सोमवार सुबह 5 बजे…1 लाख भक्त खाटूश्यामजी में बाबा श्याम के दर्शन के लिए लाइन में लगे हुए थे। 5 घंटे इंतजार के बाद जैसे ही पट खुले, भगदड़ मच गई। इस भगदड़ में 3 महिलाओं की मौत हो गई और 4 लोग गंभीर घायल हैं।
3 महिलाओं की मौत के बाद जिम्मेदार अपनी जिम्मेदारी निभाने की रस्मों में जुट गए हैं। एसपी कुंवर राष्ट्रदीप ने खाटू थानाधिकारी एसआई रिया चौधरी को सस्पेंड कर दिया है। वहीं सरकार ने मामले की जांच संभागीय आयुक्त विक्रम सीताराम भाले से कराने के आदेश दिए हैं।
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लेकिन जांच किसकी?
मौत की, भगदड़ की या हत्या की?
खाटूश्यामजी में 3 महिलाओं की मौत हादसा नहीं, हत्या थी। पुलिस-प्रशासन और मंदिर कमेटी की लापरवाही और मिस मैनेजमेंट के कारण भगदड़ मची। भास्कर टीम खाटूश्यामजी पहुंची और मामले में पड़ताल की। इन्वेस्टिगेशन रिपोर्ट में पढ़िए कैसे प्रशासनऔर मंदिर कमेटी की लापरवाही 3 महिलाओं की मौत की वजह बन गई।
पहली चूक: इंटेलिजेंस इनपुट को सीरियसली नहीं लिया
खाटू मंदिर में पिछले कुछ समय से भक्तों की भीड़ लगातार बढ़ रही है। वीकेंड के अलावा हर महीने की ग्यारस पर लाखों लोग दर्शन करने पहुंचते हैं। पिछले महीने की भीड़ को देखते हुए इंटेलिजेंस ने इनपुट भी दिया था कि भीड़ बढ़ने से हादसा हो सकता था, इसके बाद भी पुलिस और मंदिर प्रबंधन ने इसे सीरियसली नहीं लिया और उस मुताबिक व्यवस्थाएं नहीं बनाईं।
दूसरी चूक: 1 लाख की भीड़ पर महज 150 पुलिसकर्मी
खाटू में लक्खी मेले के दौरान 3 हजार से ज्यादा पुलिसकर्मियों की ड्यूटी लगाई जाती है, लेकिन मासिक मेले के दौरान सिर्फ 300 पुलिसकर्मी तैनात किए गए। वो भी दो शिफ्ट में। सुबह 5 बजे, जब 1 लाख श्रद्धालु दर्शन का इंतजार कर रहे थे तो उन्हें कंट्रोल करने के लिए सिर्फ 150 पुलिसकर्मी थे।
हादसे के बाद मौके पर भगदड़ मच गई। फौरन वहां से घायल लोगों को हॉस्पिटल पहुंचाया गया। सुरक्षा व्यवस्था नहीं थी, ऐसे में कुछ लोगों ने पास के गेट पर लगे ताले को पत्थर से तोड़ दिया। फिर इसी गेट से श्रद्धालु आगे मंदिर की ओर भागने लगे।
तीसरी चूक: लोगों ने तोड़ दिया गेट का ताला
रात को 12 बजे बंद कर दिए गए थे। सुबह 5 बजे दर्शनों के लिए मंदिर के पट खोले गए। जैसे ही दर्शनों के लाइन शुरू हुई, लोग मंदिर की ओर भागने लगे। श्याम बगीची के पास जिगजैग में काफी भीड़ थी। पड़ोस में मिठाई की दुकान वाले ने बताया कि सुरक्षा व्यवस्था नहीं थी, ऐसे में कुछ लोगों ने पास के गेट पर लगे ताले को पत्थर से तोड़ दिया। फिर इसी गेट से श्रद्धालु आगे मंदिर की ओर भागने लगे।
चौथी चूक: जिगजैग का रास्ता बदला
इस बार लक्खी मेले की तरह तोरण द्वार से ही जिगजैग की व्यवस्था कर दी गई थी। श्रद्धालु शनि मंदिर, श्री श्याम कुंड, मोदी चौक से लाला मांगेराम धर्मशाला से होकर मुख्य मेला मैदान के जिगजैग तक पहुंच रहे थे। श्रद्धालुओं को दो घंटे जिगजैग में ही लग रहे थे। जबकि इससे पहले ग्यारस के मेले में भक्त शहर में से होते हुए मुख्य मंदिर तक पहुंचते हैं। यहां से जिगजैग में लगते हैं और दर्शन करते हैं। इस बार भीड़ कंट्रोल करने के लिए की गई व्यवस्था से ही मैनेजमेंट बिगड़ गया।
भास्कर हस्तक्षेप में पढ़िए जिम्मेदारी से बचने का ये खेल कैसे जानलेवा साबित हो सकता है...
