गृहमंत्री अमित शाह ने 4 अक्टूबर को जम्मू-कश्मीर के पहाड़ी समुदाय को अनुसूचित जनजाति यानी ST में शामिल करने का ऐलान किया। रजौरी में एक रैली संबोधित करते हुए शाह ने कहा, आपके साथ अब तक अन्याय हुआ है। पहले आपको आरक्षण मिलता था क्या? मोदी जी ने आर्टिकल 370 हटाकर आरक्षण का रास्ता क्लियर कर दिया। ST आरक्षण का रास्ता अब साफ हो गया है।
भास्कर एक्सप्लेनर में जानेंगे कि आखिर अनुसूचित जातियां और अनुसूचित जनजातियां किन्हें कहते हैं? इन शब्दों का ओरिजिन क्या है? किसी जाति को SC या ST में कैसे शामिल किया जा सकता है?
सवाल-1 : अनुसूचित जाति किन्हें कहते हैं?
जवाब : अनुसूचित जाति (Scheduled Caste) यानी SC, ऐसे वर्ग को कहा जाता हैं, जो छुआछूत और उत्पीड़न का शिकार हैं। जिन्हें मुख्य धारा से अलग-थलग रखा जाता है। आम बोल चाल में इन्हें दलित या हरिजन भी कहते हैं।
2011 जनगणना के अनुसार, भारत में अनुसूचित जातियों की आबादी 16.6 करोड़ हैं। यह देश की आबादी का 16% है। हर 10 साल में होने वाली जनगणना में इनकी गिनती की जाती है।
सवाल-2: अनुसूचित जनजातियां क्या हैं?
जवाब: अनुसूचित जनजातियां (Scheduled Tribes) यानी ST उन समूहों की सरकारी लिस्ट, जो आमतौर पर मुख्यधारा के समाज से अलग- थलग रहते हैं। इन लोगों का अपना एक अलग समाज होता है और इनके रीति-रिवाज अलग होते हैं। ये लोग अपने अलग कायदे-कानून बनाकर उसे मानते हैं। ऐसे लोग आमतौर पर जंगलों और पहाड़ों में रहते हैं।
इनकी आदिमता, भौगोलिक अलगाव, सामाजिक, शैक्षिक और आर्थिक पिछड़ापन इन्हें अन्य जातीय समूहों से अलग करता है। आम बोल चाल में इन्हें आदिवासी कहते हैं।
अनुसूचित जनजातियों की भी हर 10 साल में गिनती की जाती है। 2011 जनगणना के अनुसार, इनकी आबादी 10.43 करोड़ के करीब है। यह देश की कुल आबादी का 8% से ज्यादा है।
देशभर में 705 अनुसूचित जातियां रहती हैं।
सवाल-3 : अन्य पिछड़ा वर्ग यानी OBC क्या है?
जवाब : ये उन जातियों का वर्ग है जो सामाजिक और शैक्षिक रूप से पिछड़ होते हैं। इन्हें OBC, पिछड़ी जातियां या पिछड़े भी कहा जाता है।
आजादी के बाद से जनगणना में OBC की गिनती नहीं की जाती है। हालांकि पिछड़े वर्ग के लोग जनगणना में इसकी मांग कर रहे हैं।
सवाल-4 : तो फिर सामान्य जातियां कौन हैं?
जवाब : उन जातियों का समूह जो न SC हैं, न ST और न ही बैकवर्ड क्लास यानी OBC में शामिल हैं। आम बोलचाल में इन्हें सवर्ण या जनरल कास्ट भी बोला जाता है।
सवाल-5: अनुसूचित जाति शब्द आया कहां से?
