'साहब, 3 साल से यहां रह रहा हूं। हर बार बारिश में पानी भरता है, लेकिन इस बार तो घर के अंदर तक आ गया।
कूलर-फ्रिज सब डूब गए। समझ नहीं आ रहा था सामान बचाऊं या बीवी बच्चों को? आधी रात को इतना पानी आ गया कि घर छोड़कर छत पर भागना पड़ा।
रेस्क्यू टीम आई बीवी-बच्चों की सलामती के लिए उनके साथ निकल गया।
कमरे पर ताला लगाने तक का समय नहीं मिला। ताला लगा कर भी क्या करता नीचे तो पानी भरा था। पानी उतरेगा तो वापस लौटेंगे तब पता लगेगा कि कितना नुकसान हुआ? बाढ़ से निकलकर तो आ गए, लेकिन अभी न खाने का ठिकाना है, न रहने का।'
ये पीड़ा है कि कोटा के तालाब गांव में रहने वाले रामेश्वर की। मूसलाधार बारिश ने इस गांव काे सच में तालाब बना दिया। यहां 10 से 13 फीट तक पानी भरा हुआ है।
नसीमुद्दीन की भी तकलीफ कुछ ऐसी ही है-
'सुबह से बच्चों ने खाना तक नहीं खाया। घर में जो डिब्बे में आटा रखा था, वह पानी की वजह से पूरा भीग गया। अब घर छोड़कर तो आ गए, लेकिन कोटा में और कोई रिश्तेदार भी नहीं है कि जिसके यहां शरण ले सके'।
ये दर्द सिर्फ इन दो लोगों का नहीं है। लगातार भारी बारिश से कोटा की कई कॉलोनियों में पानी भर गया, सैकड़ों लोगों को रातोंरात घर, सामान छोड़कर जाना पड़ा...।
कोटा के तालाब गांव में रहने वाले रामेश्वर और उसके परिवार को नाव के सहारे रेस्क्यू किया गया। साथ में कॉलोनियों के बाकी लोगों को भी बाहर निकाला गया।
कोचिंग सिटी कोटा की पहचान आज बदली हुई है। GOOGLE पर सर्च करेंगे तो स्टूडेंट्स की मुस्कुराती तस्वीरें नहीं, कीचड़ से सनी गलियां और सड़कें नदी का अहसास कराते रास्ते नजर आएंगे।
रविवार रात से ही बारिश आफत मचा रही है। भास्कर टीम कोटा के उन इलाकों में पहुंची, जहां बारिश ने सबसे ज्यादा पानी आया है। 5 इलाकों में जाकर जाना बाढ़ के हालात। -पढ़िए, ग्राउंड रिपोर्ट...।
कोटा में लोग सामान भी बचाते हुए नजर आए। घर में रखे टीवी, फ्रिज और पंखे तक खोलकर साथ ले गए।
तालाब गांव, कौटिल्य नगर, तिरुपति नगर , गांवड़ी और जवाहर नगर में तेज बारिश से पानी भर गया। इसके बाद यहां कई लोगों को घर छोड़कर जाना पड़ा।
तालाब गांव में घरों का आधा हिस्सा पानी में डूब गया। 5 घंटे भी लगातार बारिश हो जाए तो यह पानी भरना शुरू हो जाता है।
1. तालाब गांव में लोग बोले- पत्रकार साहब! जो फोटो खींचना है, यहीं से खींच लो। आगे से 12-13 फीट पानी भरा।
हम वहां पहुंचे तो कई लोग दिखे जो परिवार के साथ वहां से जा रहे थे। आगे जाकर बस्ती का हाल जानने लगे तो परिवार के साथ वहां से निकल रहे नसीमुद्दीन ने टोका- 'पत्रकार साहब! जो फोटो खींचना है, यहीं से खींच लो। आगे से 12-13 फीट पानी भरा हुआ है, जा नहीं पाओगे'। आसपास के लोगों से बात की तो पता चला- वैसे तो हर बार बारिश में पानी भरता ही है, लेकिन इस बार हालात बहुत ज्यादा खराब हो गए।
इसलिए भरा पानी : ये गांव तालाब की जमीन पर बसा है। अवैध रूप से यहां पर कॉलोनियां काट दी गईं। अब पूरी की पूरी बस्ती बस चुकी है। पठारी इलाके का बरसाती पानी यहीं आता है। यहां से पानी की निकासी की कोई व्यवस्था नहीं है। ऐसे में अगर 5 घंटे भी लगातार बारिश हो जाए तो यह पानी भरना शुरू हो जाता है। अभी यहां 13 फीट तक पानी भरा है।
कौटिल्य नगर की कॉलोनियों में 4-5 फीट पानी भर गया। यहां से गुजरने वाले नाले में बहाव तेज आने के साथ यहां पानी भरना शुरू हो जाता है।
2. कौटिल्य नगर में लोग बोले- हमें तो बस भुगतना है।
कौटिल्य नगर देवली अरब रोड पर स्थित कॉलोनी है। यहां पहुंचे तो बालाजी नगर सहित कई कॉलोनियों में 4-5 फीट पानी भरा हुआ था। वहां हमारी मुलाकात जयदेव शर्मा से हुई, जो जलभराव के कारण खराब हुई बाइक को घसीटते हुए वहां से निकल रहे थे। पूछा तो प्रशासन को कोसते हुए बोले- 'पता है बारिश तो आएगी ही, इसके बावजूद पानी भरने की समस्या दूर करने की कोशिश ही नहीं करते। भुगतना हम आम लोगों को पड़ता है'।
