मां को ब्रेस्ट कैंसर से जूझता देख क्या बेटी डरने लगी है? क्या उसके मन में ये डर सिर उठा रहा है कि कहीं ऐसा तो नहीं, उसे भी इसी तकलीफ से गुजरना पड़ सकता है। इस फोबिया में काफी हद तक सच्चाई है क्योंकि कई महिलाएं जिनकी मां ब्रेस्ट कैंसर झेल चुकी हैं, खुद आगे बढ़कर ब्रेस्ट रिमूवल सर्जरी करा रही हैं, या इसके लिए अपने आपको तैयार कर रही हैं।
अब दो सवाल उठते हैं कि क्या ब्रेस्ट कैंसर हेरेडिटरी यानी वंशानुगत है? यानी जो जीन कैंसर के लिए उत्तरदायी हैं क्या वे पीढ़ी दर पीढ़ी आ सकते हैं? दूसरा सवाल, क्या इससे ब्रेस्ट कैंसर होने का रिस्क बढ़ जाता है?
महिलाओं में यह फियर फैक्टर दिल्ली के एम्स में पहचाना गया। पिछले तीन साल में एम्स के ओंकोलॉजी विभाग में ऐसी 30 महिलाओं की ब्रेस्ट रिमूवल सर्जरी की गई है जिनकी मां को ब्रेस्ट कैंसर था। इन मांओं में ब्रेस्ट कैंसर के तेजी से बढ़ने वाले एक्टिव जीन्स पाए गए। एहतियातन इन महिलाओं की बेटियों ने जेनेटिक टेस्टिंग के बाद ब्रेस्ट रिमूवल सर्जरी करवा ली, जबकि इन महिलाओं में ब्रेस्ट कैंसर के कोई लक्षण नहीं थे।
पहले इस ग्राफिक को देखते हैं और जानते हैं कि दुनिया में ब्रेस्ट कैंसर की क्या स्थिति है।
ओंकोलॉजिस्ट रिस्क के बारे में क्या कहते हैं?
ओंकोलॉजिस्ट भी सलाह देते हैं कि जिन महिलाओं को ब्रेस्ट कैंसर है और जिनके कैंसर जीन्स काफी म्टूटेटिंग और एक्टिव हैं उन महिलाओं की बहनों और बेटियों को ब्रेस्ट रिमूवल सर्जरी करवा लेनी चाहिए जिससे ये बीमारी आगे न फैले। दिल्ली एम्स की स्टडी में पाया गया कि ब्रेस्ट कैंसर के जो 18 से 20 प्रतिशत केस हेरिडिटेरी थे, उन 30 महिलाओं ने ही ब्रेस्ट रिमूवल सर्जरी करवाई।
बिना कैंसर डिटेक्ट हुए ब्रेस्ट रिमूवल सर्जरी कराने की वजह खास डर से जुड़ी है, क्योंकि ब्रेस्ट कैंसर के 10 प्रतिशत मामलों में कैंसर के जीन्स को मां से बेटी को ट्रांसफर होते पाया गया है।
कैंसर की पहचान दो जीन्स- BRCA1 और BRCA2 से होती है। ये दोनों जीन्स कैंसर होने पर काफी तेजी से एक्टिव हो जाते हैं। यही एक्टिव जीन्स ब्रेस्ट कैंसर और ओवेरियन कैंसर की 70-80 फीसदी वजह बनते हैं। असल में इन जीन्स के म्यूटेट होने से हेल्दी सेल्स कैंसर सेल्स में बदल जाते हैं।
अब जान लेते हैं कि जीन म्यूटेशन क्या होता है
अगर आप हेल्दी हैं तो आपके शरीर में BRCA1 और BRCA2 जीन्स प्रोटीन बनाते हैं, लेकिन इन जीन्स में गड़़बड़ी होने पर बॉडी के सेल्स में एब्नॉर्मल ग्रोथ होने लगती है जो आगे चलकर ट्यूमर का रूप ले लेता है। ये जीन्स मां से बेटी या पिता से बेटे में भी जा सकते हैं यानी उनको कैंसर का खतरा हो सकता हैं।
मां को ब्रेस्ट कैंसर है तो क्या बेटी को ब्रेस्ट रिमूवल सर्जरी करानी चाहिए?
