ब्राजील में एक अनोखी घटना हुई। यहां थर्ड ईयर की एक मेडिकल स्टूडेंट गैबरिएला बारबोजा काे प्रोफेसर ने गर्दन के ट्यूमर की जांच कैसे की जाती है, यह बताने के लिए उसे मदद करने के लिए कहा। गैबरिएला ने वहां मौजूद सभी स्टूडेंट के सामने जांच के लिए मरीज बनकर अपनी भूमिका अदा की।
जब क्लास खत्म हुई ताे प्रोफेसर ने उसकी गर्दन में कुछ परेशानी वाले लक्षण देखे और जांच करवाने के लिए कहा। गैबरिएला ने उनकी सलाह पर जांच करवाई ताे पता चला कि उसे पैपिलरी थायरॉयड कार्सिनोमा (PTC) है, जाे थायरॉयड कैंसर का सबसे आम प्रकार है।
सबसे पहले प्रोफेसर डॉ. डेनियल लिचेंथेलर ने गैबरिएलाके गले में कैंसर के लक्षण देखे थे।
जेनेटिक कारणों से भी जुड़ा होता है PTC
गैबरिएला ने एक भावुक पोस्ट में कहा- जब मुझे कैंसर का पता चला तो मेरे तमाम उम्मीद भरे सपने भरभराकर ढह गए। तब मेरे प्रोफेसर ने मुझे हौसला दिया। कहा- ‘PTC सबसे आम बीमारी है। हालांकि, उन्होंने मुझे यह भी समझाया कि यह क्यों होता है और इसका कारण क्या है। यह कुछ जेनेटिक कारणों से भी जुड़ा होता है। अन्य कैंसर के लिए रेडिएशन से जटिलताएं आ सकती हैं लेकिन तुम्हारे इलाज में ऐसा नहीं होगा क्योंकि यह बेहदर धीमी गति से चल रहा है। तुम इलाज से पूरी तरह ठीक हो सकती हो इसलिए घबराने जैसी कोई बात नहीं है।
क्या हैं PTC के लक्षण
इसे इलाज से पूरी तरह से ठीक किया जा सकता है। उन्होंने कई रिसर्च पेपर भी बताए। यह लक्षण पैदा नहीं कर सकता है, लेकिन जैसे-जैसे बीमारी बढ़ती है यह एक गांठ की तरह उभरने लगता है और निगलने और सांस लेने में कठिनाई और गले में खराश पैदा कर सकता है।
यह तस्वीर गैबरिएला ने कैंसर के इलाज के दौरान अपने इंस्टाग्राम हैंडल पर शेयर की थी।
गैबरिएला ने नहीं मानी हार
गैबरिएला ने कहा- जब तक मुझे कैंसर का पता चला, तब तक वह मेरी गर्दन के अन्य हिस्सों में फैल चुका था। यह मेरी ग्रासनली तक आ चुका था। फिर भी मैंने अपने थायरॉयड और गर्दन के अन्य ट्यूमर को हटवाए। आयोडीन थेरेपी से कैंसर कोशिकाओं को मारने के लिए इसका इलाज करवाया। मैंने तय कर लिया था कि मैं इतनी जल्द हार नहीं मानूंगी। आखिरकार मेरा हौसला जीत गया और 2021 में मैं कैंसर से पूरी तरह से ठीक हो गई।
इलाज के समय थायरॉयड और गर्दन के अन्य ट्यूमर को हटया गया।
जिंदा हूं प्रोफेसर के कारण जिन्होंने मुझे मरीज के रूप में चुना
ठीक होने के बाद गैबरिएला ने कहा कि अगर मैं आज जिंदा हूं ताे सिर्फ अपने प्रोफेसर की वजह से, जिन्होंने मुझे कक्षा में एक मरीज बनकर जांच करने के लिए चुना। मैं उनकी ताउम्र आभारी रहूंगी क्योंकि अगर मैं उस दिन कक्षा में नहीं जाती ताे शायद मुझे इतनी जल्दी पता ही नहीं चलता कि मुझे यह बीमारी है। मुझे इलाज में और अधिक समय लगता। अगर उस दिन यह जांच नहीं होती और समय निकल गया हाेता ताे आज मैं दुनिया के सामने पूरी तरह ठीक होकर अपनी खुशी का इजहार भी नहीं कर पाती।