यह खबर शुरू करने से पहले तीन कहानियां सुनिए-
- 37 वर्षीय रश्मि एक गृहणी हैं जो मैथ्स से ग्रेजुएट हैं। कोरोना के हालात सुधरने के बाद घर से ही काम करने की चाह में उन्होंने ऑनलाइन एजुकेशन के एक प्लेटफॉर्म से बतौर टीचर जुड़ने के लिए अप्लाय किया। ऑनलाइन डेमो और इंटरव्यू अच्छा गया मगर एक सवाल पर बात अटक गईं। जब उन्होंने फिजिकल क्लास लेने के बजाय घर से क्लास लेना पसंद किया तो अगले राउंड की बात पर इंटरव्यू खत्म हो गया। रश्मि को बाद में बताया गया कि वे कंपनी की जरूरत पर खरी नहीं उतरतीं।
- 32 वर्षीय आशीष अपने ग्रेजुएशन के दिनों से ही बतौर प्राइवेट ट्यूटर काम कर रहे हैं। पिछले 8 वर्षों से एक बड़े कोचिंग संस्थान से जुड़े हैं। छात्रों के बीच पढ़ाने के तरीके को लेकर लोकप्रिय भी हैं। मगर पिछले 6 महीनों से वह परेशान हैं। कोरोना के दौरान उन्होंने कई ऑनलाइन क्लासेज ली थीं। मगर अब ऑनलाइन क्लास के लिए वीडियो बनाना, ऑफलाइन क्लासेज के अतिरिक्त नया काम मिल गया है। कोरोना के पहले तक सिर्फ फिजिकल क्लासेज लेने वाला उनका कोचिंग संस्थान अब ऑनलाइन प्लेटफॉर्म लाना चाहता है।
- स्मिता सिंह एक गृहणी हैं। उनकी बेटी प्रीति 10वीं कक्षा में है। स्कूल में प्रदर्शन बेहतर करने और साथ-साथ इंजीनियरिंग की तैयारी कराने के लिए उन्होंने एक बड़े एडटेक प्लेटफॉर्म का सब्सक्रिप्शन ले रखा है। 2020 तक वे इससे संतुष्ट भी थीं। स्कूल दोबारा खुलने से अब जहां बेटी के पास समय कम है, वहीं एडटेक भी इसी समय लगातार बदलाव कर रहा है। एक महीने में बेटी के टीचर्स कई बार बदले हैं। हर बार नए टीचर से एडजस्ट करना मुश्किल हो रहा है। महंगा लॉन्ग टर्म सब्सक्रिप्शन ले चुकीं स्मिता सिंह अब ठगा सा महसूस कर रही हैं।
यह तीनों कहानियां भारत में प्राइवेट ट्यूशन के 3.5 बिलियन डॉलर, यानी 4.5 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा सालाना रेवेन्यू वाले कारोबार की आज के संक्रमणकाल की सच्चाई हैं। एडटेक प्लेटफॉर्म्स फिजिकल क्लासेज पर आ रहे हैं, तो कोचिंग संस्थान खुद के ऑनलाइन प्लेटफॉर्म लॉन्च कर रहे हैं। कहीं नौकरियों में कटौती हो रही है, तो कहीं तेजी से हायरिंग हो रही है। दो साल पहले प्लेटफॉर्म चेंज करने वाले कई टीचर/एजुकेटर अब फिर बदलाव के दौर में हैं। इस बदलाव का सबसे ज्यादा असर है दो साल के बाद स्कूल लौटे बच्चों पर। स्कूल में नई लर्निंग के साथ अब उन्हें अपने प्राइवेट ट्यूशन (ऑनलाइन या ऑफलाइन) में भी रोज नए बदलाव समझने पड़ रहे हैं। 9000 से ज्यादा एडटेक प्लेटफॉर्म वाले देश में लीडो और उदय जैसे कई एडटेक बंद हो चुके हैं। लागत में कटौती और ऑफलाइन मॉडल में प्रवेश कर कुछ बड़े एडटेक तो शायद सर्वाइव कर लें मगर पूरी तरह ऑनलाइन लर्निंग के मॉडल पर ही निर्भर हजारों छोटे एडटेक स्टार्टअप्स के लिए मुश्किलें और बढ़ेंगी। ऐसे में अपने बच्चे के भविष्य के लिए समझिए, एजुकेशन प्लेटफॉर्म्स कैसे बदल रहे हैं और आप इससे कैसे निपट सकते हैं।
2017-18 में गिरा था प्राइवेट ट्यूशन का ट्रेंड…2021 में दोगुना हो गया
भारत संभवत: अकेला देश है जहां 15 लाख से ज्यादा बड़े सरकारी-प्राइवेट स्कूल, 1000 से ज्यादा विश्वविद्यालय और 32 हजार से ज्यादा प्ले स्कूल होने के बावजूद प्राइवेट ट्यूशन और कोचिंग का बाजार हमेशा फला-फूला है। हालांकि 2017-18 में यह ट्रेंड घटा था। नेशनल सैंपल सर्वे के मुताबिक उस वर्ष कक्षा 1 से 8 तक के बच्चों में सिर्फ 21% ने ही प्राइवेट ट्यूशन लिए थे। यह 2014 के मुकाबले 6% कम था। मगर कोरोना की वजह से स्कूल बंद हुए तो ऑनलाइन ट्यूशन प्लेटफॉर्म्स के लिए बूम आ गया। स्थिति बेहतर होने के बाद 2021 में भी प्राइवेट ट्यूशन का यह ट्रेंड ऐसा बढ़ा कि 2018 के मुकाबले ट्यूशन लेने वाले बच्चे करीब 40% यानी दोगुना हो गए।