कोलकाता के चितरंजन नेशनल कैंसर इंस्टीट्यूट के डायरेक्टर और सर्जिकल ओंकोलॉजिल्ट डॉ. जयंत चक्रवर्ती कहते हैं कि ऐसा तभी कराया जा सकता है जब BRCA1 और BRCA2 जीन में ज्यादा गड़बड़ी हो। किसी महिला के ये कहने पर कि मेरी मां को ब्रेस्ट कैंसर है, इसलिए मेरी भी ब्रेस्ट रिमूवल सर्जरी कर दें, ये ठीक नहीं है। इस तरह से महिलाओं में जरूरत से ज्यादा डर पैदा करेगा।
डॉ. जयंत बताते हैं कि यदि मां की जेनेटिक टेस्टिंग में म्यूटेशन का पता चलता है तो 50 से 80 प्रतिशत तक चांसेज होते हैं कि बेटी में भी ब्रेस्ट कैंसर हो। इसके बाद ही ब्रेस्ट रिमूवल सर्जरी करानी है या नहीं, इसका फैसला लेना चाहिए।
इस गंभीर और संवेदनशील विषय पर आगे बढ़ने से पहले ग्रैफिक से जानते हैं कि ब्रेस्ट कैंसर को लेकर देश में क्या स्थिति है।
उम्र बढ़ने पर बढ़ता जाता है रिस्क, इग्नोर करना सही नहीं
डॉ. जयंत साथ ही यह भी कहते हैं कि एक बार जीनोम सीक्वेसिंग टेस्ट के बाद फैसला लें, लेकिन ध्यान रहे कि उम्र बढ़ने के साथ रिस्क बढ़ता जाता है। इसे इग्नोर नहीं करना चाहिए। 30 वर्ष की उम्र में अगर कैंसर होने का चांस 50 प्रतिशत है तो यह रिस्क 40-45 वर्ष की उम्र तक 70-80 प्रतिशत ज्यादा हो जाता है।
नॉर्थ ईस्टर्न इंदिरा गांधी रीजनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ एंड मेडिकल साइंसेज (NEIGRIHMS शिलॉन्ग) के सर्जिकल ओंकोलॉजिस्ट डॉ. कैलेब हैरिस बताते हैं कि BRCA1 और BRCA2 का टेस्ट कराने से पहले काउंसिलिंग बहुत जरूरी है। इसे इस उदाहरण से समझ सकते हैं।
20 साल की लड़की की मां (48 वर्ष) को ब्रेस्ट कैंसर है। बड़ी बहन को भी यही बीमारी है। तब क्या उसे जीन टेस्ट कराना चाहिए। ऐसे में महिलाएं दो तरह से रिएक्ट करती हैं। पहला, जो कहती हैं कि जब कैंसर होगा, तब देखा जाएगा। तब तक तो खुशी से जी सकती हूं। लेकिन ऐसी महिलाएं भी हैं जो कहती हैं कि मुझे अपनी सेहत के बारे में पूरी जानकारी चाहिए। अगर ब्रेस्ट रिमूवल सर्जरी का फैसला लेती है तो ऐसे में काउंसिलिंग जरूरी हो जाती है।
डॉ. कैलेब कहते हैं कि 20 की उम्र में यदि किसी के BRCA1 और BRCA2 जीन में म्यूटेशंस पाए भी जाते हैं तो तुरंत ब्रेस्ट रिमूवल सर्जरी की सलाह नहीं दी जाती। क्योंकि ऐसा करने पर उसे अपने स्त्रीत्व को खो देने का दुख होता है और ओवरीज के रिमूवल पर वह महिला भविष्य में मां भी नहीं बन सकती।
इसके लिए कई ऑप्शंस हैं जिन्हें अपनाकर वह अपनी सेहत का ध्यान रख सकती है। सेल्फ एग्जामिनेशन, रेगुलर स्क्रीनिंग, MRI और मैमोग्राफी से पता कर सकते हैं कि ब्रेस्ट कैंसर के आसार बन रहे हैं या नहीं। इस दौरान कोई महिला शादी और बच्चे होने के बाद सर्जरी कराए तो यह बेहतर होगा जैसा कि हॉलीवुड एक्ट्रेस एंजेलीना जोली ने किया।
एंजेलीना जोली ने कुछ ऐसा ही फैसला लिया था, जिसकी वजह से वह चर्चा में रहीं। 14 मई 2013 को द न्यूयॉर्क टाइम्स में प्रकाशित एक मेडिकल नोट को पढ़ते हैं जिसे एंजेलीना जोली ने ही लिखा था।
