दिल्ली में चल रही BJP की कार्यकारिणी बैठक का आज दूसरा दिन है। पहले दिन यानी सोमवार को सबसे ज्यादा चर्चा गुजरात में पार्टी की जीत के फॉर्मूले की रही। इसी मॉडल को कर्नाटक में आगे बढ़ाया जाएगा। कर्नाटक में मई तक चुनाव होना है। यहां पूर्व मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा की वापसी के आसार बन रहे हैं। PM मोदी ने सोमवार को कार्यकारिणी बैठक से अलग येदियुरप्पा से 15 मिनट मुलाकात की थी।
जैसे-जैसे चुनाव करीब आ रहे हैं, पार्टी में येदियुरप्पा की अहमियत बढ़ रही है। वे पार्टी के संसदीय बोर्ड में भी हैं। लिंगायत समुदाय का सपोर्ट उनके साथ है। कर्नाटक में पार्टी फिर येदियुरप्पा को चेहरा बना सकती है। दूसरी ओर कर्नाटक के मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई महाराष्ट्र के साथ सीमा विवाद से उलझ गए हैं। सूत्र बता रहे हैं कि उनकी विदाई हो सकती है।
चुनावी राज्यों की लीडरशिप को बताना होगा- चुनाव कैसे जीतेंगे
आज की बैठक में चुनावी राज्यों की लीडरशिप का भी टेस्ट होगा। उन्हें अपनी जीत का रोडमैप और इसके लिए क्या तैयारी की है, ये बताना है। पहले दिन का दूसरा अहम मुद्दा विपक्ष के BJP और PM मोदी के खिलाफ निगेटिव कैम्पेन चलाने और अभद्र भाषा के इस्तेमाल का रहा।
पेगासस, नोटबंदी, ED, मनी लॉन्ड्रिंग, राफेल और सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट जैसे मुद्दों पर विपक्ष के हमलावर रवैये से कानूनी तरीके से निपटने की तारीफ भी हुई। इससे सबक निकला कि विपक्ष के दबाव में न आकर पूरी ताकत से निपटना है।
मीटिंग वाली जगह पर वंदे भारत ट्रेन, राफेल फाइटर जेट, ड्रोन और रॉकेट के पोस्टर लगे हैं। मतलब साफ है आने वाले चुनावों में BJP मोदी सरकार की इन उपलब्धियों को भी भुनाएगी।
राज्यों की लीडरशिप को सलाह- विपक्ष के आरोपों में घिरे नहीं, घेरें
बैठक में मौजूद हमारे सोर्स ने बताया- ‘विपक्ष के हमलावर रवैये से निपटने की प्रक्रिया पर बात करने के लिए काफी समय इसलिए दिया गया ताकि चुनावी राज्यों के मुखिया अपना मनोबल ऊंचा रखें। वे विपक्ष के किसी आरोप पर घिरे नहीं बल्कि घेरें।’
‘हाईकमान ने चुनावी राज्यों की लीडरशिप से जीत की रणनीति के ड्राफ्ट मंगाए थे। छत्तीसगढ़ और कर्नाटक की लीडरशिप ने अपने ड्राफ्ट पर चर्चा शुरू की, लेकिन उन्हें बीच में रोककर इसे और पुख्ता करने की सलाह दी गई। इसके बाद इसे 17 जनवरी को चर्चा के लिए रख लिया गया।’
दूसरे दिन चुनावी राज्यों की रणनीति तय होगी, मुद्दे जिन पर चर्चा होगी…
- चुनावी राज्यों की रणनीति में संशोधन के सुझाव दिए जाएंगे, लीडरशिप बताएगी कि नए वोटरों को साथ लाने के लिए अब तक क्या किया गया।
- राजस्थान और छत्तीसगढ़, जहां कांग्रेस की सरकार है, वहां विपक्ष को धराशायी करने के लिए अब तक क्या किया गया और आगे क्या रणनीति है।
- दक्षिण का द्वार कर्नाटक बेहद अहम है, लिहाजा उसे बचाने नहीं, बल्कि उसे गुजरात की तरह दक्षिण का मॉडल बनाने के लिए क्या किया जाए।
- सबसे अहम एक सवाल राज्यों की लीडरशिप से पूछा जाएगा कि अगर आज चुनाव हो जाएं तो वे खुद को कहां खड़ा पाएंगे, वे खुद को जितनी सीटें देंगे, उसका तर्क उन्हें बताना होगा।
- RSS और उससे जुड़े संगठनों की मदद कैसे ली जा सकती है, इस पर भी विचार होगा।
- गुजरात में गैंगरेप विक्टिम बिलकिस बानो के दोषियों को रिहा करने का फैसला चुनावी मुद्दा बना। माना गया कि इससे ध्रुवीकरण हुआ और हिंदू वोटर एक तरफ हो गए। इस तरह के मुद्दों की लिस्ट बनाने का हर राज्य को निर्देश दिया जा सकता है।
- किस राज्य में कौन सा स्टार कैंपेनर जाना चाहिए, इसके लिए राज्य से सुझाव भी लिए जाएंगे। हालांकि यह अभी तय नहीं होगा। सुझाव पर मंथन और हाईकमान की राय के बाद फैसला लिया जाएगा।
गुजरात का फॉर्मूला, जो चुनावी राज्यों में लाया जा सकता है...
