ताइवान पर हमले की योजना बनाते हुए चीनी सेना का एक ऑडियो लीक होने से सनसनी फैल गई है। यूक्रेन पर रूस के हमले के बाद से ही अमेरिका कई बार ये आशंका जता चुका है कि चीन भी ताइवान पर हमला कर सकता है। उधर अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने कहा है कि अगर चीन ताइवान पर हमला करता है तो अमेरिका ताइवान की मदद के लिए अपनी सेना भेजेगा। इसके जवाब में चीन ने कहा है कि अमेरिका आग से खेल रहा है और 'ताइवान कार्ड' से वह अपने हाथ जला लेगा।
ऐसे में चलिए जानते हैं कि आखिर क्या है ताइवान पर चीन के हमले का सीक्रेट प्लान? ताइवान पर क्यों कब्जा करना चाहता है चीन? क्या है चीन-ताइवान विवाद? अमेरिका क्यों दे रहा ताइवान का साथ?
ताइवान पर हमले का चीन का सीक्रेट प्लान लीक
चीन में जन्मी एक मानवाधिकार कार्यकर्ता जेनिफल झेंग ने ताइवान पर हमले की योजना बनाते हुए चीनी सेना के टॉप अधिकारियों की सीक्रेट मीटिंग की ऑडियो क्लिप जारी की हैं। 57 मिनट के इस ऑडियो में चीनी मिलिट्री यानी पीपुल्स लिबरेशन आर्मी के अधिकारियों को ताइवान से युद्ध के समय आर्मी के इस्तेमाल, ताइवान को घेरने और उसके खिलाफ सैन्य कार्रवाई की योजना बनाते सुना जा सकता है।
पहली बार लीक हुई चीनी सेना की बातचीत
जेनिफर झेंग ने एक ट्वीट में दावा किया है कि 1949 में चीनी सेना के गठन के बाद पहली बार है, जब चीनी सेना के अफसरों की टॉप सीक्रेट मीटिंग की बातचीत लीक हुई है। इसके लिए चीनी सेना के एक लेफ्टिनेंट जनरल और तीन मेजर जनरलों को मौत की सजा दे दी गई है। कई अन्य अधिकारियों को जेल भेज दिया गया है। इस ऑडियो लीक को चीन की सत्ताधारी कम्युनिट पार्टी ऑफ चाइना यानी CPC में विद्रोह का सबसे बड़ा सबूत माना जा रहा है।
पीपुल्स लिबरेशन आर्मी के साथ चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग। माना जा रहा है कि चीन जल्द ताइवान पर हमला कर सकता है
ताइवान पर चीन के हमले के 4 सीक्रेट प्लान
1. पर्ल नदी घाटी में स्थित 11 शहरों को सुरक्षित रखने का प्लान
चीनी सेना के लीक ऑडियो में ताइवान के खिलाफ ऑपरेशन के दौरान चीन को अपने ग्वांगडोंग प्रांत में स्थित पर्ल नदी डेल्टा को सुरक्षित बनाने के लिए एक ‘सी डिफेंस ब्रिगेड’ बनाने की बात कही जा रही है। घनी आबादी वाला पर्ल नदी डेल्टा वाला इलाका चीनी इंडस्ट्री की धड़कन माना जाता है, जो चीन के 11 बड़े शहरों से मिलकर बना है। चीन को दुनिया के वर्कशॉप में बदलने का श्रेय इसी इलाके को जाता है।
इस इलाके में दुनिया का ट्रेडिंग हब माने जाने वाला ग्वांग्झू, हाई-टेक राजधानी शेनजेन, जहां हुवावेई और टेंसेंट जैसी टेक दिग्गज कंपनियों का हेड-क्वॉर्टर हैं, इसके अन्य महत्वपूर्ण शहरों में फोशान है, जिसे फर्नीचर कैपिटल कहा जाता है। इसके अलावा यहां झुअई, जियांगमेन, हुईझोऊ, झाओकिंग, डोंगगुआन, झोंगशान, हांगकांग और मकाऊ मौजूद हैं।
