आजादी के बाद देसी रियासतों का विलय करने में देश के पहले डिप्टी पीएम सरदार वल्लभ भाई पटेल ने बड़ी भूमिका निभाई थी। पटेल ने रियासती मंत्रालय के मंत्री होने के नाते राजाओं से बातचीत कर उन्हें विलय के लिए तैयार किया। राजस्थान की 19 बड़ी रियासतों और तीन ठिकानों का विलय करने में पटेल का बड़ा रोल था। जोधपुर रियासत के राजस्थान में विलय को लेकर कई किस्से अब तक चर्चित हैं, जिनका उल्लेख उस समय के नेताओं ने किया है।
सीमावर्ती इलाका होने के कारण मोहम्मद अली जिन्ना जोधपुर को पाकिस्तान में मिलाने की कोशिश कर रहा था। जिन्ना ने जोधपुर के तत्कालीन महाराजा हनुवंत सिंह को कई चिट्ठियां लिखकर पाकिस्तान में बड़ा पद देने, स्टेट की ऑटोनोमी सहित कई लुभावने ऑफर दिए। इस तरह की बातें सरदार पटेल तक भी पहुंचीं। सरदार पटेल ने जिन्ना की योजनाओं पर पानी फेर दिया। जोधपुर की तत्कालीन राजमाता भी भारत में रहने की पक्षधर थीं, पटेल के समझाने के बाद महाराज ने विलय के समझौते पर हस्ताक्षर कर दिए थे।
जोधपुर महाराजा ने मीटिंग में मेनन पर तान दी थी पिस्टल
जोधपुर रियासत के विलय को लेकर दिल्ली में तत्कालीन महाराजा हनुवंत सिंह, सरदार पटेल, रियासती मामलों के सचिव वीपी मेनन और माउंटबैटन के बीच कई दौर की बैठकें हुईं। विलय से पहले इसी तरह की एक बैठक में वीपी मेनन की किसी बात पर जोधपुर महाराजा को गुस्सा आ गया और उन्होंने पिस्टल तान दी। वीपी मेनन ने अपनी किताब ‘द इंटीग्रेशन ऑफ इंडियन स्टेट्स'’ में इस घटना का जिक्र किया है।
जोधपुर रियासत के राजस्थान में विलय को लेकर कई किस्से अब तक चर्चित हैं।
मेनन की किताब के मुताबिक जोधपुर रियासत के विलय की बातचीत के दौरान तत्कालीन वायसराय लार्ड माउंटबैटन अपने कमरे से बाहर चले गए तो महाराजा ने अपनी पिस्टल निकाली और मेनन की तरफ तानते हुए कहा, 'मैं तुम्हारे दबाव में झुकने वाला नहीं हूं। इस पर मेनन ने महाराजा से कहा कि इस तरह के बर्ताव और गीदड़ भभकी से कोई लाभ होने वाला नहीं है। यदि आप सोचते हैं कि मुझे मारने अथवा धमकी देने से जोधपुर का भारत संघ में विलय का फैसला रद्द हो जाएगा तो ये भयंकर भूल है।' इसी बीच माउण्टबैटन वापस कमरे में आ गए, उन्होंने सुना तो पूरी घटना को ही हंसी में टाल दिया।
पाकिस्तान ने एक्ट्रेस को जोधपुर भेजा था, पटेल ने महाराजा को समझाया था
कांग्रेस के पूर्व प्रदेशाध्यक्ष और गांधीवादी गोकुलभाई भट्ट ने भी राजस्थान के एकीकरण में सरदार पटेल के साथ काम किया था। राजस्थान हिंदी ग्रंथ अकादमी से प्रकाशित गोकुलभाई भट्ट की जीवनी में उनका 1986 में लिया हुआ एक इंटरव्यू प्रकाशित हुआ है। इस इंटरव्यू में गोकुलभाई भट्ट ने कहा था- तब जोधपुर का मामला बहुत पेचीदा हो रहा था, क्योंकि जोधपुर के महाराजा का पाकिस्तान के साथ पत्र व्यवहार हुआ था। समझौते का मसौदा भी तैयार हो गया था, वहां से कुछ एक्ट्रेस भी भेजी गई थीं। इस तरह से बहुत कुछ हुआ था। सरदार पटेल ने जोधपुर महाराजा को दिल्ली बुलाकर समझाया- पाकिस्तान के साथ जाना है आपको? अगर आपको जाना है तो आपको भेज दूं, रियासत नहीं जाएगी।
राजमाता ने कहा था- हमें तो भारत के साथ रहना है
गोकुल भाई भट्ट ने कहा था- राजमाता को जब यह पता लगा तो उन्होंने मुझसे कहा, "व्यक्तिगत रूप से गोकुलभाई आप ही ध्यान रखिए कि कोई ऐसी बात न हो। अपने को तो देश के साथ, भारत के साथ रहना है और मेरे लड़के ने कुछ भी किया हो या नहीं किया हो, उसे भूल जाना चाहिए। सरदार साहब उसके ऊपर इतना कुछ ना करें।" मेरे सिर पर हाथ रखिए और इसमें मदद करें। जोधपुर महाराजा ने पटेल की बात को मान लिया और भारत संघ में विलय के पत्र पर हस्ताक्षर कर दिए।