2018 के चुनाव में गुजरात BJP के हाथ से फिसलते-फिसलते बचा था। पार्टी को 182 में से 101 सीटें ही मिली थीं। 2022 में ऐसा न हो इसके लिए गृह मंत्री अमित शाह, PM नरेंद्र मोदी और राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा के अलावा केंद्रीय मंत्री लगातार राज्य में रैलियां करते रहे। चुनाव से 20 दिन पहले 150 से ज्यादा जनसभाएं हुईं। इनमें 35 से ज्यादा PM मोदी और गृह मंत्री अमित शाह की थीं। इसी दौरान बिलकिस केस के दोषियों की रिहाई जैसे फैसले हुए।
सूत्र के मुताबिक, अगस्त से पहले हुई रैलियों और जनसभाओं से मिले फीडबैक ने जीत की उम्मीद जताई थी, लेकिन रिकॉर्ड जीत के लिए किसी करिश्मे की जरूरत थी। दोषियों की रिहाई के फैसले ने वही काम किया। गुजरात में पार्टी ने 156 सीटों के साथ जीत का नया रिकॉर्ड बना दिया। इससे पहले कांग्रेस ने 1985 में माधव सिंह सोलंकी की अगुआई में 149 विधानसभा सीटें जीती थीं।
बीएल संतोष को मिल सकता है कर्नाटक का जिम्मा
कर्नाटक के सूत्र के मुताबिक, पार्टी राज्यों में हिंदुत्व से जुड़े मुद्दे तलाशेगी। कर्नाटक में पीपुल्स फ्रंट ऑफ इंडिया यानी PFI पर बैन लगाकर BJP ने बड़ा दांव खेला है। इसका भी चुनाव में जोर-शोर से प्रचार किया जाएगा। पिछले साल कर्नाटक के दक्षिणी जिले शिवमोगा में बजरंग दल के नेता हर्षा और फिर BJP युवा मोर्चा के जिला सचिव प्रवीण नेट्टारू की हत्या के बाद से हिंदुत्ववादी संगठन और पार्टी के युवा कार्यकर्ता गुस्से में हैं।
ऐसे में BJP अपने कार्यकर्ताओं को मनाने के लिए हिंदुत्ववादी मुद्दे उठाएगी। केंद्रीय मंत्री बी एल संतोष RSS बैकग्राउंड के हैं, उन्हें कर्नाटक में चुनाव प्रचार का जिम्मा दिया जा सकता है। राज्य में पार्टी के मजबूत नेता रहे जी. जनार्दन रेड्डी भी बड़ी चुनौती हैं। उन्होंने नई पार्टी कल्याण राज्य प्रगति पक्ष (KRPP) बना ली है और चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया है।
राष्ट्रीय अध्यक्ष नड्डा का कार्यकाल बढ़ाने पर सबसे आखिर में फैसला
BJP के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा का कार्यकाल 20 जनवरी को खत्म हो रहा है। पार्टी इसे अगले लोकसभा चुनाव तक बढ़ा सकती है।
बैठक के पहले दिन राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा का कार्यकाल बढ़ाने पर तो कोई बात नहीं हुई, लेकिन उन्होंने अपना प्रोग्रेस कार्ड जरूर सभी के सामने रखा। पार्टी नड्डा के 3 साल के कार्यकाल से संतुष्ट है। इसलिए इसे आगे बढ़ाया जा सकता है। हालांकि, ये लगभग तय है, तो चर्चा नहीं शीर्ष नेतृत्व सबसे आखिर में सीधे फैसला सुनाएगा।
72 हजार बूथों की पहचान, जहां BJP कमजोर, अब इन्हीं पर फोकस
कार्यकारिणी बैठक में 2023 में 9 राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनाव और 2024 के लोकसभा चुनाव के लिए तैयारी पर मंथन चल रहा है। पार्टी नेता रविशंकर प्रसाद के मुताबिक, बैठक में PM मोदी ने कमजोर बूथों की पहचान कर उस पर मजबूती से काम करने के लिए कहा है। पार्टी ने ऐसे 72 हजार बूथों की पहचान की है। अब तक 1 लाख 32 हजार बूथों पर पार्टी पहुंच भी चुकी है।
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