उदयपुर के कन्हैयालाल के हत्यारे। नूपुर शर्मा को पाकिस्तान से मारने आया आतंकी। गैंगस्टर आनंदपाल, पपला गुर्जर, लॉरेंस बिश्नोई। ये सिर्फ कुछ नाम हैं, लिस्ट लंबी है। इन दुर्दांत अपराधियों की हेकड़ी सिर्फ एक जगह ठिकाने आई है और वो जगह है अजमेर की हाई सिक्योरिटी जेल।
जिस जेल में ऐसे बड़े-बड़े अपराधी कैद हों, उसकी सिक्योरिटी के स्तर का अंदाजा आप लगा सकते हैं। पढ़कर आपके सामने एक तस्वीर बन रही होगी। एक छोटी सी काली कोठरी, जिसमें बमुश्किल हवा-रोशनी पहुंचती हो। कई तालों वाली सेल, जिसमें खाना पहुंचाने के लिए भी कैदियों के सामने नहीं आया जाता। एक ऐसा चक्रव्यूह, जिसे भेदना मुश्किल ही नहीं, नामुमकिन जैसा।
मोटे तौर पर आप सही अंदाजा लगा रहे हैं, लेकिन ऐसे अभेद किले में भी अपराधियों ने सेंध लगा दी है। दैनिक भास्कर की पड़ताल में जेल की कुछ ऐसी ही कमजोरियां सामने आई हैं, जिसका फायदा उठाकर पूरे सिस्टम को ठप किया जा सकता है।
4 लेवल की सिक्योरिटी वाली जेल की सुरक्षा व्यवस्था का अंदाजा लगाने जब दैनिक भास्कर की टीम यहां पहुंची तो AK-47 राइफल से लैस गार्ड ने पहले ही गेट पर हमें रोक लिया। स्पेशल परमिशन के बाद भी सिक्योरिटी के तीसरे लेवल तक ही जाने दिया गया। इस दौरान हाई सिक्योरिटी जेल में ऐसी चूक सामने आई, जो कभी भी बड़ी साजिश या घटना की वजह बन सकती है। ये चूक बताएंगे, उससे पहले पढ़िए जेल में सिक्योरिटी कैसी है...
ये 4 लेवल पार करने के बाद ही कोई जेल में एंटर हो पाता है। इसके बाद भी चेकिंग के कई लेवल हैं, जिनमें जेल के अंदर जाने वाले लोगों के सामान, कपड़े के साथ-साथ जांच की जाती है कि उनके पास कोई ऐसी संदिग्ध चीजें तो नहीं हैं, जिससे जेल की सुरक्षा को खतरा हो। इसके बावजूद दो ऐसे लूप होल सामने आए, जो जेल प्रशासन के दावे पर सवाल खड़े करते हैं...
पहला: जेल में कैदियों के पास पहुंच रहे मोबाइल
- पिछले सात महीनों के दौरान ही खूंखार अपराधियों के पास 3 बार मोबाइल बरामद हो चुके हैं।
- 7 जनवरी को जेल की फर्श के नीचे मोबाइल, एक्सट्रा बैटरी मिली।
-8 मार्च को भी बंद कोठरी के अटैच बाथरूम की नाली में 2 मोबाइल बरामद हुए।
- 29 अप्रैल को जेल में बनी कोठरियों की तलाशी के दौरान एक मोबाइल, सिम, ईयर फोन और चार्जर मिला।
कैसे पहुंचा?: सात महीने के अंदर तीन बार ऐसी घटनाओं के बाद भी पुलिस यह पता नहीं कर पाई कि किले में सुराख कहां है? जब जेल सुपरिनटेंडेंट पारस से बात की गई तो उन्होंने कहा कि कई बार जेल मिलीभगत से ऐसा होता है।
क्यों खतरनाक है जेल में मोबाइल?
मूसेवाला मर्डर: इस हत्याकांड की पूरी साजिश गैंगस्टर लॉरेंस बिश्नोई ने तिहाड़ जेल में रहते हुए मोबाइल की मदद से ही रची थी। यही नहीं, जांच में एक ऑडियो भी मिला था, जिसमें मूसेवाला की हत्या की जानकारी भी लॉरेंस को मोबाइल पर दी जा रही थी। पिछले दिनों आगरा में भी एक गैंगस्टर मोबाइल की मदद से जेल से फरार हुआ था।
दूसरा: मोबाइल नेटवर्क रोकने वाले जैमर बंद
- किसी तरीके से मोबाइल कैदियों तक पहुंच भी जाए तो उसे रोकने का एक ही जरिया होता है। वो है जैमर।
- जैमर जेल में लगाए तो गए, लेकिन वे खराब हैं।
- तीन बार मोबाइल मिलने की घटना के बावजूद पुरानी टेक्नोलॉजी के जैमर अपग्रेड ही नहीं किए गए।
- कन्हैयालाल के हत्यारों और नूपुर शर्मा को पाकिस्तान से मारने आए आतंकी को इस जेल में शिफ्ट करने के बाद ये और ज्यादा जरूरी हो गया है।
अपग्रेड कब होगा?
जेल अधीक्षक पारस के मुताबिक जैमर अभी पुरानी टेक्नोलॉजी के हैं। नए जैमर के लिए प्रस्ताव प्रशासन को भेजा जा चुका है। ये कब तक लगेंगे, ये तय नहीं हैं।
तीसरा: मिलीभगत
- जेल प्रशासन खुद मानता है कि बिना मिलीभगत के मोबाइल जेल में नहीं जा सकते।
- लेकिन वह यह भी कहता है कि अभी तक किसी की मिलीभगत सामने नहीं आई है।
- साफ है कि जेल में कोई ऐसा सुराख हो चुका है, जिसपर भारी भरकम संसाधनों के बावजूद पुलिस की नजर नहीं पड़ पा रही है।
ये खतरनाक क्यों?: अप्रैल 2021 में जोधपुर के फलौदी जेल से 16 कैदी भाग गए थे। इस कांड में जेल के ही लोगों की मिलीभगत सामने आई थी। चार पुलिसकर्मियों को सस्पेंड किया गया था।
अब पढ़िए- जेल में कैसे रखा जाता है कैदियों को?
बंदियों से ज्यादा रहता है स्टाफ
जेल अधीक्षक पारस ने बताया कि जब से जेल बनी तब से ही यहां बंदियों से ज्यादा स्टाफ रहा है। वर्तमान में सबसे ज्यादा बन्दी हैं, जिनकी संख्या 106 है, जबकि यहां 1 जेल अधीक्षक, 4 जेलर सहित 110 से ज्यादा स्टाफ है।