एंजेलीना के इस मेडिकल नोट से हलचल मच गई थी कि उन्होंने डबल मास्टेकटमी (ब्रेस्ट रिमूवल सर्जरी) करवाई है। इसके बाद ब्रेस्ट कैंसर को लेकर महिलाओं का जो नजरिया बदलता दिखा उसे ही ‘एंजेलीना जोली इफेक्ट’ कहा जाता है।
एंजेलीना के इस नोट का असर महिलाओं पर किस तरह पड़ा, यह समझने की जरूरत है।
नेचर पत्रिका की 2 फरवरी 2021 की रिपोर्ट बताती है कि जिस दिन एंजेलीना जोली ने खुलासा किया, उसके बाद से कंट्रोलेटेरल रिस्क रिड्यूसिंग मास्टेकटमी (सीआरआरएम) में दोगुनी बढ़ोतरी हुई। ‘एंजेलीना जोली इफेक्ट’ से पहले जहां बिना किसी लक्षण के ही ब्रेस्ट सर्जरी करवाने की दर यानी 23.9 प्रतिशत थी वह घोषणा के बाद बढ़कर 50 प्रतिशत हो गई। हॉर्वर्ड मेडिकल स्कूल की स्टडी में बताया गया कि ‘एंजेलीना जोली इफेक्ट’ से जेनेटिक टेस्टिंग में भी 64 प्रतिशत की वृद्धि हुई।
ब्रेस्ट और ओवेरियन कैंसर से जुड़े हैं 14 जीन्स
BRCA1 और BRCA2 के अलावा महिलाओं के 12 और जीन्स में गड़बड़ी की आशंका होती है। इनकी समय पर जांच हो जाए तो कैंसर के लक्षण पता चल सकते हैं और यही आगे चलकर कैंसर की वजह भी बनते हैं।
गुजरात कैंसर रिसर्च इंस्टीट्यूट की ‘म्यूटेशनल लैंडस्केप फॉर इंडियन हेरेडिटरी ब्रेस्ट’ नाम की रिपोर्ट में बताया गया है कि BRCA1 और BRCA2 सहित 14 तरह के जीन्स हैं जो ब्रेस्ट और ओवेरियन कैंसर से जुड़े हैं। हालांकि BRCA1 और BRCA2 जीन ही मुख्य रूप से ब्रेस्ट और ओवेरियन कैंसर के लिए जिम्मेदार होते हैं। रिपोर्ट में 144 केस स्टडीज का जिक्र है। अध्ययन में बताया गया कि 88 प्रतिशत मामलों में BRCA1 और BRCA2 जीन्स में ही गड़बड़ी पाई गई।
तो क्या इन दो जीन्स की टेस्टिंग से ही ब्रेस्ट कैंसर के रिस्क का पता लगाया जा सकता है? इस पर नेशनल कंप्रीहेन्सिव कैंसर नेटवर्क (NCCN) की गाइडलाइन में बताया गया है।
2014 की गाइडलाइन के अनुसार, BRCA जीन के अलावा जो जीन्स हैं उनकी भी जांच की जानी चाहिए। इसे मल्टी जीन टेस्टिंग या होल जीनोम सिक्वेंसिंग कहते हैं। NCCN की गाइडलाइन में बताया गया है कि इन 12 जीन TP53, PTEN, CDH1, STK11, ATM, BARD1, BRIP1, CHEK2, ERBB2, NBN, PALB2, RAD51C की जांच से ब्रेस्ट कैंसर के खतरे को कम किया जा सकता है।
सर अरबिंदो इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज इंदौर के ओंकोलॉजिस्ट डॉ. शशांक बंसल बताते हैं कि मल्टीपल जीनोम टेस्ट महंगा है। जहां BRCA जीन टेस्टिंग में 8 से 10 हजार रुपए लगते हैं वहीं होल जीनोम सिक्वेंसिंग पर 65 से 70 हजार रुपए का खर्च आ सकता है। मल्टीपल जीनोम टेस्ट में उन सभी जीन की पहचान हो जाती है जो एब्नॉर्मल होते हैं।
अब केस स्टडी से समझिए कि डर कैसा है
‘मुझे ब्रेस्ट कैंसर है। मेरी मां को भी 48 वर्ष की उम्र में ब्रेस्ट कैंसर हुआ। नानी भी इस बीमारी से पीड़ित थीं। मैंने ब्रेस्ट रिमूवल सर्जरी कराई। अब रिकंस्ट्रक्टिव सर्जरी कराने की तैयारी में हूं। मेरी दो बेटियां हैं। मुझे डर है कि कहीं उन्हें भी इस बीमारी का खतरा न हो।‘