पर्ल नदी डेल्टा में चीन के कई महत्वपूर्ण शहर स्थित हैं। ये इलाका ताइवान के पास पड़ता है। इसलिए चीन नहीं चाहता कि युद्ध की स्थिति में ताइवान की जवाबी कार्रवाई या मदद के लिए अमेरिका या पश्चिमी देशों की कार्रवाई में उसके इस महत्वपूर्ण इलाके को कोई नुकसान पहुंचे।
क्लिप में चीनी अधिकारी, सेना को हमले के लिए तैयार रखने के लिए दो इलाकों- ताइवान जलडमरू मध्य और साउथ चाइना सी के बीच कॉऑर्डिनेशन पर फोकस करने की योजना बनाते सुने जा सकते हैं। ताइवान जलमडमरू मध्य 180 किलोमीटर चौड़ा जलडमरू मध्य है, जो ताइवान को एशिया महाद्वीप से अलग करता है और पूर्वी चीन सागर और दक्षिण चीन सागर के बीच में स्थित है।
2. 1.40 लाख सैनिकों, 953 जहाजों के साथ हमले की तैयारी
चीनी सेना की लीक क्लिप के मुताबिक, चीन की पूर्वी और दक्षिणी वॉर जोन ने ग्वांगडोंग प्रांत को युद्ध की तैयारी में शामिल होने के लिए कहा है।
इसके मुताबिक, ''हमले की तैयारी के लिए ग्वांगडोंग प्रांत को 20 अलग कैटेगिरी में 239 सामग्रियों को इकट्ठा करने को कहा गया। इनमें 1358 सैनिक टुकड़ियां, 1.40 लाख सैनिक, 953 जहाज, 1,653 मानव रहित उपकरणों के साथ 20 हवाई अड्डे और बंदरगाहों, छह रिपेयर और जहाज निर्माण यार्ड, 14 इमरजेंसी ट्रांसफर सेंटर, अनाज डिपो, अस्पताल, ब्लड स्टेशन, तेल डिपो, गैस स्टेशन आदि शामिल हैं।
नेशनल डिफेंस मोबिलाइजेशन रिक्रूटमेंट ऑफिस को ग्वांगडोंग प्रांत के लिए नए जवानों, रिटायर्ड जवानों समेत कुल 15.50 हजार सैनिकों को भर्ती करने के लिए कहा गया है।
ग्वांगडोंग प्रांत को 7 तरह के नेशनल लेवल वॉरफेयर रिर्सोजेस बनाने के लिए कोऑर्डिनेट करने को कहा गया है। इनमें 6.41 लाख-टन के मालवाहक जहाजों, 38 विमानों, 588 ट्रेन कारों और 19 एयरपोर्ट और बंदरगाहों को तैयार रखने को कहा गया है।
3. ड्रोन, सैटेलाइट, बोट बनाने वाली कंपनियों को प्रोडक्शन बढ़ाने को कहा
इस प्लान के तीसरे महत्वपूर्ण हिस्से में हवाई हमलों के लिए ड्रोन मैन्युफैक्चरिंग, समुद्री लड़ाई के लिए बोट प्रोडक्शन और दुश्मन सेना पर निगरानी के लिए जरूरी सैटेलाइट सर्विसेज के साथ ही सेना के बीच संपर्क के लिए जरूरी टेलीकम्यूनिकेशन से जुड़ी कंपनियों को बड़े पैमाने पर प्रोडक्शन बढ़ाने पर जोर देने की बात की गई है।
इस चर्चा में यह भी पता चलता है कि चीनी कमांडर सैनिकों के मूवमेंट के दौरान कम्यूनिकेशन स्थापित रखने के लिए अल्ट्रा-शॉर्ट वेव, तियानटोंग -1 सैटेलाइट फोन तैनात करने को तैयार हैं। चीनी अधिकारी कह रहे हैं, "हमारे पास कुल 16 लो-ऑर्बिट सैटेलाइट हैं, जिनमें 0.5 से 10 मीटर ग्लोबल रिमोट अल्ट्रा-हाई ऑप्टिकल रेजोल्यूशन सेंसिंग और इमेजिंग क्षमताएं हैं।"
4. दुनिया भर में फैले अपने लोगों से चीनी प्रोपेगेंडा फैलाना
ऑडियो में चीनी अधिकारियों की चौथी प्रमुख योजना दुनिया भर में मौजूद चीनी लोगों और चीनी संस्थाओं को सक्रिय करना है, जिससे चीन के युद्ध को सही ठहराते हुए उसके प्रोपेगेंडा को दुनिया भर में फैलाया जा सके।
चीन से 100 मील दूर स्थित ताइवान को लेकर क्यों है विवाद?