4 घंटे दर्शन नहीं रोकते तो टल सकता था हादसा
बाबा श्याम के वार्षिक मेले के दौरान श्रद्धालुओं की भीड़ को देखते हुए केवल 1 मिनट के लिए पट बंद रखे जाते हैं। रातभर दर्शन होते हैं, लेकिन मासिक मेले में ऐसी व्यवस्था नहीं थी। रात 12 बजे दर्शन बंद कर दिए गए। मंदिर के पट बंद होते ही श्रद्धालु दर्शन के लिए रात में ही लाइन में लग गए। ऐसे में सुबह तक 1 लाख भक्त कतारों में लगे हुए थे और गेट खुलते ही भगदड़ मच गई।
आंखों देखी : अचानक भीड़ आई और बुआ को रौंदती हुई आगे बढ़ गई
मंदिर में भगदड़ मचने के पास भी पुलिस के पास स्थिति कंट्रोल करने के लिए कोई एक्शन प्लान नहीं था। भगदड़ में जमीन पर गिरे लोगों को भीड़ पैरों तले कुचलती हुई आगे बढ़ रही थी। 65 साल की माया देवी भगदड़ के कारण गिर गई थीं। उनके भतीजे की बहू रश्मि ने बताया कि वे रविवार रात 9 बजे दर्शन के लिए आए थे। रात को खाना खाने के बाद 12 बजे लाइन में लग गए थे। 5 घंटे में मंदिर के पास जिगजैग में पहुंचे थे। तभी पीछे से अचानक भीड़ का रेला आया। धक्का लगने पर बुआ नीचे गिर गईं। धक्का-मुक्की के कारण हम पीछे रहे गए। भीड़ उन्हें रौंदती रही। हमने बहुत ढूंढ़ा, लेकिन बुआ का पता नहीं लगा। बाद में किसी ने बताया कि भगदड़ में कुछ लोगों की मौत हो गई, तब हम अस्पताल पहुंचे।
नाकामी छिपाने के लिए CCTV कंट्रोल रूम लॉक किया
घटनास्थल के पास 3 CCTV लगे हुए हैं, जिनमें पूरी घटना रिकॉर्ड हुई है। इन कैमरों का कंट्रोल रूम मंदिर कमेटी के पास ही है। जैसे ही तीन महिलाओं की मौत की सूचना आग की तरह फैली तो पुलिस-प्रशासन और कमेटी एक्टिव हो गए। इन्होंने सबसे पहले कंट्रोल रूम को अपने कब्जे में लिया। सुबह 9 बजे बाद कलेक्टर-एसपी ने कंट्रोल रूम में पहुंचकर CCTV फुटेज देखे। इसके बाद नाकामी छिपाने के लिए प्रशासन ने CCTV के कंट्रोल रूम के ताला लगा दिया और वहां पुलिसकर्मी तैनात कर दिए।
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