क्या कहते हैं एक्सपर्टः तीन पीढ़ियों से परिवार की महिलाओं को ब्रेस्ट कैंसर है तो इसकी आशंका है कि यह वंशानुगत है।
फिर क्या करना चाहिएः इसके चार मुख्य तरीके हैं जिन्हें अपनाना चाहिए।
- जेनेटिक काउंसिलिंगः जीन टेस्ट कराया जाए या रेगुलर स्क्रीनिंग, मैमोग्राफी का विकल्प चुना जाए, इसके लिए काउंसिलिंग होनी चाहिए।
- जेनेटिक टेस्टिंगः अगर खतरा हो तो जेनेटिक टेस्टिंग करानी चाहिए।
- रिजल्ट इंटरप्रेटेशनः टेस्टिंग रिपोर्ट का अध्ययन किया जाता है। इसमें पता चलता है कि जीन में गड़बड़ी किस स्तर पर है।
- काउंसिलिंगः यदि BRCA1 और BRCA2 जीन में म्यूटेशंस पाए जाते हैं और रिस्क अधिक है तो डॉक्टर सर्जरी की सलाह देते हैं।
जेनेटिक टेस्टिंग में कितना आता है खर्चः सरकारी अस्पतालों में यह टेस्ट मुफ्त किया जाता है। BRCA1 और BRCA2 जीन टेस्ट के लिए प्राइवेट अस्पतालों में 8 से 10 हजार रुपए का खर्च आता है जबकि पूरी जीनोम सीक्वेंसिंग के लिए 60 से 70 हजार रुपए खर्च होते हैं।
इस ग्रैफिक के जरिए समझते हैं कि ट्रीटमेंट के बाद भी ब्रेस्ट कैंसर होने के क्या लक्षण हो सकते हैं।
क्या है सोशल स्टिगमा
सेंटर फॉर हेल्थ इनोवेशन एंड पॉलिसी फाउंडेशन (CHIP) नोएडा के फाउंडर डॉ. रवि मेहरोत्रा बताते हैं कि परिवार में किसी को ब्रेस्ट कैंसर है तो यह सीधे-सीधे सोशल स्टिगमा यानी एक धब्बे के रूप में जुड़ जाता है। कैंसर से जान जाने का डर और ट्रीटमेंट की तकलीफदेह प्रक्रिया (मैमोग्राफी, कीमोथेरेपी या रेडिएशन) तो वजह है ही, उन्हें लगता है कि परिवार में किसी को ब्रेस्ट कैंसर डिटेक्ट हुआ तो समाज में उनका परिवार अकेला पड़ जाएगा। उन्हें लगता है कि उनकी बेटी की शादी में दिक्कत आ सकती है। ब्रेस्ट या ओवेरियन कैंसर होने पर महिला को बुरी नजर से भी देखा जाता है।
डॉ. मेहरोत्रा ‘इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च’ और ‘इंडिया कैंसर रिसर्च कॉन्सॉर्टियम (ICMR-ICRC) दिल्ली ’ के पूर्व सीईओ रहे हैं। वह बताते हैं कि गांवों में कई महिलाएं ब्रेस्ट कैंसर के ट्यूमर के साथ रहती हैं। कई बार यह टेनिस के बॉल या फुटबॉल के साइज का भी हो जाता है। इससे पता चलता है कि ब्रेस्ट कैंसर को लेकर जागरूकता की कितनी कमी है।
इस डर को कई स्तरों पर प्रीकॉशन के रूप में देखा जाना चाहिए। डायग्नोसिस और ट्रीटमेंट को लेकर दो केस स्टडी पर नजर डालते हैं। इन दोनों केस स्टडी के बारे में डॉ. रवि मेहरोत्रा ने जानकारी दी। आप भी जानें-
केस स्टडी 1
45 साल की महिला के ब्रेस्ट में गांठ थी। उसने इसे नजरअंदाज किया। ट्यूूमर का साइज बढ़ा तो होम्योपैथी डाॅक्टर को दिखाया। कोई राहत नहीं मिली। उसने सोचा कि लड़की की शादी कर लूं, इसके बाद डॉक्टर को दिखाऊंगी। इस तरह एक साल बीत गए। तब तक ट्यूमर टेनिस बॉल के आकार का हो चुका था। यानी ब्रेस्ट कैंसर स्टेज 3 में पहुंच चुका था। प्रयागराज स्थित मोती लाल नेहरू मेडिकल कॉलेज में इलाज के बावजूद डेढ़ साल में महिला की मौत हो गई। आखिरी छह माह उन्होंने बेहद दर्द और तकलीफ में काटे।
केस स्टडी 2
