‘10 साल में यहां हिंदू और मुस्लिमों के बीच फासला बहुत बढ़ गया है। यहां नए मंदिर बन रहे हैं। RSS के लोग बहुत एक्टिव हैं। अब तो दोनों ओर के लोग आपस में ज्यादा बात भी नहीं करते।’
बहरामपुर के शक्तिपुर में रहने वाले उमर अली तीन लाइन में यहां का माहौल बता देते हैं। यही माहौल फिलहाल चुनाव का सबसे बड़ा मुद्दा है। पश्चिम बंगाल के बहरामपुर में 13 मई को चौथे फेज में वोटिंग है। उमर की जिस जगह इलेक्ट्रॉनिक्स की दुकान है, वहां 17 अप्रैल को रामनवमी पर हिंसा भड़क गई थी। मामला कलकत्ता हाईकोर्ट तक पहुंचा।
24 अप्रैल को हुई सुनवाई में हाईकोर्ट ने कहा, ‘अगर लोग 8 घंटे कोई त्योहार शांति से नहीं मना सकते, तो हम चुनाव आयोग से सिफारिश करेंगे कि ऐसे इलाकों में चुनाव न कराए। अगर आचार संहिता लागू होने के बावजूद दो समुदायों के लोग इस तरह लड़ रहे हैं, तो उन्हें वोट देने का अधिकार नहीं है।’
हालांकि, चुनाव अभी टले नहीं हैं। BJP शक्तिपुर में उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सभा कराने वाली है। ये सभा कल, यानी 30 अप्रैल को होगी।
बहरामपुर सीट पर 66.27% मुस्लिम वोटर हैं। TMC ने यहां से पूर्व क्रिकेटर यूसुफ पठान को टिकट दिया है। BJP की तरफ से डॉ. निर्मल साहा कैंडिडेट हैं। दोनों ही पार्टियां कांग्रेस के अधीर रंजन चौधरी से ये सीट छीनना चाहती हैं, जो 5 बार से सांसद हैं।
रामनवमी पर हिंसा और पठान की एंट्री का असर तीन पॉइंट्स में समझिए
1. हिंसा का असर रेजीनगर, भरतपुर और कांदी विधानसभा में दिख रहा है। बीते दो साल से यहां लगातार सांप्रदायिक घटनाएं हो रही हैं। यहां RSS, BJP और VHP की एक्टिविटी बढ़ी है।
2. हिंसा के बाद अधीर रंजन चौधरी लोगों से मिलने नहीं गए। इस बात से वे नाराज हैं। ये गुस्सा चुनाव में उनके खिलाफ जा सकता है।
3. TMC ने यूसुफ पठान को उतारकर मुकाबला त्रिकोणीय बना दिया है। अगर वे मुस्लिम वोट बैंक में सेंध लगा पाए, तो TMC और BJP के जीतने का मौका बन सकता है।
बहरामपुर के शक्तिपुर में 5 दिन में दो बार बिगड़ा माहौल
13 अप्रैल: जुलूस पर अटैक, मस्जिद में तोड़फोड़
शक्तिपुर में माहौल बिगड़ने की शुरुआत 13 अप्रैल से हुई। आरोप है कि यहां पहले शिवभक्तों पर हमला किया गया। इसके बाद गाजीपाड़ा में मस्जिद पर हमला हुआ। इस मामले में दोनों पक्षों के अलग दावे हैं।
शाखाराव सरकार BJP के मुर्शिदाबाद जिलाध्यक्ष हैं। वे बताते हैं, ‘13 अप्रैल को शिवभक्तों पर हमले के बाद हिंसा भड़की थी। मैं मौके पर पहुंचा, तब मस्जिद की खिड़की और दरवाजा टूटा हुआ था। रामनवमी से पांच दिन पहले ही शक्तिपुर में दंगा शुरू हो गया था। पुलिस को पता था कि ये इलाका संवेदनशील है।’
‘उस दिन शिवजी की पूजा करके भक्त शाम को घर लौट रहे थे। रास्ते में मस्जिद के पास चाय की दुकान पर कुछ मुस्लिम भाई मौजूद थे। उन्होंने नारे लगा रहे शिव भक्तों को चुपचाप निकलने के लिए कहा। बात न मानने पर हमला कर दिया। इसके बाद सांप्रदायिक हिंसा भड़क गई।’
