सचिन पायलट को लेकर सीएम अशोक गहलोत खेमा अब हमलावर हो गया है। मुख्यमंत्री के सलाहकार और सिरोही से निर्दलीय विधायक सयंम लोढ़ा ने सचिन पायलट पर जवाबी हमला बोलते हुए चुनावी साल में पपेरलीक और बीजेपी राज के करप्शन का मुद्दा उठाने पर सवाल उठाए हैं। लोढ़ा ने कहा कि पायलट चुनावी साल में नाखून कटवाकर शहीद होना चाह रहे हैं। लोढ़ा ने पायलट की यात्रा और उनके आंदोलन का कोई भी सियासी असर नहीं होने का दावा किया है।
लोढ़ा ने कहा- पायलट की यात्रा और आंदोलन का जनता में कोई इफेक्ट नहीं है। उसे कोई गंभीरता से नहीं ले रहा है और न लेगा। पायलट के पास जो यह समूह दिख रहा है यह सब प्रायोजित समूह है। जो कदम उठाया है, तो राजनीति खुला का मैदान है। यही घोड़े और यही मैदान है, सब का हिसाब सामने आ जाएगा।
फोटो यात्रा के पहले दिन का है। अजमेर में इस 5 दिवसीय यात्रा की शुरुआत 11 मई को हुई थी।
अब नाखून कटवा कर आप शहीद बनना चाह रहे हैं पायलट
लोढ़ा ने कहा- पायलट जिन बीजेपी की सरकार के घोटालों का जिक्र कर रहे हैं, पूरे 5 साल उन मुद्दों को मैंने उठाया है, तब कभी पायलट या उनकी टीम का एक भी आदमी हमारे साथ खड़ा नहीं हुआ। पेपरलीक का मुद्दा उठा रहे हैं, विधानसभा में गृह विभाग या शिक्षा की बहस पर मैंने प्रभावी तरीके से बार बार इस मुद्दे को उठाया, लेकिन कभी भी सचिन पायलट ने इस पर साथ नहीं दिया। अब नाखून कटवा कर आप शहीद बनना चाह रहे हैं। यह राजस्थान है। राजस्थान की जनता सब समझती है। चुनावी साल ? में आपको यह बेरोजगारों की याद क्यों आ रही है? यह पिछली सरकार के घोटालों की याद क्यों आ रही है?
हंसी का पात्र नहीं बनें, पार्टी की मर्यादा-अनुशासन में रहकर काम करें
लोढ़ा ने कहा- इसे लोग भली-भांति समझ रहे हैं। पायलट अपने आप को हंसी का पात्र नहीं बनाएं और जिस पार्टी में हैं, उस पार्टी के अनुशासन और में मर्यादा में रहकर काम करें। पायलट बार-बार जरूर कहते हैं कि हम खड़े हुए, पार्टी को खड़ा किया। आप खड़े नहीं हुए हैं, जनता ने खड़ा किया तो खड़े हो गए हैं।
सीएम सलाहकार और निर्दलीय विधायक संयम लोढ़ा ने एक बार पायलट की यात्रा को लेकर सवाल खड़े किए हैं। उनका दावा है कि चैंबर नहीं मिलने पर भी पायलट रुठ गए थे।
पायलट मुख्यमंत्री कार्यालय में चैंबर नहीं मिलने पर भी रुठ गए थे
संयम लोढ़ा ने कहा- जब उन्हें उपमुख्यमंत्री बनाया गया तो वे छोटी छोटी बातों पर रुठ जाते थे। विधानसभा में एक पीतल का गेट है जहां से केवल सीएम, स्पीकर और सर्वोच्च संवैधानिक पदों पर बैठे लोगों की गाड़ी ही आ सकती है। उपमुख्यमंत्री बनने पर पायलट पहले तो तब रुठ गए जब उनकी गाड़ी पैदल पीतल के गेट पर नहीं आ सकी। फिर जब सचिवालय की बात आई तो जिद जिद पकड़ कर के बैठ गए कि मुख्यमंत्री के कार्यालय में ही मेरा चेंबर होगा वह हो नहीं सकता था। उन्हें दूसरी जगह दिया तब भी वो रुठे हुए रहे।
फोटो पायलट की यात्रा का है। इस यात्रा के बाद गहलोत समर्थक नेता और विधायक लगातार पायलट पर निशाना साध रहे हैं।
सरकारी बंगले का सुख भोग रहे, विधानसभा में सीट तक के लिए दिल्ली से फोन करवाया
लोढ़ा ने कहा- आप उपमुख्यमंत्री पद से हट गए तो जो सरकारी बंगला आपको मिला हुआ है वह एक महीने में खाली करना होता है। पायलट ने ऊपर से टेलीफोन करवाकर सामान्य प्रशासन विभाग से उस बंगले को निकलवा कर विधानसभा के पूल में डलवा दिया और आज तक सरकारी बंगले का सुख भोग रहे हैं। सचिन पायलट जब उपमुख्यमंत्री पद से हट गए तो विधानसभा में उनकी सीट मेरी बगल में आवंटित की गई थी, तब भी उन्हें यह नागवार गुजरा और उन्होंने दिल्ली से फोन करवा कर सीनियरिटी नहीं होने के बावजूद भी पहली पंक्ति में सीट ली।