राजस्थान के छोटे से गांव की यह लड़की किसी के लिए भी मिसाल हो सकती है। अगर आप अपने सपने को जीना चाहते हैं, उसे पूरा होते देखना चाहते हैं तो बस ईमानदारी से कोशिश शुरू कर दीजिए। मोनिका जाखड़ ने भी तो यही किया।
वह दिल्ली की एक कंपनी में आठ लाख पैकेज की नौकरी करती थीं। जॉब छोड़कर जब स्पोट्र्स में जाना चाहा तो पिता ने बेटी से बात करना ही बंद कर दिया। उनका कहना था कि गेम्स के लिए स्कूल और कॉलेज का समय सही रहता है। अब देर हो चुकी है, लेकिन मोनिका ने तो ठान लिया था कि शूटिंग में ही आगे करिअर बनाना है। पिता से दिसंबर तक की मोहलत मांगी। अब नेशनल में सिल्वर और ब्रॉन्ज मेडल जीतकर मोनिका ने खुद काे सही साबित कर दिखाया।
मोनिका ने केरल में हो रही 65वीं नेशनल शूटिंग चैम्पियनशिप में दो मेडल जीते हैं। भास्कर से उन्होंने अब तक का अपना सफर भी शेयर किया, आप भी पढ़िए...।
अलग-अलग कैटेगरी में मेडल जीते
सीकर के दासा की ढाणी की रहने वाली मोनिका जाखड़ ने बताया कि चैम्पियनशिप में राइफल शूटिंग की 10 मीटर एयर राइफल और 50 मीटर पॉइंट टू-टू राइफल की अलग-अलग कैटेगरी में कई मुकाबले खेले जा रहे हैं। उन्होंने 50 मीटर आईएसएसएफ सिविलियन कैटेगरी में टीम इवेंट में सिल्वर और 50 मीटर राइफल थ्री पोजिशन आईएसएसएफ नेशनल चैम्पियनशिप की टीम इवेंट में ब्राॅन्ज मेडल जीता है।
शूटिंग के लिए छोड़ी 8 लाख पैकेज की नौकरी
मोनिका जाखड़ ने बताया कि 2018 में एमबीए की डिग्री हासिल की थी। उसके बाद दिल्ली की ड्रीम इन्फोटेक कंपनी में मैनेजर की पोस्ट पर आठ लाख के पैकेज पर नौकरी लगी। नौकरी करते हुए एक दिन वीकेंड ऑफ पर फ्रेंड शूटिंग रेंज दिखाने लेकर गई।
रेंज में खिलाड़ियों को शूटिंग करते देखा। रूम पर लौटने के बाद भी शूटिंग का ख्याल आया। तब शूटिंग करने की ठान ली। इस बारे में पापा विजयपाल जाखड़ को बताया। उन्हें समझाया कि खेलना चाहती हूं। इस पर पापा का कहना था कि स्कूल और कॉलेज का समय स्पोर्टस के लिए सही समय होता है। अब शूटिंग का समय नहीं है।
नेशनल क्वालिफाई नहीं करने पर शूटिंग छोड़ने का चैलेंज
मोनिका ने बताया कि वह अपनी जिद्द पर अड़ी रही और 6 महीने में ही नौकरी छोड़ दी। पापा ने दो दिन तक बात भी नहीं की। मोनिका के पापा जालौर में ग्रेनाइट के व्यापारी है।
पापा के सामने चैलेंज रखा था कि वह दिसंबर तक नेशनल में क्वालिफाई नहीं कर पाई तो राइफल शूटिंग का सपना छोड़ देगी। इसके बाद पापा ने शूटिंग करने के लिए परमिशन दी थी।
पिता ने खुश होकर राइफल किट की ऑर्डर
जुलाई 2018 में शूटिंग शुरू करने के 25 दिन बाद ही अगस्त में स्टेट खेलने का मौका मिला। उसके पास राइफल किट नहीं थी। शेखावाटी शूटिंग रेंज से किट लेकर स्टेट में क्वालिफाई किया। अक्टूबर 2018 में देहरादून में नॉर्थ जोन नेशनल और केरल में नेशनल गेम्स में 3 पॉइंट से क्वालिफाई किया।