जवाब: अनुसूचित जाति शब्द का प्रयोग सबसे पहले साइमन कमीशन ने किया। यह कमीशन 1928 में ब्रिटिश सांसद सर जॉन साइमन की अगुआई में भारत आया था। इसका मकसद 1919 में किए गए संवैधानिक सुधार की समीक्षा करना था। इसकी रिपोर्ट के आधार पर भारत शासन अधिनियम 1935 लागू किया गया था।
इस अधिनियम में अनुसूचित जाति शब्द पहली बार भारत के किसी कानून में शामिल हुआ। अधिनियम में अनुसूचित जातियों के लिए अलग निर्वाचन क्षेत्र का इंतजाम किया गया था।
अलग निर्वाचन क्षेत्र का मतलब उस तय निर्वाचन क्षेत्र में अनुसूचित जाति के प्रत्याशी ही खड़े होंगे। ये व्यवस्था छोटे समुदायों को संसद और विधानसभाओं में प्रतिनिधित्व देने के लिए अपनाई जाती है।
डॉ. अंबेडकर के अनुसार अनुसूचित जातियों को आदिकाल में भग्न-पुरुष कहा जाता था। यानी ऐसे इंसान जो खंडित या जो संपूर्ण न हों।
महात्मा गांधी ने इन्हें हरिजन नाम से पुकारा। हालांकि हरिजन शब्द का पहला प्रयोग नरसी मेहता के भजन ‘वैष्णव जन तो तेने कहिये…’ में हुआ। 1931 की जनगणना में इनके लिए दलित शब्द का इस्तेमाल किया गया।
भारत के संविधान के अनुच्छेद 341 में ऐसी जाति, नस्ल या आदिवासी समूह को अनुसूचित जाति माना गया है, जिन्हें सरकार अनुसूचित जाति की सूची में शामिल करती है।
दलित समुदाय के लोगों को अछूत कहने को महात्मा गांधी ने गलत बताते हुए उन्हें ‘हरिजन’ यानी ‘भगवान के बच्चे’ की संज्ञा दी। ‘हरिजन’ नाम से उन्होंने तीन मैगजीन भी निकालीं।
सवाल-6 : किसी जाति को SC और ST में कैसे शामिल किया जाता है?
जवाब : संविधान के अनुच्छेद 342 के तहत किसी भी जाति को SC या ST की लिस्ट में शामिल करने का अधिकार केवल संसद के पास है। यदि किसी जाति को SC या ST में शामिल करना है तो राज्य सरकार सबसे पहले इससे जुड़ा एक प्रपोजल केंद्र सरकार को भेजती है।
केंद्र सरकार प्रपोजल को रजिस्ट्रार जनरल ऑफ इंडिया को भेजता है। रजिस्ट्रार जनरल का क्लीयरेंस मिलने के बाद इसे SC या ST कमीशन को भेजा जाता है। यहां अप्रूवल मिलने के बाद कैबिनेट के पास जाता है। कैबिनेट की स्वीकृति के बाद यह संसद में आता है और संसद में मंजूरी मिलने के बाद राष्ट्रपति इससे जुड़ा आदेश जारी करते हैं। फिर यह कानून बन जाता है।
सवाल-7: अमित शाह जम्मू-कश्मीर में पहाड़ियों को ST का दर्जा देकर हासिल क्या करना चाहते हैं?
जवाब : जम्मू-कश्मीर में पहाड़ियों की आबादी करीब 6 लाख है। इनमें 55% हिंदू और बाकी मुस्लिम हैं। जम्मू-कश्मीर के राजौरी और बारामूला में पहाड़ियों की बड़ी आबादी रहती है। यानी गृहमंत्री अमित शाह ने पहाड़ियों को ST का दर्जा देकर बड़ा सियासी कार्ड खेला है।
क्योंकि हाल ही में परिसीमन के बाद पहली बार अनुसूचित जनजाति यानी ST को जम्मू-कश्मीर विधानसभा में 10% आरक्षण दिया गया है। अनुसूचित जनजाति के लिए 9 सीटें आरक्षित की गई हैं, जबकि 7 सीटें अनुसूचित जाति यानी SC के लिए आरक्षित हैं।
शाह ने सोमवार रात जम्मू में डोगरा, गुर्जर, बकरवाल, पहाड़ी समाज और सिख समुदाय के प्रतिनिधियों से मुलाकात की।
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