वर्चस्व के लिए बहुसंख्यकों की धार्मिक भावनाओं को अल्पसंख्यकों के खिलाफ उत्तेजित करना, देश के साथ दुश्मनी है।
- मुस्लिमों से अपील है कि प्रतिक्रियावादी रवैया अपनाने के बजाए एकजुट होकर राजनीतिक स्तर पर चरमपंथी फासीवादी ताकतों का मुकाबला करें।
- फासीवादी संगठन अगर यह समझते हैं कि देश के मुसलमान जुल्म की जंजीरों में जकड़ लिए जाएंगे, तो यह उनकी भूल है।
- मुस्लिम नौजवानों और छात्र संगठनों को सचेत करता हूं कि वे देश के दुश्मन अंदरूनी व बाहरी तत्वों के सीधे निशाने पर हैं।
- भारत में इस्लामोफोबिया और मुस्लिम विरोधी उकसावे की घटनाएं बढ़ रही हैं।
- देश की सत्ता ऐसे लोगों के हाथों में है, जो सदियों पुरानी भाईचारे की पहचान को बदल देना चाहते हैं। उनको बस सत्ता प्यारी हैं।
मुस्लिम संगठन जमीयत उलमा-ए-हिंद का यह झंडा है, जिसे फहरा कर कार्यक्रम की शुरुआत की गई है।
जमीयत उलमा-ए-हिंद ने सुझाए उपाय
- साल 2017 में प्रकाशित ला कमीशन की 267वीं रिपोर्ट में सिफारिश की गई है कि हिंसा पर उकसाने वालों को सजा दिलाने के लिए अलग कानून बनाया जाए। इस पर तुरंत कदम उठाया जाए।
- सभी धर्मों के बीच आपसी सद्भाव का संदेश देने के लिए संयुक्त राष्ट्र की ओर से 'इस्लामोफोबिया की रोकथाम का अंतरराष्ट्रीय दिवस' हर साल 14 मार्च को मनाया जाए।
- भारतीय मुसलमानों के लिए न्याय और अधिकारिता पहल नाम से एक स्थायी विभाग बनाया है, जिसका मकसद नाइंसाफी को रोकने की रणनीति विकसित करना है।
25 राज्यों से आए हैं लोग
जमीयत उलमा-ए-हिंद के कार्यक्रम में 25 राज्यों से लोग आए हैं। इनमें मुख्य रूप से महाराष्ट्र से आए मौलाना नदीम सिद्दीकी, UP से मौलाना मोहम्मद मदनी, तेलंगाना से हाजी हसन, मणिपुर से मौलाना मोहमद सईद, केरल से जकरिया, तमिलनाडु से मौलाना मसूद, बिहार से मुफ्ती जावेद, गुजरात से निसार अहमद, राजस्थान से मौलाना अब्दुल वाहिद खत्री, असम से हाजी बसीर, त्रिपुरा से अब्दुल मोमिन पहुंचे हैं। सांसद मौलाना बदरूद्दीन अजमल, पश्चिम बंगाल में ममता सरकार में मंत्री मौलाना सिद्दीकी उल्लाह चौधरी और शूरा सदस्य मौलाना रहमतुल्लाह कश्मीरी सहित कई बड़ी हस्तियां भी देवबंद पहुंच चुकी हैं। इसके अलावा झारखंड, उत्तराखंड, पश्चिम बंगाल से भी मुस्लिम संगठन के लोग आए हैं।
इसी पंडाल में कार्यक्रम रखा गया है। इसे चारों तरफ से कवर किया गया है।
पांच बीघा जमीन पर बना पंडाल, लगे 20 AC
जमीयत उलमा-ए-हिंद के सम्मेलन में देश के अलग-अलग राज्यों से आने वाले जमीयत से जुड़े लोगों के बैठने के लिए उचित व्यवस्था की गई है। करीब पांच बीघा जमीन में फुली कवर्ड AC पंडाल तैयार किया गया है। इसमें ढाई-ढाई टन के 20 से ज्यादा AC लगाए गए हैं। मेहमानों के रहने की व्यवस्था होटल के अलावा ईदगाह मैदान में बनाए गए पंडाल में भी की गई है।