वहीं, गाजीपाड़ा में लोग अलग बात बताते हैं। मस्जिद के पास रहने वाले मिराज शेख कहते हैं, 'BJP के लोग हिंदू संगठनों को लेकर बहरामपुर आए हैं। 13 अप्रैल को वे जुलूस निकाल रहे थे। मस्जिद के बाहर खड़े होकर ढोलक बजा रहे थे। 'जय श्री राम' का नारा लगा रहे थे।'
'एक बच्चा मस्जिद से निकलकर आया। उसने ढोल बजाने से मना किया। कहा कि मस्जिद के सामने गाना मत बजाओ। इस पर एक आदमी ने बच्चे को बैट से मारा। मैंने पुलिस को कॉल किया। पुलिस तीन घंटे बाद आई। तब तक वे हमारी मस्जिद तोड़ चुके थे।'
17 अप्रैल: झंडा हटाने पर विवाद, छतों से पत्थरबाजी
गाजीपाड़ा की घटना के बाद शक्तिपुर में 17 अप्रैल को दोबारा हिंसा हुई। आरोप है कि यहां रामनवमी के जुलूस पर पथराव किया गया। मामला पहले लोकल पुलिस से CID और फिर NIA को सौंप दिया गया। शक्तिपुर थाना इंचार्ज बिस्वजीत के मुताबिक, इस केस में अब तक 9 लोगों की गिरफ्तारी हुई है।
शक्तिपुर के रहने वाले अरविंद बिस्वास रामनवमी की रैली में शामिल थे। वे बताते हैं, ‘रैली शक्तिपुर हाईस्कूल के सामने से निकल रही थी। यहीं एक झंडा लगा था। किसी ने वो झंडा तोड़ दिया। हम स्कूल से 500 मीटर ही आगे बढ़े थे कि एक मकान के पीछे से हम पर पत्थर फेंके गए। पत्थर कौन फेंक रहा था, ये पता नहीं चल रहा था। फिर छत से पत्थर और बम फेंके गए। स्थिति संभालने के लिए पुलिस ने आंसू गैस के गोले दागे।'
मुस्लिम बोले- रैली में शामिल लोगों ने पत्थर फेंके
स्कूल के पास हिंसा की शुरुआत वाली जगह हमें उमर अली मिले। यहां उनकी इलेक्ट्रॉनिक्स शॉप है। उमर बताते हैं, ‘रामनवमी से पहले गाजीपाड़ा में दंगा हुआ था। इसलिए पुलिस ने रामनवमी से एक रात पहले सभी को दुकान बंद रखने के लिए कहा था। 2 बजे सारा बाजार बंद हो गया। 4 बजे रैली शुरू हुई।’
‘स्कूल के पास कुछ लोगों ने ईद का झंडा फाड़ दिया। पुलिस ने उन लोगों को मारा भी था। कहासुनी के बाद रैली आगे चली गई। रैली वापस घूमकर आई, तो चिनारपाड़ा में रैली पर पत्थरबाजी हुई।'
हम 500 मीटर आगे उस बस्ती में पहुंचे, जहां पत्थरबाजी हुई थी। यहां के लोगों का आरोप है कि हथियार लेकर आई भीड़ बस्ती में घुस आई थी। बस्ती के अंजुल इस्लाम बताते हैं, 'रामनवमी की रैली में शामिल लोगों ने हमारी तरफ पत्थर फेंके। पुलिस ने भी हमारी तरफ आंसू गैस छोड़ी। भीड़ मेरे घर से पैसा, सोना और राशन का सामान ले गई। इनमें लोकल का कोई आदमी नहीं था, सब बाहर से आए थे।'
ये वीडियो गाजीपाड़ा के लोगों ने शेयर किया है। इसमें लोग पत्थर फेंकते दिख रहे हैं। बगल में ही फोर्स के जवान भी खड़े हैं।