क्वालिफाई करने के बाद पापा काफी खुश हुए और जी जान से शूटिंग करने का आशीर्वाद दिया। मोनिका ने बताया कि पापा ने खुश होकर राइफल किट भी ऑर्डर कर दी।
मोनिका का कहना है कि कोविड के समय भी अपनी प्रैक्टिस नहीं छोड़ी। रोजाना तीन घंटे प्रैक्टिस करती थी। सुबह 2 घंटे और शाम को 1 घंटे की प्रैक्टिस लगातार जारी थी। मोनिका ने बताया कि अभी तक नेशनल में सिल्वर और ब्रान्ज मेडल जीता है। स्टेट में 1 गोल्ड, 2 सिल्वर और 1 ब्राॅन्ज जीता है।
मोनिका ने बताया कि अभी वह पुणे में ट्रेनिंग कर रही हैं। पिछले दो महीने से हर दिन 7 घंटे प्रैक्टिस कर रही हैं। उन्होंने बताया कि माता-पिता के साथ भाई बहन भी पूरा सपोर्ट करते हैं। जब वह घर जाती हैं तो अपनी छोटी बहन को भी शूटिंग के टिप्स देती हैं। मोनिका का कहना है कि जीवन में एक लक्ष्य रखेंगे तो सफलता आपके कदम खुद ही चूमेगी।
शूटर ने बताया कि लड़कियों के लिए फैमिली सपोर्ट सबसे बड़ी ताकत होती है। यदि ये है तो वह दुनिया जीतने की ताकत रखती हैं।
मोनिका ने दिल्ली के रोहिणी में 6 महीने जाकिर खान की शूटिंग रेंज मैं प्रैक्टिस की। 6 महीने बाद वह कोरोना के चलते सीकर आ गई, लेकिन उन्होंने अपनी प्रैक्टिस को चालू रखा। दीपेंद्र सिंह शेखावत की शेखावाटी शूटिंग रेंज में प्रैक्टिस की। उनकी हर सफलता के पीछे उनके माता-पिता का काफी अहम योगदान है । मोनिका जाखड़ के भाई दुष्यंत जाखड़ पिता के साथ उनका बिजनेस संभालते हैं। मोनिका को पढ़ने लिखने और आर्ट एंड क्राफ्ट का काफी शौक है।
मानिका की मां ने उनका पूरा सपोर्ट किया और उनके पिता को भी समझाने की कोशिश की।
मोनिका के पिता विजयपाल जाखड़ ने बताया उनकी बेटी मेहनत करने में कोई कमी नहीं छोड़ती। उसकी मेहनत का ही नतीजा है कि वह शूटिंग में अपना नाम रोशन कर रही है। उन्होंने कहा उनका सपना है कि उनकी बेटी ओलंपिक में देश के लिए गोल्ड मेडल जीते ।
मोनिका जब भी सीकर आती हैं वे प्रैक्टिस करने के साथ अपने दादा व दूसरे फैमिली मेंबर्स के साथ काफी समय बिताती हैं।
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' जब तुम हमारी उम्र में आओगे, तब भी रहोगे जवान
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मैं नमन करता हूं, सीकर राजस्थान '
शायरी करने के शौकीन म्यूजिक डायरेक्टर अनू मलिक ने ये सीकर के अली साहब के लिए कहा था। अली साहब एक म्यूजिक टीचर हैं और स्कूल में बच्चों को सिगिंग सिखाते हैं। छोटे-छोटे बच्चों को सिगिंग सिखाने वाले अली साहब खुद 12 साल के हैं और 6th क्लास में पढ़ते हैं। (पढ़ें पूरी खबर)