इंग्लैंड के ऑलराउंडर सैम करन को आईपीएल मिनी ऑक्शन में पंजाब किंग्स ने 18.5 करोड़ रुपए में खरीदा। आईपीएल की नीलामी में बना ये रिकॉर्ड तो सुर्खियों में है…मगर एक खिलाड़ी पर इतनी बड़ी रकम खर्च करने वाले पंजाब किंग्स की एक आईपीएल सीजन में कितनी कमाई होती है, ये कभी सार्वजनिक नहीं होता।
पैसों की अंधाधुंध बरसात वाली क्रिकेट की दुनिया का ये वो पहलू है जो जनता के सामने नहीं आता। खुद बीसीसीआई ने ही 5 साल से अपनी एनुअल रिपोर्ट सार्वजनिक नहीं की है। इसी की तरह आईपीएल की फ्रेंचाइजी लेने वाली कंपनियों में से सिर्फ 4 ने ही स्पष्ट तौर पर अपनी कमाई का लेखा-जोखा जारी किया है।
सैम करन पर 18.5 करोड़ रुपए खर्च करने वाले पंजाब किंग्स की कमाई के आंकड़े तो सार्वजनिक ही नहीं हैं। कैमरून ग्रीन को 17.5 करोड़ में खरीदने वाले मुंबई इंडियंस का रेवेन्यू तो 372 करोड़ है, मगर टैक्स और खर्चों के बाद बचा कुल प्रॉफिट सिर्फ 28 करोड़ ही है।
जानिए, आईपीएल की चकाचौंध के पीछे इन 10 फ्रेंचाइजी को चलाने वाली कंपनियों कौन सी हैं? कैसी है उनकी आर्थिक हालत और क्या है उनकी कमाई का जरिया…
पहले जानिए, कौन है आईपीएल की टीमों को चलाने वाली कंपनियां
IPL की ब्रांड वैल्यू ही एक साल में 77% बढ़ी…मीडिया राइट्स की बिक्री ने 2.5 गुना बढ़ाया रेवेन्यू
आईपीएल 2022 के मैच टीवी पर करीब 23 करोड़ लोगों ने देखे। मीडिया राइट्स कमाई का सबसे बड़ा जरिया बनते जा रहे हैं।
ब्रांड इवैल्युएशन का काम करने वाले ब्रांड फाइनेंस की रिपोर्ट के मुताबिक मार्केट निवेश, लॉयल्टी, पहचान, स्टाफ सैटिस्फैक्शन जैसी कई चीजें मिलकर ब्रांड वैल्यू बनाती हैं।
सिर्फ फ्रेंचाइजी ही नहीं, आईपीएल की अपनी ब्रांड वैल्यू भी लगातार बढ़ रही है। 2021 के मुकाबले 2022 में यह 77% बढ़ी है।
2021 में आईपीएल की ब्रांड वैल्यू 38824 करोड़ थी जो 2022 में बढ़कर 69387 करोड़ रुपए हो गई। आईपीएल की ब्रांड वैल्यू बढ़ने की सबसे बड़ी वजह मीडिया राइट्स की ज्यादा कीमत है।
2018-2022 के साइकिल में मीडिया राइट्स की नीलामी में डिजिटल राइट्स 4040 करोड़ रुपए में बिके थे। ये 2023-27 के साइकिल के लिए जून, 2022 में हुई नीलामी में डिजिटल राइट्स 20500 करोड़ में बिके।
टीवी राइट्स इससे पहले 11410 करोड़ रुपए में बिके थे। जून की नीलामी में ये 23575 करोड़ रुपए में बिके। सिर्फ मीडिया राइट्स की बढ़ी कीमत की वजह से आईपीएल का सेंट्रल पूल रेवेन्यू 2.5 गुना बढ़ गया।
अब जानिए, आईपीएल टीम्स की कमाई कहां से होती है
सेंट्रल पूल से 50% कमाई टीमों के बीच बांटता है बीसीसीआई
सेंट्रल पूल और सेंट्रल स्पॉन्सरशिप से मिलने वाले पैसे का 50% BCCI टीमों में बांट देता है। 2022 से 2027 की अवधि में हर टीम को 600 करोड़ रुपए मिलेंगे। यानी हर साल 125 करोड़ रुपए। टिकट सेल का 80 फीसदी पैसा भी टीमों को मिलता है। बाकी दो तरीके टीम स्पॉन्सरशिप और मर्चेंडाइज सेल हैं।