इस मामले में दुखचंद शेख और नुशरत शेख की गिरफ्तारी हुई है। दोनों उस दिन सिविल पुलिस ड्यूटी पर थे। दुखचंद की पत्नी नास्मीना बताती हैं, 'हिंसा भड़की तो मुझे भी एक पत्थर लगा। मैं बेहोश हो गई। होश आने पर दुखचंद को कॉल किया। उनका मोबाइल स्विच ऑफ था। मैं अस्पताल गई। वहां भी दुखचंद नहीं थे।’
शक्तिपुर रेजीनगर विधानसभा का हिस्सा है। यहां से आगे हम मनिकेहर पहुंचे। 17 अप्रैल को यहां भी हिंसा हुई थी। उस दिन पलाश बिस्वास की मिठाई की दुकान जला दी गई। पलाश बताते हैं, 'यहां हिंदुओं की 5 दुकानें है। पुलिस ने रामनवमी के दिन दुकान बंद रखने का ऑर्डर नहीं दिया था। शाम को शक्तिपुर में हिंसा की खबर आई।’
‘शाम 7 बजे अचानक भीड़ आई और मेरी दुकान में घुस गई। मैं और एक कारीगर पीछे वाले गेट से भाग निकले। रात 8 बजे लौटा तो यहां पुलिस खड़ी थी। मेरी पूरी दुकान जल गई। मेरा फ्रिज, टेबल, कड़ाही सब तोड़ दिया। मेरा 5 लाख रुपए का नुकसान हुआ है। ऐसी हिंसा यहां पहली बार हुई है।'
पलाश आगे कहते हैं, 'हिंसा रोकने के लिए अधीर रंजन चौधरी ने कुछ नहीं किया। वे हमसे मिलने भी नहीं आए। यूसुफ पठान भी नहीं आए। पठान क्रिकेटर ठीक थे, लेकिन चुनाव के लिए मैं उन्हें पसंद नहीं करता। BJP अब तक बहरामपुर से नहीं जीती है क्योंकि उसे मौका नहीं मिला, लेकिन उस पार्टी से उम्मीद है।'
दंगाई भीड़ ने पलाश की दुकान में तोड़फोड़ कर आग लगा दी। इससे उनका करीब 5 लाख रुपए का नुकसान हुआ है।
पलाश के बगल में मुक्ति मंडल की दुकान है। वे बताते हैं, '100 लोगों की भीड़ सड़क और दुकानों पर पेट्रोल और डीजल फेंक रही थी। 2022 में नूपुर शर्मा के बयान के बाद भी यहां हिंसा हुई थी। उसके बाद दुर्गा अष्टमी और ठाकुर पूजा के दिन हिंसा हुई। तब 200 दुकानों पर हमला हुआ था। सिर्फ हिंदुओं पर हमला हो रहा है। बहरामपुर में लोग दो धर्मों में बंट गए हैं।'
रैली वाले दिन पोशाक बागवी पर भीड़ ने हमला किया था। उनके सिर में गहरा जख्म है। पोशाक के भाई सूरज बताते हैं, 'मेरा भाई अपनी गाड़ी से सवारी लेकर जा रहा था। हिंसा की वजह से वो स्कूल से आगे रुक गया। दो घंटे वहीं रहा। बाद में पुलिस की गाड़ी के साथ लौट रहा था। पुलिस की गाड़ी तेज चल रही थी। रास्ते में कुछ लोगों ने भाई की गाड़ी रोक ली। उसे डंडे और पत्थरों से मारा।'
हमले की वजह से भाई बेहोश हो गया था। होश में आते ही जंगल की तरफ भागा। इसके बाद दो किमी दूर भरतपुर के विधायक हुमायूं कबीर के घर के पास पहुंचा। वहां पुलिसवाले मौजूद थे। वे उसे अस्पताल ले गए। मुझे ये सब 5 दिन बाद पता चला।'
रामनवमी से दो दिन पहले ही चुनाव आयोग ने मुर्शिदाबाद के DIG मुकेश कुमार को हटाया था। माना जाता है कि मुर्शिदाबाद में लगातार हिंसा की खबरें आने के बावजूद मुकेश कुमार हालात कंट्रोल नहीं कर पा रहे थे। हालांकि CM ममता बनर्जी ने DIG के ट्रांसफर को BJP की साजिश बताया। कहा कि आने वाले समय में मालदा और मुर्शिदाबाद में दंगे हुए, तो जिम्मेदारी चुनाव आयोग की होगी।
