नेशनल टेस्टिंग एजेंसी की ओर से सोमवार को जारी हुए JEE मेंस रिजल्ट में जयपुर के पार्थ भारद्वाज ऑल इंडिया लेवल पर तीसरी रैंक पर रहे हैं। पार्थ ने 100 परसेंटाइल मार्क्स हासिल किए हैं। 18 साल के पार्थ ने क्रैम्ब्रिज कोर्ट हाई स्कूल से 12वीं पास की है।
पार्थ ने दैनिक भास्कर से बातचीत में कहा कि-
जेईई टॉप करने के बाद भी इंजीनियरिंग का उतना क्रेज नहीं है, जितना UPSC की सिविल सर्विसेज में सिलेक्ट होकर IAS बनने का है।
पार्थ ने कहा- जिंदगी का गोल है कि इंडिया की बहुत सी प्रॉब्लम को सुधारना है। जैसे- प्राइमरी एजुकेशन में बहुत सुधार की जरूरत है। उन्होंने कहा- बहुत चीजों को डेमोक्रेटाइज कर रखा है, लेकिन मुझे ब्यूरोक्रेटाइज ज्यादा पसंद है। कई और भी टेक्निकल प्रॉब्लम लगती हैं, जो इंडिया के सिस्टम को सूट नहीं करती हैं।
उन्होंने कहा कि चाइना भी एक अच्छा उदाहरण है। समाजवाद पर विश्वास करने जैसा कुछ नहीं है, ज्यादातर देशों में वह फेल हो चुका है। कैपिटलिज्म (पूंजीवाद) ने ज्यादातर देशों में काम किया है, इसे भारत में भी काम करना चाहिए।
अभी सब्जेक्ट चूज नहीं किया है
पार्थ ने बताया इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस, बेंगलुरू से भी उन्हें ग्रेजुएशन का ऑफर आ चुका है। अब ग्रेजुएशन में कम्प्युटर साइंस या इलेक्ट्रिकल सब्जेक्ट से इंजीनियरिंग सलेक्ट करेंगे। पार्थ ने छठी क्लास से ही कोचिंग जॉइन कर रखी थी। उनके एक साथी सम्भव जैन की 333 वीं रैंक बनी है।
माता-पिता और टीचर्स के साथ JEE थर्ड रैंक होल्डर पार्थ भारद्वाज।
UPSC सिविल परीक्षा लक्ष्य
पार्थ ने बताया नॉर्मली स्टूडेंट्स जैसे पढ़ाई करते हैं, मैंने वैसे ही पढ़ाई की है। बस यह देखा क्या जरूरी है। उस पर फोकस रखा। मेरा बड़ा भाई कंप्यूटर इंजीनियर है, लेकिन मैंने टीचर्स को ही फॉलो किया है। पैरेंट्स का सपोर्ट पूरा रहा।
मेरा लक्ष्य UPSC की सिविल परीक्षा देकर IAS सर्विस में जाना है। आगे पढ़ाई के लिए अब तक कॉलेज डिसाइड नहीं किया है। कंप्यूटर या इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग लेने का विचार है। पार्थ ने बताया पढ़ाई के साथ मैंने फुटबॉल भी खेला, जिसमें मुझे बहुत इंट्रेस्ट है।
करंट अफेयर्स पर भी दोस्तों से चर्चा करता रहता हूं। बाकी स्टूडेंट्स के लिए टिप्स यही है कि देखना चाहिए क्या पढ़ना है, क्या नहीं। NCERT पढ़ लिया तो फिजिक्स-केमिस्ट्री में फुल नंबर ला सकते हैं। मैथ्स में तो मेहनत करनी ही पड़ती है, उसका और अल्टरनेटिव नहीं है। बच्चों को खुद से झूठ नहीं बोलना चाहिए कि मैंने मैथ्स में कोर्स कम्प्लीट कर लिया।
स्टूडेंट्स से टिप्स शेयर करते हुए कहा जेईई क्रेक करने के लिए फिजिक्स और केमिस्ट्री में एनसीईआरटी और मैथ्स के लिए कोचिंग को ढंग से फॉलो करना चाहिए। पार्थ ने बताया उन्होंने कोविड पीरियड में ऑनलाइन स्टडी की। उसके बाद 3-4 घंटे और पढ़ते थे।
लेकिन उन दिनों में ज्यादा कंसंट्रेशन नहीं बन पाता था। ऑनलाइन से जैसे-जैसे ऑफलाइन होता गया, थोड़ा पढ़ना बढ़ाते चले गए। रोजाना 5 से 6 घंटे पढ़ाई की। जो कभी कभी 8-9 घंटे तक हो जाती थी। पार्थ का फेवरेट सब्जेक्ट फिजिक्स है।
पार्थ भारद्वाज ने कहा मुझे फिजिक्स से लगाव रहा है। कुछ मॉडल और फिजिकल चीजें सोचकर मैथेमैटिकल फॉर्म में लिखना बड़ा अच्छा लगता है।
रैंकिंग सिस्टम से कोचिंग इंडस्ट्री बड़ी बन गई, उसे चेंज करना चाहिए
पार्थ ने कहा इंडिया में हर चीज की कोचिंग है। बच्चा ढंग से फॉलो करे तो वह परीक्षा क्लीयर हो भी जाती है। लेकिन बिल्कुल एक्सट्रा ऑर्डिनरी करना है, तो खुद से कुछ सोचना पड़ता है। कोटा में कॉम्पिटिशन की तैयारी करने वाली स्टूडेंट्स में तनाव और डिप्रेशन के कारण सुसाइड केसेज पर उन्होंने कहा कोचिंग सिस्टम को सुधारना पड़ेगा।
इंडिया के एजुकेशन सिस्टम को अमेरिका, नॉर्वे या फिनलैंड जैसा करना चाहिए। क्योंकि इंडिया में बच्चों पर बहुत ज्यादा प्रेशर होता है। 10 लाख बच्चे JEE देते हैं। उसमें से 10 हजार अच्छे IIT जाकर अच्छी जॉब्स कर पाते हैं। उनके लिए सेटिस्फेक्ट्री होता है। बाकी बच्चों के लिए सही नहीं होता है। जिस रैंकिंग सिस्टम के कारण कोचिंग इंडस्ट्री इतनी बड़ी बन गई। उसे चेंज करना चाहिए। JEE का पैटर्न भी कैमिस्ट्री में स्पेशियली चेंज करना चाहिए।
फिजिक्स से रहा है लगाव
मेरा 10वीं तक फिजिक्स रिसर्च में जाने का प्लान था। अब फाइनली UPSC के जरिए एडमिनिस्ट्रेटिव सर्विस में जाने में ज्यादा फायदा नजर आया। पार्थ के पिता राकेश भारद्वाज ट्रांसपोर्ट डिपार्टमेंट में इंस्पेक्टर हैं,अभी रेवेन्यु में डेपुटेशन पर हैं। मां शिमला भारद्वाज हाउस मेकर हैं। एक बड़ा भाई है जो कम्प्युटर साइंस से इंजीनियरिंग के बाद जॉब कर रहा है।