जौनपुर की मल्हनी विधानसभा सीट पर सबकी नजर है। उसका कारण बाहुबली नेता धनंजय सिंह हैं। धनंजय सिंह के सियासी रसूख का अंदाजा उनके चुनाव लड़ने के तरीके से पता चलता है। 2020 के विधानसभा उपचुनाव में उन्होंने बतौर निर्दल प्रत्याशी सपा को कड़ी टक्कर दी थी। 5 हजार वोट के अंतर से धनंजय सिंह चुनाव हार गए थे।
कयास लगाए जा रहे थे कि 2022 के विधानसभा चुनाव में वो बीजेपी के गठबंधन दल से चुनाव में दावेदारी कर सकते हैं, लेकिन बीजेपी ने मल्हनी विधानसभा से केपी सिंह को टिकट दे दिया है। इसके साथ ही धनंजय सिंह के भाजपा या उसके गठबंधन दल से आने के कयास पर विराम लग गया है।
धनंजय सिंह।
खुद का वोट बैंक है मजबूत
धनंजय सिंह के पिछले कुछ चुनावी नतीजे पर गौर करें तो काफी हद तक चीजें उनके पक्ष में रहती हैं। मल्हनी विधानसभा में उनका खुद का बेस वोट है। 2017 के विधानसभा चुनाव में उन्होंने निषाद पार्टी के सिंबल से चुनाव लड़ा था। इस चुनाव में उन्हें 48,141 वोट मिले थे। धनंजय सिंह इस चुनाव में दूसरे नंबर पर थे। सपा के कद्दावर नेता पारसनाथ यादव ने 69,351 वोट पाकर जीत दर्ज की थी। बसपा और भाजपा के प्रत्याशी इस चुनाव में तीसरे और चौथे स्थान पर थे।
टिकट न मिलने की इनसाइड स्टोरी
पूर्व सांसद धनंजय सिंह का सियासत के साथ-साथ अपराध से भी गहरा नाता रहा है। लखनऊ के बहुचर्चित अजीत सिंह हत्याकांड में उनके ऊपर 25 हजार रुपए का इनाम घोषित है। कुछ दिन पहले अखिलेश यादव ने उनका क्रिकेट खेलते हुए वीडियो ट्वीट करके सरकार पर निशाना साधा था। इस मामले में यूपी के मुखिया योगी आदित्यनाथ ने सफाई दी थी कि यूपी में कानून अपना काम कर रही है।
आपराधिक छवि है बड़ा कारण
धनंजय सिंह को टिकट न मिलने के पीछे एक बड़ा कारण उनकी आपराधिक छवि है। अखिलेश यादव के ट्वीट के बाद से बीजेपी और गठबंधन दल अपने ऊपर इस चीज का आरोप नहीं लगने देना चाहते हैं। ये एक बड़ा कारण है कि पार्टी उन्हें टिकट देने से कतराती है। पूरी खबर यहां पढ़ें...
फर्रुखाबाद में जो जीता सदर का रण, उसका दल बना सिकंदर
भाजपा विधायक मेजर सुनील दत्त द्विवेदी।
फर्रुखाबाद में सदर विधानसभा सीट पर इस बार मुकाबला रोचक है। इस सीट की कहानी यह है कि यहां से जो विधायक चुनता है, उसी का दल लखनऊ का सिकंदर बनता है। यानी वह सत्ता का सुख भोगता है। इस बार सदर सीट से पूर्व विदेश मंत्री सलमान खुर्शीद की पत्नी लुईस खुर्शीद कांग्रेस से चुनाव मैदान में हैं तो वहीं भाजपा से विधायक मेजर सुनील दत्त द्विवेदी मैदान में हैं।
चुनाव में इन दोनों की प्रतिष्ठा दांव पर लगी हुई है, जबकि बसपा ने कांग्रेस के पूर्व जिलाध्यक्ष विजय कटिहार को सदर से अपना प्रत्याशी बनाया है। वहीं समाजवादी पार्टी ने महान दल के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष सुमन मौर्य को अपना प्रत्याशी बनाया है।
जिले में विधानसभा की 4 सीटें हैं
विधानसभा चुनाव की सरगर्मियां पूरे जोर पर हैं। जिले में विधानसभा की 4 सीटें हैं, लेकिन फर्रुखाबाद सदर की सीट हॉट मानी जाती है। इस बार सदर सीट से 11 प्रत्याशी चुनाव मैदान में हैं। वहीं सदर सीट पर सर्वाधिक कब्जा कांग्रेस और भाजपा का रहा है। भाजपा के पूर्व ऊर्जा मंत्री व कद्दावर नेता रहे स्वर्गीय ब्रह्मदत्त द्विवेदी के पुत्र सदर विधायक मेजर सुनील दत्त द्विवेदी को फिर चुनाव मैदान में उतारा है।
कांग्रेस ने पूर्व विदेश मंत्री की पत्नी लुइस खुर्शीद पर भरोसा जताया है। बसपा से विजय कटियार चुनाव मैदान में हैं। इस सीट पर आम आदमी पार्टी से नीरज प्रताप के अलावा राजेश कुमार, विक्रम सिंह, कृष्णा कुमार तिवारी, डॉ. भरत चंद्र, अजीत सिंह और अशोक सक्सेना भी भाग्य आजमा रहे हैं।