तीन सेशन में बैठक
- पहला सेशन : 28 मई सुबह 8:45 से 1:00 बजे (दिन)
- दूसरा सेशन : 28 मई शाम 7:30 से 9:30 बजे (रात)
- तीसरा सेशन : 29 मई सुबह 8:45 से 1:00 बजे (दिन)
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देवबंद में दारूल उलूम के नजदीक ही ईदगाह मैदान में यह कार्यक्रम रखा गया है।
दिल्ली में तय हुई थी देवबंद की बैठक
कहा जा रहा है कि ज्ञानवापी, मथुरा और कुतुबमीनार मसले पर चर्चा करने के लिए यह बैठक बुलाई गई है। जमीयत ने यह स्पष्ट किया है कि इस आयोजन का ऐलान एकाएक नहीं हुआ। 15 मार्च को दिल्ली में हुई बैठक में ही देवबंद के इस कार्यक्रम को तय कर दिया गया था। उस वक्त ज्ञानवापी और मथुरा जैसे मुद्दे शुरू भी नहीं हुए थे। हालांकि, जमीयत से जुड़े लोग इतना जरूर कहते हैं कि देश के मौजूदा हालातों पर इन तीनों सत्रों में चर्चा होगी। इसमें चर्चा का बिंदु कुछ भी हो सकता है।
एक्सट्रा फोर्स और LIU अलर्ट
सम्मेलन को लेकर पुलिस-प्रशासन ने भी पूरी तैयारी कर ली है। देशभर से आने वाले डेलिगेशन और उलमाओं की सुरक्षा को लेकर विशेष इंतजाम हैं। अन्य जिलों से एक्सट्रा फोर्स मंगवाई गई है। पंडाल और आसपास LIU भी अलर्ट है। SSP आकाश तोमर का कहना है कि सम्मेलन के आसपास सुरक्षा व्यवस्था कड़ी कर दी गई है। सम्मेलन स्थल पर एक कंपनी PAC, तीन पुलिस निरीक्षक, दस उपनिरीक्षक, छह महिला कांस्टेबल और 40 सिपाहियों की तैनाती की जाएगी।
कार्यक्रम स्थल पर सुरक्षा व्यवस्था के पुख्ता इंतजाम हैं। पुलिस के अलावा एक कंपनी PAC भी लगाई गई है।
ज्ञानवापी पर जमीयत का स्टैंड- सड़क पर न लाया जाए केस, कोर्ट में है विचाराधीन
जमीयत उलमा-ए-हिंद के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना महमूद मदनी ज्ञानवापी मसले पर 18 मई को ही अपना स्टैंड क्लियर कर चुके हैं। प्रेस बयान जारी करके उन्होंने कहा था, ज्ञानवापी मस्जिद का मामला साम्प्रदायिक तत्वों की शरारत की वजह से सार्वजनिक और न्यायिक स्तर पर चर्चा का विषय बना हुआ है। कुछ असामाजिक तत्व दो समुदायों के बीच दरार पैदा करने की कोशिश कर रहे हैं। इन परिस्थितियों में जमीयत उलमा-ए-हिंद भारत के सभी लोगों, विशेषकर भारत के मुसलमानों से सहानुभूतिपूर्वक अपील करती है कि-
- ज्ञानवापी मस्जिद जैसे मुद्दे को सड़क पर न लाया जाए और सार्वजनिक प्रदर्शनों से बचा जाए।
- इस मामले में मस्जिद इंतेजामिया कमेटी एक पक्षकार के रूप में अदालतों में मुकदमा लड़ रही है। देश के अन्य संगठनों से अपील है कि वह इस केस में सीधे हस्तक्षेप न करें, जो सभी सहायता करनी है, अप्रत्यक्ष रूप से कमेटी को करें।
- उलेमा और वक्ता टीवी डिबेट और बहस में भाग लेने से बचें। मामला न्यायालय में विचाराधीन है, इसलिए सार्वजनिक भाषणबाजी देश और मुसलमानों के हित में नहीं है।