कर्नाटक में मुस्लिम लड़कियों के हिजाब को लेकर बवाल बढ़ गया है। राज्य के अन्य हिस्सों में भी इस कंट्रोवर्सी की गूंज सुनाई दे रही है। यहां तक कि सांप्रदायिक रूप से संवेदनशील मुद्दे पर अब देश के अन्य हिस्सों में भी राजनीतिक घमासान मच गया है, लेकिन आपको बता दें कि इस विवाद में जिस ड्रेस कोड की बात हो रही है, कॉलेजों में तो वह जरूरी ही नहीं है।
आइए जानते हैं कि हिजाब को लेकर कंट्रोवर्सी कैसे शुरू हुई? इस विवाद में स्कूल और कॉलेजों के शामिल होने की क्या वजह है?
उडुपी के कॉलेज से शुरू हुआ विवाद हाईकोर्ट पहुंचा
- उडुपी के गवर्नमेंट पीयू कॉलेज में हिजाब पहनने के कारण छह छात्राओं को क्लास में नहीं आने दिया गया था। इन छात्राओं ने 31 दिसंबर 2021 को विरोध प्रदर्शन किया। उन्होंने दावा कि कि कॉलेज उन्हें पिछले 15 दिनों से क्लास में शामिल नहीं होने दे रहा है।
- इसके बाद उडुपी के भाजपा विधायक और कॉलेज की डेवलपमेंट कमेटी के प्रमुख रघुपति भट ने पेरेंट्स और बाकी स्टेकहोल्डर्स के साथ मीटिंग की। मीटिंग के बाद विधायक ने सभी छात्र और छात्राओं से कॉलेज के ड्रेस कोड का पालन करने को कहा।
- इसके बाद प्रदर्शन कर रही छह छात्राओं ने विरोध स्वरूप क्लास से दूर रहने का फैसला किया। इन छात्राओं ने कर्नाटक हाईकोर्ट में इसके विरोध में याचिका दायर की। साथ ही नेशनल ह्यूमन राइट्स कमीशन यानी NHRC से भी संपर्क किया।
कैसे इस विवाद में दूसरे एजुकेशनल इंस्टीट्यूशन शामिल हो गए?
- उडुपी में कंट्रोवर्सी के बाद कुंडापुरा के गवर्नमेंट प्री यूनिवर्सिटी कॉलेज में लड़कों का एक समूह हिजाब पहनकर क्लास में आने वाली कुछ लड़कियों के विरोध में भगवा शॉल पहनकर आ गया।
- कुंडापुरा के विधायक हलादी श्रीनिवास शेट्टी ने पेरेंट्स के साथ बैठक की। इसके बाद उन्होंने कहा कि जब तक सरकार इस मुद्दे पर अंतिम निर्णय नहीं ले लेती, तब तक छात्रों को कॉलेज के ड्रेस कोड का पालन करना चाहिए।
- विधायक ने कहा कि पिछले करीब पांच दिन से कॉलेज की कुछ छात्राएं हिजाब पहनकर क्लास में आ रही हैं।
- दूसरी ओर छात्राओं ने कहा कि हिजाब पर रोक लगाने के लिए ड्रेस कोड में अचानक बदलाव के बाद उन्हें क्लास से बाहर रहने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता।
- हालांकि हिजाब पहनने वाली छात्राओं के विरोध में कई छात्र भगवा शॉल पहन कर आ रहे हैं, लेकिन उन्हें भी क्लास में प्रवेश करने से रोक दिया गया है।
- इन दो कॉलेज में इस तरह के विवाद के बाद तटीय कर्नाटक के उडुपी जिले के कई कॉलेजों में ऐसे मामले सामने आए हैं।
- चिकमगलूर में उस समय विवाद ने एक नया मोड़ ले लिया, जब IDSG गवर्नमेंट फर्स्ट ग्रेड कॉलेज के छात्र नीली शॉल पहनकर पहुंचे। उन्होंने जय भीम के नारे लगाए और मुस्लिम छात्राओं के समर्थन में आवाज उठाई। छात्रों के इस समूह ने कहा कि वे धार्मिक प्रथा के तहत कॉलेजों में हिजाब पहनने के समर्थन में हैं।
कर्नाटक सरकार ने अब तक क्या किया?
- कर्नाटक सरकार ने इस विवाद के बाद एक आदेश जारी किया है। इसमें कहा गया कि छात्रों को कॉलेज डेवलपमेंट कमेटी की ओर से जारी ड्रेस कोड का पालन करना होगा।
- प्राइमरी एंड सेकेंडरी एजुकेशन मिनिस्टर बीसी नागेश ने कहा कि कर्नाटक एजुकेशनल एक्ट 2013 और 2018 के तहत बनाए गए नियमों ने शैक्षणिक संस्थानों को छात्रों के लिए ड्रेस कोड निर्धारित करने का अधिकार दिया है।
- शिक्षा विभाग ने इन नियमों के आधार पर एक सर्कुलर जारी किया है और छात्रों से अपील की है कि जब तक इस मामले में हाईकोर्ट का फैसला नहीं आ जाता, तब तक वे कॉलेजों द्वारा निर्धारित यूनिफॉर्म नियमों का पालन करें।
- हालांकि कॉलेजों में डेस कोड अनिवार्य नहीं है, लेकिन कॉलेज डेवलपमेंट कमेटियां अक्सर स्थानीय विधायकों की अध्यक्षता में उडुपी और अन्य जिलों में हिजाब पर प्रतिबंध लगाने सहित एक ड्रेस कोड लागू करने पर जोर देती रही हैं।
- वहीं, हाईकोर्ट में याचिका दायर करने वाले छात्रों का कहना है कि 2021-22 की एकेडमिक गाइडलाइंस में प्री-यूनिवर्सिटी कॉलेजों के लिए कोई यूनिफॉर्म तय नहीं की गई है। उनका कहना है कि गाइडलाइंस में यहां तक कहा गया है कि अगर कोई कॉलेज यूनिफॉर्म तय करता है तो उसके खिलाफ विभाग सख्त कार्रवाई करेगा।