पिछले दिनों केंद्रीय वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण राजस्थान में कह कर गईं थीं कि ओल्ड पेंशन स्कीम (ओपीएस) लागू करना है तो अपने बूते पर करें। केंद्र सरकार उसके पास एनपीएस के तहत जमा एक पैसा भी राज्य को देने वाला नहीं है। उनका कहना था कि एनपीएस के पैसे पर सिर्फ़ कर्मचारियों का हक़ है। वो पैसा कर्मचारियों को ही मिलेगा, राज्यों को नहीं दिया जा सकता।
कुल मिलाकर वित्तमंत्री ओपीएस के एकदम खिलाफ दिखीं। केंद्र के इसी रुख़ के कारण भाजपा के नेतृत्व वाले किसी राज्य ने अब तक ओल्ड पेंशन स्कीम लागू करने की घोषणा नहीं की है। लेकिन अब भाजपा के नेतृत्व वाले कुछ राज्य भी अपना रुख़ बदलने को मजबूर हो रहे हैं। चुनाव चीज़ ही ऐसी है कि अच्छे अच्छों को अपना रुख़ बदलने पर विवश होना पड़ता है।
8 दिसंबर को ओल्ड पेंशन स्कीम (ओपीएस) पूरे देश में लागू करने की मांग को लेकर देश भर के कर्मचारी देंगे दिल्ली में धरना।
कर्नाटक राज्य के चुनाव आगामी मई- 2023 में होने वाले हैं। वहाँ की सरकार ने एक कमेटी बनाई है जो राजस्थान सहित पाँच राज्यों में ओल्ड पेंशन स्कीम को लागू करने की एबीसीडी सीखेगी, देखेगी और दो महीने के भीतर सरकार को अपनी रिपोर्ट सौंपेगी। हालाँकि यह नीतिगत मामला है और कर्नाटक सरकार ही इस पर अंतिम फ़ैसला लेगी, लेकिन चुनाव का डर बताकर राज्य सरकार केंद्र पर इस स्कीम को लागू करने का दबाव ज़रूर बनाएगी।
सब जानते हैं पेंशन स्कीम के कारण ही भाजपा हिमाचल अपने हाथ से गँवा चुकी है। कांग्रेस ने वहाँ के चुनावों में ओल्ड पेंशन स्कीम लागू करने का वादा किया और उसी के भरोसे वह वहाँ की सत्ता पा गई। कर्नाटक की भाजपा सरकार हिमाचल की तरह चुनाव में गच्चा खाना नहीं चाहती, इसलिए वह ओपीएस लागू करने के बारे में गंभीरता से सोच रही है।
अगर कर्नाटक में यह योजना लागू होती है तो हो सकता है आगे मध्यप्रदेश भी इसी राह पर चलना चाहेगा। क्योंकि आख़िर चुनाव तो अगले नवंबर में मध्यप्रदेश में भी होने ही हैं। अगर कर्नाटक ओपीएस के पक्ष में जाएगा तो मप्र भी इस मामले में चुनाव पूर्व कोई रिस्क नहीं लेना चाहेगा। हालाँकि राजस्थान और छत्तीसगढ़ में भी मप्र के साथ ही चुनाव होने हैं, लेकिन इन दोनों राज्यों में फ़िलहाल कांग्रेस की सरकार है, इसलिए ओपीएस लागू करने की दिशा में वहाँ कोई परेशानी नहीं आने वाली, ऐसा समझा जाता है।
बहरहाल, राजस्थान में अशोक गहलोत सरकार ने ओल्ड पेंशन स्कीम लागू कर दी है। कुछ अड़चनें ज़रूर आ रही हैं। जैसे एनपीएस में जमा पैसे को स्टेट फण्ड में लाने का अब तक कोई मेकनिज्म नहीं बन पाया है जिससे रिटायर्ड कर्मचारियों को कई तरह की परेशानी झेलनी पड़ रही हैं। लेकिन चूँकि राजस्थान सरकार ओपीएस लागू करने पर अडिग है, इसलिए लगता है यह पूरी तरह लागू हो जाएगी।
यही वजह है कि कर्नाटक सरकार की कमेटी 25 मार्च को राजस्थान दौरे पर जा रही है जो वहाँ मुख्य सचिव, वित्त सचिव और मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव से मिलकर इस पूरे मामले को समझेगी।