मार्च में भारत की फ्यूल डिमांड तीन साल के उच्च स्तर पर पहुंच गई। ऑयल मिनिस्ट्री के पेट्रोलियम प्लानिंग एंड एनालिसिस सेल के 9 अप्रैल के आंकड़ों से पता चलता है कि पिछले साल मार्च में फ्यूल डिमांड 18.62 मिलियन टन थी जो इस साल समान अवधि में 4.2% बढ़कर 19.41 मिलियन टन हो गई। ये मार्च 2019 के बाद से सबसे ज्यादा है। मार्च 2019 में फ्यूल डिमांड 19.56 मिलियन टन थी।
ऑलटाइम हाई पर पेट्रोल की बिक्री
पेट्रोल की बिक्री तो ऑलटाइम हाई पर पहुंच गई है। आंकड़ों के अनुसार, मार्च 2021 में पेट्रोल की खपत 2.74 मिलियन टन थी जो मार्च 2022 में बढ़कर 2.91 मिलियन टन हो गई। डीजल की बात करें तो मार्च 2021 में 7.22 मिलियन टन डीजल की बिक्री हुई थी जो मार्च 2022 में बढ़कर 7.70 मिलियन टन हो गई।
दाम बढ़ोतरी की संभावना से बढ़ी डिमांड
यूबीएस एनालिस्ट जियोवानी स्टानोवो ने ऑयल डिमांड में बढ़ोतरी की वजह कीमतों में बढ़ोतरी की संभावना को बताया। उन्होंने कहा कि कई लोगों ने दाम बढ़ने की संभावना को देखते हुए मार्च में ज्यादा फ्यूल खरीदा। अब आने वाले महीनों में इकोनॉमी के बढ़ने के साथ ऑयल डिमांड में और ज्यादा सुधार की पूरी-पूरी संभावना है।
रूस से खरीदा सस्ता कच्चा तेल
भारत कच्चे तेल की 85% से ज्यादा आपूर्ति के लिए अन्य देशों पर निर्भर है। यही वजह है कि सस्ता कच्चा तेल खरीदने के लिए भारत ने अब रूस की ओर रुख किया है जहां से भारत को भारी डिस्काउंट में तेल मिल रहा है। रॉयटर्स की एक रिपोर्ट के अनुसार, भारतीय रिफाइनर ने मई लोडिंग के लिए कम से कम 16 मिलियन बैरल सस्ता रूसी तेल खरीदा है।