पश्चिम बंगाल में रामनवमी पर हिंसा का पैटर्न
पश्चिम बंगाल में 2017 से रामनवमी के दौरान दो समुदायों के बीच झड़प की घटनाएं हो रही हैं। इससे ये दिन राजनीति से जुड़ गया है। बीते कुछ साल से BJP रामनवमी, गणेश पूजा और हनुमान जयंती पर कार्यक्रम कर रही है। इसी दौरान निकलने वाली रैलियों पर हमले और फिर हिंसा की घटनाएं बढ़ी हैं।
पश्चिम बंगाल के हावड़ा में मार्च, 2023 में रामनवमी समारोह के दौरान हिंसा हुई थी। इस केस में NIA ने बीते मार्च में 11 आरोपियों को अरेस्ट किया है। ये केस 27 अप्रैल, 2023 को NIA को ट्रांसफर किया गया था।
राम नवमी वाले दिन रैली पर पथराव का ये वीडियो सामने आया था। इसमें कुछ लोग छत से पत्थरबाजी करते दिख रहे हैं।
CM ममता बनर्जी भी रामनवमी पर दंगे की आशंका जता चुकी थीं। वहीं, CPI (M) नेता तन्मय भट्टाचार्य ने कहा कि 10 साल पहले राज्य में रामनवमी कभी इतने भव्य तरीके से नहीं मनाई गई। ये खतरनाक है।
25 साल से बहरामपुर सीट कांग्रेस के पास, नाम ही अधीरगढ़ पड़ गया
बहरामपुर लोकसभा सीट में सात विधानसभा सीटें आती हैं। इनमें बुरवान, कांदी, भरतपुर, रेजीनगर, बेलदांगा और नवादा पर TMC के विधायक हैं। बहरामपुर विधानसभा सीट पर BJP के सुब्रत मैत्रा विधायक हैं।
25 साल से बहरामपुर लोकसभा सीट कांग्रेस के पास है। अधीर रंजन चौधरी के लगातार जीतने से इस सीट को 'अधीरगढ़' भी कहा जाने लगा है। TMC पहले भी यहां जीतने के लिए पूरी ताकत लगा चुकी है, लेकिन नाकाम ही रही।
2014 में पार्टी ने मशहूर सिंगर इंद्रनील सेन को अधीर रंजन के सामने उतारा था। अधीर ने उन्हें 3.5 लाख वोट से हराया। 2019 में अपूर्वा सरकार को कैंडिडेट बनाया। ममता ने अपने सबसे खास शुभेंदु अधिकारी को बहरामपुर जिताने की जिम्मेदारी दी। वे भी अपूर्वा सरकार को नहीं जिता पाए। हालांकि, इस बार अधीर की जीत का अंतर 80 हजार वोट पर आ गया।
इस बार TMC ने देश भर में पहचान रखने वाले किसी सेलिब्रिटी को उतारने का प्लान बनाया। पार्टी के जनरल सेक्रेटरी अभिषेक बनर्जी ने क्रिकेटर यूसुफ पठान का नाम तय किया। दैनिक भास्कर को दिए इंटरव्यू में यूसुफ पठान कह चुके हैं कि उन्हें राजनीति में दिलचस्पी नहीं है। बावजूूद इसके वे चुनाव लड़ रहे हैं।
यूसुफ पठान की उम्मीदवारी का पार्टी में ही विरोध है। भरतपुर से विधायक हुमायूं कबीर टिकट के दावेदार थे। वे यूसुफ को बाहरी बता रहे हैं। हुमायूं कबीर कहते हैं, 'बताया गया था कि बहरामपुर सीट से मुझे टिकट मिलेगा। 10 मार्च को यूसुफ पठान का नाम घोषित हो गया।'
अधीर से नाराजगी, लेकिन यूसुफ का बाहरी होना बड़ा फैक्टर