कॉलोनी काट दी, ड्रेनेज की व्यवस्था ही नहीं : यह कॉलोनी कृषि भूमि पर बसी हुई है। कॉलोनी तो काट दी, लेकिन ड्रेनेज की कोई व्यवस्था ही नहीं की गई। यहां से गुजरने वाले नाले में बहाव तेज आने के साथ यहां पानी भरना शुरू हो जाता है। यह कॉलोनी इस तरह से काटी गई है कि नाले का बहाव भी रुक गया। कई इलाकों में तो 10 फीट तक पानी भर जाता है।
तिरुपति नगर में नाले का बहाव रोककर पास में ये कॉलोनी बना दी गई। तेज बारिश आई को पूरी कॉलोनी ही पानी में समा गई। लोगों को बचाने के लिए नाव चलानी पड़ी।
3. तिरुपति नगर : नाले में ही बना दी कॉलोनी
तिरुपति नगर पहुंचे तो सड़क तालाब बनी हुई थी, जिसमें बाकायदा नाव चलाई जा रही थी। ट्यूब की बनाई हुई नाव में बैठे- एक युवक ने बताया 'अब पानी उतरने का भरोसा तो है नहीं, हो सकता है शाम तक न उतरे, लेकिन काम तो करना ही पड़ेगा। हर बार बारिश में इसी तरह पानी भर जाता है तो हमने भी जुगाड़ बना लिया है'।
नाले का बहाव रोक बस्ती बसा दी: नाले का बहाव रोककर पास में ये कॉलोनी बना दी गई। इसी का नतीजा है कि तेज बारिश के बाद जब नाले का पानी उफान पर होता है तो सीधा कॉलोनी में भरता है। कॉलोनी से पानी निकालने के लिए कोई ड्रेनेज सिस्टम ही नहीं है। यहां 10 फीट तक पानी भरा है।
गांवड़ी में लोग सामान कंधे पर उठाकर ले जाते नजर आए। जो घर में रखा जितना समान बचा सकता था, बचा लिया।
4. गांवड़ी : पानी भरते ही लोग घर छोड़कर जाने लगे
सोमवार को जैसे ही बैराज के 16 गेट खुले। गांवड़ी इलाके में भी पानी भरने लगा। हम पहुंचे तो लोग परिवार के साथ यहां से निकल रहे थे। वहां मिले जतिन ने बताया- 'जो जरूरी सामान अपने साथ ले जा सकते हैं, पैक कर लिया है। अब हमें प्रशासन की ओर से शेल्टर होम में भेजा जाएगा। आप भी जल्दी निकल जाइए। चंबल के पानी का भरोसा नहीं है'।
चंबल का निचला इलाका: यह बस्ती चंबल नदी के निचले इलाकों में आती है। बैराज से ज्यादा पानी छोड़ने के बाद यहां पानी भरने लगता है। इस बार ज्यादा पानी छोड़े जाने की वजह से बस्ती में 6 फीट तक पानी भर गया। निचले इलाकों की बस्तियों के यही हाल हैं। इसी वजह से प्रशासन ने अलर्ट जारी किया। इसके बाद लोग या तो खुद ही सुरक्षित स्थानों पर चले जाते हैं और जो नहीं जा पाते, उन्हें रेस्क्यू करना पड़ता है।
कोटा के पॉश इलाकों में से एक जवाहर नगर में भी 5 फीट तक पानी भर गया। भीड़भाड़ वाले इस इलाके में पानी ही पानी है।
5. जवाहर नगर : पॉश इलाका भी बारिश की चपेट में
सबसे आखिर में हम पॉश इलाके माने जाने वाले जवाहर नगर में पहुंचे। मुख्य सड़क पर ही 5 फीट तक पानी भरा हुआ था। ज्यादातर दुकानों के शटर डाउन थे। हमारे भीड़ से भरे रहने वाले इस इलाके में पानी के सिवा कुछ नजर नहीं आ रहा था।
नाले, ड्रेनेज जाम : जवाहर नगर कोटा का पॉश इलाका है, लेकिन हर बार बारिश में यहां भी गलियों में पानी भर जाता है। इसका बड़ा कारण है, नाले में रुकावट और ड्रेनेज सिस्टम सही नहीं होना।
कोटा में तेज बारिश में सिर्फ बस्तियों में ही पानी नहीं भरा। पॉश इलाकों में भी कई फीट तक पानी भर गया।
5 हजार लोगों के जीवन पर संकट
कोटा में कुल 15 प्रमुख कॉलोनियां पानी से घिरी है। इससे करीब 5 हजार लोगों का जीवन संकट में आ गया है। 4630 लोगों को घरों से रेस्क्यू कर सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया है। इनमें कोटा की निचली बस्तियों से 1500, शहर के अन्य हिस्सों से 630, कैथून में 1500 और अलग-अलग हिस्सों से 1 हजार लोगों को रेस्क्यू किया गया है। इन सभी इलाकों से रेस्क्यू किए गए लोगों को फिलहाल सरकारी स्कूल में रखा गया है। यहां प्रशासन की तरफ से खाने की व्यवस्था भी गई गई है।
दरअसल, बारिश के सरकार से कोई अलग बजट नहीं है। मानसून से पहले निगम की तरफ से नालों की सफाई का टेंडर किया जाता है। इस बार भी किया। पहले कचरा साफ करने और उठाने का एक ही टेंडर होता था। इस बार दोनों अलग अलग किये, लेकिन इसके बाद भी पानी भरने की समस्या कम नहीं हुई।
बाढ़ की एक वजह ये भी...
