नावां में 14 मई को दिनदहाड़े नमक कारोबारी और भाजपा किसान मोर्चा के अध्यक्ष जयपाल पूनिया की बदमाशों ने दिनदहाड़े बीच बाजार गोली मारकर हत्या कर दी। असल में हत्या करने की प्लानिंग एक दिन पहले की ही थी। उस दिन गोलियों की आवाज सुनी तो सैकड़ों लोग मौके पर पहुंचे। कई लोग ऐसे थे, जिन्होंने हत्यारों को देखा, लेकिन इतने डरे हुए हैं कि कोई कुछ भी कहने के लिए तैयार नहीं है। मामले की जांच कर रही एसआईटी भी अभी तक कोई सबूत नहीं जुटा पाई है।
क्या हुआ था 14 मई की दोपहर?
इसी सवाल का जवाब जानने के लिए भास्कर टीम 16 मई को नावां में मौका-ए-वारदात पर पहुंची। हमारे हाथ में कैमरा और माइक देखते हुए वहां मौजूद लोग सकपका गए। एक दुकानदार से पूछा- ‘कल यहां क्या हुआ था’? बोला-’मैं तो खाना खाने गया था’। ये किस्सा सिर्फ उस अकेले दुकानदार का नहीं है। किसी ने कहा-मैं तो उस दिन शहर में ही नहीं था तो किसी ने कहा-गोलियां की आवाज सुनी तो मौके पर गया था, लेकिन मैंने किसी को नहीं देखा। कोई बोला, मैं दोपहर में सो रहा था।
5 दिन के दौरान भास्कर ने 60 से ज्यादा लोगों से बात की, ज्यादातर के मुंह पर डर का ताला लगा हुआ था। मुख्य आरोपी मोती सिंह(कांग्रेस विधायक महेंद्र चौधरी के भाई) के खौफ से लोग कुछ भी बोलने के लिए तैयार नहीं थे।
5 दिन की इन्वेस्टिगेशन के दौरान भास्कर टीम ने नावां में डिस्कॉम और तहसील के आसपास लगे 20 से ज्यादा CCTV खंगाले। चौंकाने वाली बात है कि कैमरे लगे होने के बावजूद भी लोगों ने डीवीआर नहीं लगा रखे थे। कुछ लोगों से CCTV फुटेज दिखाने की गुजारिश की तो बोले- स्टोरेज नहीं है। काफी प्रयासों के बाद भास्कर के हाथ नमक कारोबारी जयपाल की पूनियां की हत्या का CCTV लगा, जिसमें दिख रहा है किस तरह से शूटर ने पूनियां को मौत के घाट उतार दिया। पढ़िए-पूरी रिपोर्ट…
सबसे पहले जानिए, हत्या वाले दिन क्या हुआ
जयपाल पूनियां शनिवार को बिजली विभाग में 45 हजार रुपए की वीसी भरने आया था। पहले वह सेटलमेंट के लिए लोक अदालत गया और वहां से सीधा डिस्कॉम चला गया। हत्यारों ने सब कुछ पहले से प्लान कर रखा था। एक बिना नंबर की बोलेरो कुछ दूरी पर खड़ी थी। जैसे ही पूनिया डिस्कॉम से निकलकर जाने लगा, बदमाशों ने अपनी बोलेरो उसकी गाड़ी के आगे लगा दी। पूनियां कुछ समझ पाता, इससे पहले बोलेरो से 5-6 बदमाश उतरे और उसकी गाड़ी का शीशा तोड़ दिया। बदमाशों ने पिस्टल निकाली और पूनियां की सीने और पेट में दो गोलियां मारी। इसके बाद शूटर बोलेरो में बैठकर फरार हो गए।
आंखों देखी: पटाखों की आवाज सुनकर दौड़ा
बाइक शोरूम पर काम करने वाले किशन ने बताया कि वह दोपहर में बाइक की सर्विस कर रहा था। तभी तेज आवाज आई, मुझे लगा किसी ने पटाखा फोड़ा होगा। शोरूम से बाहर निकला तो देखा कुछ लोग एक गाड़ी में तोड़फोड़ कर रहे हैं। उस गाड़ी के पास एक बोलेरो खड़ी थी। एक युवक के हाथ में पिस्टल थी। मैं कुछ समझ पाता, इससे पहले एक के बाद एक दो गोलियां चल गई। कुछ ही सेकेंड बाद बदमाश गाड़ी में बैठे और वहां से फरार हो गए। मैं घटनास्थल पर पहुंचा तब तक वहां 300-400 लोगों की भीड़ जमा हो गई थी। कुछ लोग जयपाल पूनिया को गाड़ी से निकाल कर अस्पताल ले जाने लगे। वे पूरी तरह से खून से सने हुए थे। मैं बहुत डर गया था, इसलिए किसी को कुछ नहीं बताया।