दिल्ली की एक महिला को ब्रेस्ट में गांठ का अहसास हुआ। उसने बेटे को यह बात बताई। बिना देरी किए डॉक्टर को दिखाया तो ब्रेस्ट कैंसर डिटेक्ट हुआ। चूंकि कैंसर स्टेज 1 में था, इसलिए एहतियातन बाइलैटरल मास्टेकटमी के जरिए ब्रेस्ट निकाल दिए गए। महिला को जब कैंसर हुआ तब उनकी उम्र 60 वर्ष थी, आज उनकी उम्र 90 साल है और स्वस्थ जीवन जी रही हैं।
यह बात आपने शुरू में ही पढ़ी कि ब्रेस्ट कैंसर के 10 प्रतिशत मामले ही वंशानुगत होते हैं तो फिर दूसरे रिस्क फैक्टर क्या हैं। इसे ग्रैफिक से समझते हैं।
महिला होने की कीमत चुकानी पड़ती है
गुवाहाटी स्थित नॉर्थ ईस्ट कैंसर हॉस्पिटल एंड रिसर्च इंस्टीट्यूट (NECHRI) के सर्जिकल ओंकोलॉजिस्ट डॉ. श्रीनिवास बैनोथ बताते हैं कि महिलाएं ही सबसे ज्यादा ब्रेस्ट कैंसर के खतरे के दायरे में होती हैं। अगर 100 महिलाओं को ब्रेस्ट कैंसर होता है तो उनके मुकाबले 1 पुरुष को ब्रेस्ट कैंसर होता है।
नेशनल कैंसर इंस्टीट्यूट के सर्विलांस, एपिडिमोलॉजी एंड रिजल्ट्स (SEER) के अनुसार, 40 वर्ष की उम्र के बाद ब्रेस्ट कैंसर तेजी से बढ़ता है। समय पर पीरियड्स न आए या मेनोपॉज में देरी हो तो ब्रेस्ट कैंसर के खतरे बढ़ जाते हैं। यह महत्वपूर्ण है कि भारत में ब्रेस्ट कैंसर के दो तिहाई मामले 55 वर्ष से ऊपर की महिलाओं में होते हैं।
महिलाओंं में हॉर्मोन्स का स्तर ऊपर-नीचे होना
डॉ. रवि मेहरोत्रा कहते हैं कि महिलाओं में हाॅर्मोन स्तर ऊपर-नीचे होने से ब्रेस्ट कैंसर के सेल्स असामान्य रूप से बढ़ने लगते हैं। लेकिन पुरुषों में ऐसा नहीं होता। ब्रेस्ट कैंसर में महिलाओं में जिस तरह के लक्षण दिखते हैं, वैसे ही पुरुषों में होते हैं। जैसे-ब्रेस्ट में लंप या सूजन आना, लाल चकत्ते आना, निपल से डिस्चार्ज आदि। पुरुषों में भी समय पर ब्रेस्ट कैंसर डिटेक्ट न हो तो यह एडवांस स्टेज में पहुंच सकता है।
अंत में ब्रेस्ट कैंसर सर्वाइवर को क्या सावधानी बरतनी चाहिए, इसे इस तरह समझते हैं।
दिल्ली की चंद्ररेखा को 25 वर्ष पहले उन्हें ब्रेस्ट कैंसर डिटेक्ट हुआ था। 75 साल की चंद्ररेखा बताती हैं कि 1994 में उन्हें अपनी बीमारी का अहसास हुआ और उन्होंने तीन साल तक बीमारी छुपाए रखा। जब ट्यूमर बड़ा हो गया तो डॉक्टर के पास गईं। इस लापरवाही की वजह से बीमारी स्टेज 3 में पहुंच गई थी। डॉक्टरों ने सर्जरी कर एक ब्रेस्ट रिमूव कर दिया। नियमित रूप से सारे चेकअप कराती हूं और डाइट का खास ख्याल रखती हूं।
दिल्ली के सफदरगंज अस्पताल में कार्यरत रश्मि शर्मा ब्रेस्ट कैंसर सर्वाइवर हैं। 2015 में ट्रीटमेंट के बाद उन्होंने नियमित रूप से चेकअप कराया। वह कहती हैं कि डाइट को लेकर सजग रहती हूं। जंक फूड और नॉन वेज नहीं खाती। नमक, चीनी, मैदा जैसी चीजें खाने से बचती हूं। स्प्राउट्स भी लेती हूं। हर दिन कम से कम चार किमी पैदल चलती हूं। लाइफ के प्रति पॉजिटिव एप्रोच रखती हूं।
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ग्रैफिक्स: सत्यम परिडा
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