भास्कर की पड़ताल में सामने आया कि सिर्फ बस्तियों ही नहीं शहर के पॉश इलाकों में भी कई फीट तक पानी भरा हुआ है। दरअसल, शहर में बारिश के पानी की निकासी का सबसे बड़ा साधन नाले हैं। अतिक्रमण के चलते ज्यादातर जगह नालों के रास्तों में रुकावट है। वहीं, ज्यादा बारिश होने के बाद सीवरेज भी ओवरफ्लो हो जाते हैं।
गंदा पानी सड़कों पर आ जाता है। अधिकारी ड्रेनेज सिस्टम सुधारने की बात कहते हैं, लेकिन स्थिति ज्यों की त्यों ही है। असल में प्रशासनिक स्तर पर इस हालात से निपटने के लिए कोई एक्शन प्लान ही नहीं है।
नगर निगम के मेयर राजीव अग्रवाल इस बार 4 महीने पहले से ही नालों की सफाई को लेकर बार-बार कहते रहे। खुद मौके पर जाकर निरीक्षण करते रहे, लेकिन इसके बाद भी लोगों के घर पानी में डूब गए।
दावे जो फेल हो रहे
- हर साल बारिश से पहले शहर के नालों की सफाई का दावा किया जाता है, ताकि नाले ओवरफ्लो होकर कॉलोनियों में पानी न घुसे। इसके बाद भी दावे खोखले ही नजर आ रहे हैं।
- खुद नगर निगम के मेयर राजीव अग्रवाल इस बार 4 महीने पहले से ही नालों की सफाई को लेकर बार-बार कहते रहे। खुद मौके पर जाकर निरीक्षण करते रहे, लेकिन अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों के बीच में तालमेल की कमी होने के चलते न तो नाले पूरी तरह साफ हो सके, न ही ड्रेनेज सिस्टम सही हो सका। नतीजा रविवार रात से आई बारिश के बाद पूरा शहर पानी-पानी हो गया।
- इसके अलावा नालों के ओवर फ्लो होने का एक बड़ा कारण यह भी है कि कई जगह ऐसी भी हैं, जहां अतिक्रमण के कारण नालों की सफाई करना मुमकिन ही नहीं रहा।
अनंतपुरा के तालाब गांव पूरी तरह पानी में डूब गया। लोग जान बचाने के लिए छत पर चढ़ गए। बाद में इन्हें टीम ने रेस्क्यू किया।
2 साल पहले भी आई थी बाढ़; न सबक लिया, न तैयारी की
बारिश की मार से लोग मजबूर नजर आए, जो अपना घर छोड़कर सामान हाथ में उठाए पानी के बीच चलते नजर आए। ऐसा पहली बार नहीं है कि बारिश कोटा में आफत बनी हो। 2 साल पहले भी कोटा ने बाढ़ आई थी। इसके बावजूद प्रशासन ने न तो सबक लिया और न ही कोई तैयारी की। यही वजह है कि कोटा एक बार फिर डूबा हुआ है।
सोमवार को चंबल बैराज के 16 गेट खोलकर पानी निकाला गया। इसके बाद ही कोटा के निचले इलाकों में नदी की तरह पानी बहने लगा।
नालों की सफाई करवाई थी- मेयर
कोटा निगम दक्षिण मेयर राजीव अग्रवाल ने कहा- कोटा में सभी बड़े नालों की सफाई कराई गई थी। कई जगह पर अतिक्रमण और नालों में रुकावट होने की वजह से पानी बाहर आ गया। पठारी क्षेत्र का पानी भी बड़ी तादाद में आ रहा है। पठारी क्षेत्र के पानी को रोकने के लिए वैसे डायवर्जन चैनल बना हुआ है। हम कोशिश करेंगे कि सरकार एक और डायवर्जन चैनल के लिए अनुमति दें और इसका निर्माण करवाए।
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