नाथी का बाड़ा…राजस्थान की राजनीति में पिछले एक साल के दौरान इन 3 शब्दों का इस्तेमाल सबसे ज्यादा हुआ है। पक्ष हो या विपक्ष सबसे अपने हिसाब से इसे तंज की तरह इस्तेमाल किया। इसकी शुरुआत से सबसे पहले तत्कालीन शिक्षामंत्री गोविंदसिंह डोटासरा ने की। पिछले साल अप्रैल में अपने घर पर ज्ञापन देने आए चार स्कूल लेक्चरर पर गुस्सा हो गए थे। मंत्री झल्लाते हुए बोले- तुम मेरे निजी आवास पर कैसे आए? शिक्षा मंत्री के घर को 'नाथी का बाड़ा' समझ लिया। इसके बाद इस तंज का सिलसिला शुरू हो गया। सैकड़ों मीम्स बने। इस बार इन शब्दों की गूंज विधानसभा में सुनाई दी। जब राजस्थान पर्यटन व्यवसाय संशोधन विधेयक पर चर्चा के दौरान उपनेता प्रतिपक्ष राजेन्द्र राठौड़ ने नाथी का बाड़ा का मामला उठाते हुए पूर्व शिक्षा मंत्री गोविंदसिंह डोटासरा पर कटाक्ष करते हुए कहा कि नाथी के बाड़े को पर्यटन स्थल घोषित कर देना चाहिए। इस मुद्दे पर दोनों में बहस हो गई।
सदन में विपक्ष और सोशल मीडिया पर ट्रोलिंग का शिकार हुए डोटासरा ने आखिर एक साल बाद नाथी का बाड़ा वाले अपने बयान पर सफाई दी। उन्होंने कहा नाथी बाई एक उदार और बाल विधवा महिला थीं। लोगों की हमेशा मदद करती थीं। ये लोकोक्ति है, जिसका उपयोग मैंने टीचर्स को समझाने के लिए किया था।
…पक्ष-विपक्ष की मंशा चाहे जो भी हो, लेकिन लोगों की उत्सुकता इतनी बढ़ गई कि गूगल मैप पर नाथी का बाड़ा ढूंढ़ने लगे। सोशल मीडिया यूजर्स ने मनगढ़ंत कहानियां वायरल करनी शुरू कर दी। ऐसे में भास्कर पहुंचा नाथी के घर तक। नाथी का बाड़ा पाली जिले के रोहट तहसील में भांगेसर गांव में हैं, जो रोहट से महज 30-32 किलोमीटर की दूरी पर हैं। पढ़िए- 102 साल पहले दिवंगत हुईं नाथीबाई की असली कहानी, उन्ही के अपनों की जुबानी।
तालाब किनारे है नाथी की समाधि
भांगेसर गांव के तालाब किनारे नाथी बाई की समाधि है। जहां आज भी चबूतरा बना हुआ है। नाथी बाई का घर जिस गली में हैं, वहां नाथी बाई की ओर से एक जरूरतमंद बेटी की शादी के समय व्रत पालन के दौरान बनवाया गया चबूतरा आज भी हैं। इसके साथ ही नाथी बाई का खेत भी है, जिससे होने वाली उपज-आमदनी से वह लोगों की मदद करती थीं।
(फोटो-वीडियो: शुभम कंसारा, रोहट)