5 साल में 35% बढ़ा कोचिंग कारोबार…अब ऑनलाइन दुनिया में उतर रहा
कोरोनाकाल से पहले प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी से लेकर क्लास प्रिपरेशन तक में कोचिंग संस्थानों का एकछत्र राज था। उनकी मनमानी और दबाव की तस्वीर रुपहले पर्दे पर भी उतारी जा चुकी है। पिछले 5 वर्षों में 35% की ग्रोथ के साथ प्राइवेट कोचिंग्स का सालाना रेवेन्यू 3.5 बिलियन डॉलर यानी 2 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा हो चुका है। अब बदलती परिस्थितियों के साथ फिजिकल क्लासेज को अनिवार्य मानने वाले कोचिंग संस्थान ऑनलाइन प्लेटफॉर्म लॉन्च कर रहे हैं। 2016 में सबसे ज्यादा एनरोलमेंट के लिए लिम्का बुक में स्थान बनाने वाला एलन कोचिंग इंस्टीट्यूट अपना ऑनलाइन प्लेटफॉर्म लॉन्च कर चुका है। कई दूसरे बड़े कोचिंग संस्थान भी ऑनलाइन प्लेटफॉर्म के जरिये अपनी पहुंच बढ़ाने की तैयारी में हैं।
ऑनलाइन एजुकेशन कारोबार 20% की दर से बढ़ेगा…फिर भी फिजिकल क्लासेज ले रहा
2021 में ऑनलाइन एजुकेशन से जुड़े प्लेटफॉर्म्स का कारोबार 2.28 बिलियन डॉलर यानी करीब 1.8 हजार करोड़ तक पहुंच गया था। अनुमान है कि 2025 तक यह 20% की कंपाउंड सालाना ग्रोथ रेट से बढ़ेगा। भारतीय एडटेक स्टार्टअप्स ने सिर्फ 2021 में ही 4.7 बिलियन डॉलर यानी करीब 3.8 हजार करोड़ का फंड जुटाया है। भारतीय एडटेक इंडस्ट्री कोरोनाकाल में शुरू हुए ऑनलाइन एजुकेशन के दौर के बहुत पहले ही बाजार में कदम जमा चुकी थी। इसके बावजूद अब स्कूल खुलने के बाद यह प्लेटफॉर्म्स तेजी से ऑफलाइन सेंटर्स खोल रहे हैं। अनएकेडमी ने UPSC और JEE जैसी प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी के लिए 15 टेस्ट सेंटर्स खोले हैं। फिजिक्स वाला ने भी प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए 20 टेस्ट सेंटर्स खोले हैं। जबकि बायजू ने ऑफलाइन कोचिंग के बड़े नाम आकाश का अधिग्रहण किया है। उसकी योजना देश में KG से 12वीं कक्षा तक के 500 से ज्यादा फिजिकल सेंटर्स खोलने की है।
एडटेक में नौकरियां जा रही हैं…कोचिंग्स में हायरिंग जारी
इंडस्ट्री के जानकार कहते हैं कि यह समय शिक्षा के बाजार में संतुलन लाने का है। एडटेक प्लेटफॉर्म्स मुख्यत: वेंचर कैपिटलिस्ट्स के फंड पर निर्भर हैं। यह फंडिंग अब घटने लगी है। नतीजा ये कि बड़े प्लेटफॉर्म्स लागत कम करने के लिए एजुकेटर्स व अन्य स्टाफ में कटौती कर रहे हैं। एडटेक मार्केट में सबसे ज्यादा अधिग्रहण करने वाले और सबसे ज्यादा करीब 22 बिलियन के वैल्युएशन वाले बायजू ने अब तक 2500 लोगों को नौकरी से निकाला है। इसमें से 1500 लोग उसकी कंपनियों टॉपर और व्हाइट हैट जूनियर से हैं। वहीं, अनएकेडमी भी इस साल करीब 1000 लोगों को हटा चुका है। इस साल अब तक 18 बड़े एडटेक 9000 लोगों को नौकरी से निकाल चुके हैं। बड़े एडटेक प्लेटफॉर्म्स में लागत घटाने के प्रयास जारी हैं, तो कोचिंग संस्थान नए निवेशक पा रहे हैं। एलन इंस्टीट्यूट के ऑनलाइन प्लेटफॉर्म में जेम्स मर्डोक के बोधि ट्री सिस्टम्स ने निवेश किया है। वहीं अन्य कोचिंग संस्थान भी छात्रों के लौटने के बाद हायरिंग मोड में हैं।