गाजीपाड़ा के रियाजुल कहते हैं, 'अधीर रंजन चौधरी ने यहां बहुत काम किया है। इसीलिए 25 साल से जीत रहे हैं। हमारे यहां जब से BJP-RSS के लोग आए हैं, तब से दंगे होने लगे हैं। गांव की मस्जिद में तोड़फोड़ की गई। स्कूल में टीचर हिंदू-मुस्लिम बच्चों को अलग-अलग बेंच पर बिठाते हैं। BJP दंगे करवाकर हिंदुओं के वोट एक करना चाह रही है। हर जगह इसी तरह डर पैदा कर दिया है।'
वहीं, इस्माइल अहमद कहते हैं, 'अधीर रंजन चौधरी ने काम तो किया है, लेकिन मैं चाहता हूं कि इस बार यूसुफ पठान आएं। हमारे इधर जो दीदी बोलेगा, वही चलेगा। यूसुफ पठान के बाहर से आने का कोई मतलब भी नहीं है। BJP के तो सारे लोग बाहर से आए हैं।'
वहीं, मिराज शेख कहते हैं, 'अधीर रंजन चौधरी पुराने नेता हैं। हम यूसुफ पठान को मौका क्यों दें। उनका घर गुजरात में है। अगर हम तकलीफ में होंगे, तो क्या वे गुजरात से बहरामपुर आएंगे। उनके आने से पहले हम खत्म हो जाएंगे। अधीर रंजन हमारे इलाके का नेता है। BJP दंगा कराती है। हम निर्मल साहा को वोट नहीं देंगे।'
बहरामपुर मार्केट में मिले मनोज कुमार गोस्वामी कहते हैं, 'अधीर चौधरी का काम पहले अच्छा था। बीते पांच साल में उन्होंने कुछ नहीं किया। कोरोना के समय उन्होंने कुछ नहीं किया।’
बहरामपुर के समीकरण पर पॉलिटिकल पार्टियां क्या कह रहीं
TMC: ममता के नाम पर वोट मांग रहे, यूसुफ पठान सिर्फ जरिया
तृणमूल कांग्रेस के ब्लॉक अध्यक्ष शाहबुद्दीन सिद्दीकी कहते हैं, 'पार्टी में लोकल लेवल पर विरोध था। पता था कि बहरामपुर से किसी नए उम्मीदवार को लाया जाएगा। बहरामपुर में हम ममता दीदी के नाम पर वोट मांग रहे हैं। यूसुफ पठान सिर्फ जरिया हैं।'
BJP: बंगाल में कानून काम नहीं करता, TMC के लोग दंगे फैला रहे
BJP के कैंडिडेट निर्मल कुमार साहा कहते हैं, 'बहरामपुर में हम PM नरेंद्र मोदी के विकसित भारत के संकल्प पर चुनाव लड़ रहे हैं। उन्होंने घर, टॉयलेट, पानी और उज्ज्वला गैस दी है। राम मंदिर का निर्माण ऐतिहासिक है।'
'संदेशखाली और भ्रष्टाचार अहम मुद्दे हैं। पूरे बंगाल में शाहजहां शेख जैसे गुंडे मौजूद हैं। बंगाल में कोई कानून काम नहीं करता। यहां हिंदू-मुस्लिम साथ रहते हैं। ममता बनर्जी उन्हें अलग कर रही हैं। इनके लोग दंगे फैला रहे हैं।
यूपी के CM योगी आदित्यनाथ की रैली से पहले BJP ने प्रचार तेज कर दिया है। उसके कार्यकर्ता रैलियां निकाल रहे हैं।
अधीर रंजन बोले- लोगों को मेरा काम पता है, मुझे चिल्लाने की जरूरत नहीं
कांग्रेस उम्मीदवार अधीर रंजन चौधरी कहते हैं, 'धारा 144 लगने की वजह से मैं शक्तिपुर में लोगों से मिलने नहीं जा पाया। मैंने जनता के बीच रहकर काम किया है। उन्हें मेरा काम पता है। मुझे चिल्लाने की जरूरत नहीं है। BJP और TMC सिर्फ वोट बांटने की राजनीति करना चाहते हैं। दोनों मिले हुए हैं।'
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स्टोरी में सहयोग: गौरव शर्मा, भास्कर फेलो
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