आईपीएल के इकोसिस्टम में 6 तरीकों से पैसा आता है
1. सेंट्रल पूल
आईपीएल के सेंट्रल रेवेन्यू पूल में टाइटल स्पॉन्सरशिप एक बड़ा हिस्सा है। चाइनीज कंपनी वीवो की टाइटल स्पॉन्सरशिप की वजह से विवाद भी हुए। अब टाटा ने टाइटल स्पॉन्सरशिप 335 करोड़ में खरीदी है।
सबसे बड़ा अमाउंट यहीं आता है। ये मीडिया राइट्स और सेंट्रल स्पॉन्सरशिप से आने वाला पैसा है। इस बार मुकेश अंबानी की VIACOM18 (ब्रॉडकास्टिंग सर्विस) ने 23,758 करोड़ रुपए में 2023 से 2027 तक के आईपीएल ब्रॉडकास्टिंग के राइट्स खरीदे। टाइटल स्पॉन्सरशिप भी BCCI ही तय करता है। टाटा ने 2022 और 2023 के लिए टाइटल स्पॉन्सरशिप 335 करोड़ में खरीदी है।
2. टीम स्पॉन्सरशिप
हर टीम के प्रिंसिपल स्पॉन्सर का नाम जर्सी पर सबसे बड़ा दिखता है। इसके बाद दूसरे स्पॉन्सर्स के नाम छोटे दिखते हैं।
ये स्पॉन्सरशिप फेंचाइजी को मिलती है, इसमें कंपनियां अपनी पसंद की टीम से विज्ञापन करवा सकती हैं। जैसे उनकी जर्सी पर कंपनी का लोगो लगाकर। उदाहरण के लिए टीवीएस ने चेन्नई सुपरकिंग्स को 3 साल के लिए 75 करोड़ की स्पॉन्सरशिप दी थी। यानी हर साल करीब 25 करोड़ रुपए केवल स्पॉन्सरशिप के रूप में चेन्नई सुपरकिंग्स को टीवीएस से मिलते थे।
3. टिकट सेल्स
आईपीएल 2022 के फाइनल मैच और क्लोजिंग सेरेमनी के 1 लाख से ज्यादा टिकट बिके थे। 10% रेवेन्यू टिकट सेल से ही आता है।
आईपीएल का 10% रेवेन्यू टिकट सेल्स से ही आता है। इसका पैसा BCCI के अलावा टीमों और स्पॉन्सर्स को भी मिलता है।
4. मर्चेंडाइस सेल
हर टीम अपना मर्चेंडाइस बेचती है। यह ऑनलाइन शॉपिंग प्लेटफॉर्म्स के साथ ही टीम की अपनी वेबसाइट पर भी बिकता है।
हर फ्रेंचाइजी अपनी टीम की टीशर्ट, टोपी या घड़ी जैसा सामान बेचती है। इससे उन्हें मुनाफा होता है। रिसर्च एंड मार्केट की रिपोर्ट के मुताबिक, 2022 में स्पोर्ट्स इक्विपमेंट और कपड़ों का मार्केट 28 बिलियन डॉलर का है।
5. विज्ञापन
टीवी और डिजिटल प्लेटफॉर्म पर विज्ञापनों के अलावा स्टेडियम में लगने वाले विज्ञापनों से आईपीएल को अलग आय होती है।
इससे सब्सक्रिप्शन और व्यूअरशिप के जरिए पैसा मिलता है। मैच के दौरान 10 सेकेंड के विज्ञापन के लिए विज्ञापन कंपनी 14 लाख रुपए तक चुकाती है। जबकि 30 सेकेंड का विज्ञापन 1 करोड़ रुपए तक का हो सकता है।
6. फ्रेंचाइजी ऑक्शन
ऑक्शन के जरिये बीसीसीआई के रेवेन्यू का एक बड़ा हिस्सा आता है। फ्रेंचाइजी खरीदने के बाद भी कंपनी को हर साल फीस चुकानी होती है।
हर फ्रेंचाइजी फीस के तौर पर अपने टोटल रेवेन्यू का 20% BCCI को देती है। BCCI की कमाई का एक बड़ा हिस्सा यहां से आता है।
रिसर्च: हिना ओझा