चीन ताइवान को अपना ही एक प्रांत मानता है। चीन का मानना है कि एक दिन ताइवान फिर से चीन का हिस्सा बन जाएगा। ताइवान खुद को एक स्वतंत्र देश मानता है, जिसका अपना संविधान है और वहां लोगों द्वारा चुनी हुई सरकार का शासन है।
ताइवान पश्चिमोत्तर प्रशांत महासागर में पूर्वी और दक्षिण चीन सागर के जंक्शन पर स्थित एक आइलैंड है, जिसे पहले फोरमोसा के नाम से जाना जाता था। ये दक्षिण पूर्व चीन के तट से लगभग 100 मील की दूरी पर है। ताइवान हांगकांग के उत्तर-पूर्व में, फिलीपींस के उत्तर में और साउथ कोरिया के दक्षिण में और जापान के दक्षिण-पश्चिम में स्थित है। अपनी भौगोलिक स्थिति के कारण ही ताइवान और उसके आसपास कुछ भी होने पर वह पूरे पूर्वी एशिया को प्रभावित कर सकता है।
ताइवान का क्षेत्रफल 36.1 हजार वर्ग किलोमीटर और आबादी 2.3 करोड़ है। ताइवान दुनिया का 21वां सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था वाला देश है।
ताइवान 'फर्स्ट चेन आइलैंड' वाले उन आइलैंड की लिस्ट में शामिल हैं, जो अमेरिका के करीबी माने जाते हैं और उसकी विदेश नीति के लिए बेहद अहम हैं।
फर्स्ट चेन आइलैंड कई आइलैंड का समूह है, जिनमें ताइवान, ओकिनावा और फिलीपींस शामिल हैं। चीन इन आइलैंड को अपनी फर्स्ट लाइन ऑफ डिफेंस के रूप में देखता है। चीन की रणनीति अमेरिका को फर्स्ट आइलैंड चेन यानी पूर्वी और दक्षिणी चीन सागर से बाहर धकेलने की है।
पश्चिमी विशेषज्ञों का मानना है कि अगर चीन ताइवान पर कब्जा जमाता है, तो वह पश्चिमी प्रशांत महासागर इलाके में अपना दबदबा दिखाने के लिए आजाद हो जाएगा, जिससे यहां मौजूद गुआम और हवाई जैसे अमेरिकी मिलिट्री बेस के लिए भी खतरा पैदा हो जाएगा।
चीन से कब और कैसे अलग हुआ ताइवान?
ताइवान और चीन के बीच वर्तमान तनातनी दूसरे वर्ल्ड वॉर के बाद शुरू हुई। दरअसल, तब चीन में राष्ट्रवादी सरकारी सेनाओं और चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के बीच गृह युद्ध शुरू हो गया था।
1949 में कम्युनिस्ट जीत गए और उनके नेता माओत्से तुंग ने मेनलैंड चीन की राजधानी बीजिंग पर नियंत्रण स्थापित कर लिया। वहीं हार के बाद राष्ट्रवादी पार्टी- कुओमिंतांग या Kuomintang के नेता ताइवान भाग गए। तब से ही कुओमिंतांग ही ताइवान की सबसे प्रमुख राजनीतिक पार्टी है और ताइवान पर ज्यादातर समय इसी पार्टी का शासन रहा है।
वर्तमान में केवल 14 देश ही ताइवान को संप्रभु देश के रूप में मान्यता देते हैं। ताइवान के समर्थन के बावजूद खुद अमेरिका उसे स्वतंत्र देश नहीं मानता है। चीन बाकी देशों पर ताइवान को मान्यता न देने के लिए राजनयिक दबाव डालता रहा है।
वर्तमान में चीन और ताइवान के रिश्ते बेहद तनावपूर्ण हैं और ताइवान के रक्षा मंत्री का कहना है कि चीन के साथ उनके रिश्ते 40 वर्षों में सबसे खराब हालत में है।
चीन-ताइवान के बीच वर्तमान विवाद पिछले साल 1 अक्टूबर को चीन की स्थापना के उपलक्ष्य में मनाए जाने वाले नेशनल डे से तब शुरू हुआ था, जब 100 से ज्यादा चीनी जेट ने ताइवान के एयर डिफेंस क्षेत्र का उल्लंघन किया था। चीन के इस कदम के बाद ही दुनिया में ये चर्चा शुरू हुई कि वह ताइवान पर जबरन कब्जा करने जा रहा है। फरवरी में यूक्रेन पर रूस के हमले और चीन द्वारा रूस के समर्थन ने ताइवान पर हमले के डर को और बढ़ाने का काम किया है।
दुनिया के लिए क्यों जरूरी है ताइवान?
- फोन से लेकर लैपटॉप और घड़ियों से लेकर मोबाइल गेम तक, रोजमर्रा की जरूरत के इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों में लगने वाली सेमीकंडक्टर चिप का ताइवान सबसे बड़ा मार्केट है।
- अकेले ताइवान की एक ही कंपनी- ताइवान सेमीकंडक्टर मैन्युफैक्चरिंग कंपनी या TSMC ही दुनिया भर की कुल सेमीकंडक्टर चिप का आधे से ज्यादा का प्रोडक्शन करती है।
- ताइवान पर कब्जा होने पर चीन वहां मौजूद दुनिया की सबसे महत्वपूर्ण इंडस्ट्रीज पर आधिपत्य जमा सकता है। यानी उसके ताइवान पर हमले की योजना की एक वजह ये भी है।