जब घर के खाने से बोरियत होने लगती है तो लोग ढाबे का रुख करते हैं। अपने फेवरेट ढाबे पर पहुंचते ही आपने भी स्पेशल तड़का दाल, तंदूरी रोटी, चटनी, स्पेशल लस्सी वगैरह कई डिलीशियस मेन्यू जरूर ट्राई किए होंगे। कई ढाबे तो मशहूर ही इस बात के लिए होते हैं कि वहां की दाल या किसी और चीज का स्वाद बड़ा गजब का है, लेकिन राजस्थानी जायका कि इस कड़ी में हम आपको ऐसे ढाबे पर ले चलेंगे, जहां एक लजीज पकवान खाने ऐश्वर्या राय से लेकर सलमान खान, धर्मेन्द्र जैसे सुपर स्टार भी आ चुके हैं...
नान और उसमें मावा का कॉम्बिनेशन सुनते ही आपका दिमाग भी चकरा जाएगा कि भला ये कैसे संभव है। क्योंकि तंदूरी नान में मावा की स्टफिंग और सिकाई बड़ा ही मुश्किल काम है। तंदूर के अंदर से 3-4 में से 1 ही मावा नान कामयाब होकर बाहर निकलता है, लेकिन जबरदस्त स्वाद वाला ये नान ही इस ढाबे की शान है। भास्कर ऐप यूजर्स की रिक्वेस्ट पर हमारी जायका टीम सीकर रोड स्थित शर्मा ढाबे पर पहुंची। एक चाय की थड़ी से शुरू हुआ सफर आज करोड़ों के कारोबार में बदल गया है।
ढाबे का मैनेजमेंट देख रहे मुकेश शर्मा ने बताया कि उनके दादा ने ही मावा नान का कांसेप्ट शुरू किया था। आमतौर पर ढाबों में मिठाई नहीं मिलती। ग्राहकों को खाने के साथ मीठा परोसने के लिए मावा नान बनाने की शुरुआत की थी। मावा नान को सही शेप में लाने में डेढ़ साल लग गए। तंदूर की गर्मी में मावा पिघलकर पूरा नान खराब कर देता था।
कड़ी मेहनत के बाद मावा नान बनकर तैयार हुई। मुकेश शर्मा के मुताबिक आज भी मावा नान सही बनने का रेशों काफी कम है। अगर हम तीन-चार कोशिश करते हैं तो उनमें से सिर्फ एक नान ही पूरी तरह पक कर भट्ठी से बाहर आ पाता है। इसलिए हम कस्टमर से ऑर्डर से लेने से पहले ही मावा नान बनाने में लगने वाले समय की जानकारी देते है। ताकि नान का इंतजार उन्हें लम्बा न लगे।
चाय की थड़ी से 'फाइव स्टार' स्टाइल ढाबा
साल 1973 में रामपाल शर्मा ने सीकर रोड पर एक चाय की थड़ी से शुरुआत की थी। थड़ी में ही उन्होंने मिठाई बेचना भी शुरू किया। सीकर रोड पर तब यात्रियों के खाने की कोई व्यवस्था नहीं थी। ऐसे में रामपाल ने मिठाई की दुकान बंद कर 1988 में ढाबा खोला। बेहतरीन स्वाद के चलते शर्मा ढाबा ऐसा मशहूर हुआ कि स्वाद के दिवानों को ऑर्डर के लिए घंटों इंतजार करना पड़ता था। आज चाय की थड़ी का सफर एक फाइव स्टार ढाबे में तब्दील हो गया है। अब सीकर रोड पर ही दो नई ब्रांच भी खुल गई हैं।
300 रुपए का एक, लाखों का कारोबार
मावा नान का एक पीस 300 रुपए में मिलता है। जिसका औसतन वजन लगभग आधा किलो होता है। इस नाम को 4 से 5 लोग आसानी से खा सकते हैं। शर्मा ढाबे पर हर दिन 300 से 500 लोग खाना खाने आते हैं। इसमें से10 से 15% के आस-पास ऑर्डर केवल मावा नान के होते हैं। एक अनुमान के मुताबिक साल भर में 1 करोड़ से ज्यादा का कारोबार केवल मावा नान से हो जाता है।
शर्मा ढाबे पर सिर्फ मावा नाम ही नहीं बल्कि 11 तरह की नान मिलते हैं। जिन्हें खाने के लिए न सिर्फ जयपुर और राजस्थान बल्कि देशभर से लोग आते हैं। इनमें मावा नान, अजवाइन नान, गार्लिक नान, लच्छा पराठा, पनीर नान, आलू मसाला नान, स्टफ्ड पराठा शामिल हैं।
सेलिब्रिटी भी मावा नान के दीवाने
मुकेश बताते हैं कि मावा नान खाने आम जनता के साथ-साथ बॉलीवुड सेलिब्रिटी और पॉलिटिशियन भी उनके ढाबे पर आते हैं। सलमान खान, ऐश्वर्या राय, धर्मेंद्र देओल, मुकेश खन्ना, अक्षय कुमार, सनी देओल, जेपी दत्ता जैसे बॉलीवुड स्टार्स सहित मुख्यमंत्री से लेकर कई केंद्रीय मंत्री तक मावा नान के मुरीद हैं।
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