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मर्डर की 2 बड़ी वजह
1. नमक कारोबार : जयपाल पूनिया नमक कारोबारी था। 15 साल पहले हरियाणा से आया था। कुछ समय में उसने लोगों के बीच अच्छी पहचान बना ली थी। धर्म-कर्म में लोगों के साथ रहता था। नमक के कारोबार के कारण मोती सिंह से छोटी-छोटी बातों को लेकर अनबन होने लग गई थी।
2. राजनीति : हत्या का आरोपी मोती सिंह कांग्रेस से जुड़ा हुआ था और जयपाल पूनिया भाजपा से जुड़ा हुआ था। वह भाजपा किसान मोर्चा का अध्यक्ष था। पिछले चुनाव में भी विजय सिंह के भी खुलकर साथ रहा था। ऐसे में दोनों के बीच में राजनीति वर्चस्व की भी लड़ाई थी।
पुलिस जानती थी- मुठभेड़ हो सकती है
जयपाल के ताऊ विजय सिंह ने बताया कि नमक के कारोबार में जयपाल पूनिया और मोती सिंह के बीच में लंबे समय से अनबन चल रही थी। दोनों के बीच में आपस में कई मुकदमे दर्ज हुए। जयपाल को घाटे के कारण मोहनपुरा में रिफाइनरी बंद करनी पड़ गई। विजय सिंह ने बताया कि पुलिस को भी दोनों के बीच के अनबन के बारे में पता था। पुलिस को ये भी आशंका थी कि दोनों के बीच मुठभेड़ हो सकती है। मोती सिंह ने परेशान होकर जयपाल को निपटाने की योजना बनाई। विजय सिंह ने आरोप लगाया कि मोती सिंह ने बहन के देवर कुलदीप सिंह को पूरी बात कहीं। तब कुलदीप सिंह ने जयपाल की हत्या की प्लानिंग की।
हरियाणा से बुलाए गए शूटर
पुलिस से जुड़े सूत्रों का कहना है कि जयपाल की हत्या पूरी प्लानिंग के साथ की गई। मोती सिंह ने कुलदीप हरियाणा से शूटर बुलाने की जिम्मेदारी दी। फिर रेकी के लिए भी फिरोज व हारून खान को लगाया गया। शूटर शुक्रवार को ही हरियाणा से नावां आ चुके थे। शुक्रवार को पूरे दिन जयपाल की रैकी की गई। पहले शुक्रवार को ही मर्डर की प्लानिंग थी, लेकिन शूटर इसमें सफल नहीं हुए। इसके बाद शनिवार का दिन तय किया गया।
शूटर्स को मोती सिंह ने अपने राजास के प्लांट पर ही रूकवाया था। यहां तक कि रैकी कर रहे फिरोज का फोन बार-बार मोती सिंह व ड्राइवर हनुमान ही उठा रहा था। हत्या के तुरंत बाद बदमाश बोलेरो से फरार हो गए। माना जा रहा है कि बदमाश हरियाणा की ओर ही निकल गए।
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हत्या के बाद मोती सिंह जयपुर पहुंचा
डिप्टी ने बताया कि शूटर जयपाल की हत्या के बाद बिना नंबरों की बोलेरो से फरार हो गए। एंबुलेंस से जयपाल को जयपुर रेफर कर दिया गया। हत्या के बाद एंबुलेंस के पीछे-पीछे मोतीसिंह भी जयपुर चला गया। हनुमान भी मोतीसिंह के साथ था और गाड़ी चला रहा था। बताया जा रहा है कि दोनों जयपाल को देखने के लिए जा रहे थे कि वह जिंदा है या फिर मर गया है। बाद में पुलिस ने मोती सिंह को जयपुर से ही गिरफ्तार किया था। पुलिस वारदात में शामिल दूसरे शूटरों की तलाश कर रही है।
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