NDA की राष्ट्रपति उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू के पैतृक गांव मयूरभंज जिले के डूंगुरशाही में बिजली पहुंचाने की तैयारियां जोरों से चल रही हैं। डूंगुरशाही में करीब 20 परिवार रहते हैं। यह गांव रायरंगपुर से 20 किलोमीटर दूर कुसुमी ब्लॉक के उपरबेड़ा गांव में आता है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक उपरबेड़ा गांव में दो गांव बदाशाही और डूंगुरशाही आते हैं, जिसकी आबादी करीब 3,500 है।
गांव में बिजली की व्यवस्था न होने की वजह से यह लोग रात में केरोसिन जलाकर रोशनी करते हैं। वहीं रात में अगर किसी जरूरी काम से बाहर जाना पड़ जाए तो मोबाइल की टॉर्च का इस्तेमाल करते हैं। बिजली न होने की वजह से लोगों को मोबाइल चार्ज करने के लिए दूसरे कस्बे में जाना पड़ता है।
कौन हैं द्रौपदी मुर्मू
द्रौपदी मुर्मू ओडिशा से आने वाली आदिवासी नेता हैं। झारखंड की नौंवी राज्यपाल रह चुकीं द्रौपदी मुर्मू ओडिशा के रायरंगपुर से विधायक रह चुकी हैं। वह पहली ओडिया नेता हैं जिन्हें राज्यपाल बनाया गया। इससे पहले BJP-BJD गठबंधन सरकार में साल 2002 से 2004 तक वह मंत्री भी रह चुकी हैं।
द्रौपदी मुर्मू का जन्म 20 जून 1958 को ओडिशा के मयूरभंज जिले के ऊपरबेड़ा गांव में हुआ। पिता का नाम बिरंची नारायण टुडू है। वह आदिवासी संथाल परिवार से ताल्लुक रखती हैं। द्रौपदी मुर्मू का विवाह श्याम चरण मुर्मू से हुआ था। दो बेटे और एक बेटी हुई, लेकिन शादी के कुछ समय बाद ही उन्होंने पति और अपने दोनों बेटों को खो दिया।
हालांकि, द्रौपदी ने कभी भी कठिनाइयों से हार नहीं मानी और सभी बाधाओं को पार करते हुए उन्होंने भुवनेश्वर के रामादेवी महिला कॉलेज से आर्ट्स में ग्रेजुएशन की डिग्री हासिल की।
राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनने पर मौजूदा राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने उन्हें बधाई दी।
इसके बाद उन्हें ओडिशा सरकार के सिंचाई और बिजली विभाग में एक जूनियर असिस्टेंट, यानी क्लर्क के रूप में नौकरी मिली। बाद में, उन्होंने रायरंगपुर में श्री अरबिंदो इंटीग्रल एजुकेशन सेंटर में मानद सहायक शिक्षक के रूप में भी काम किया। उनकी बेटी इतिश्री की शादी गणेश हेम्ब्रम से हुई है।
पार्षद के रूप में शुरू किया अपना राजनीतिक करियर
द्रौपदी मुर्मू ने साल 1997 में ओडिशा के रायरंगपुर नगर पंचायत में एक पार्षद के रूप में अपना राजनीतिक करियर शुरू किया और फिर साल 2000 में वह ओडिशा सरकार में मंत्री बनीं।
रायरंगपुर से दो बार विधायक रहीं द्रौपदी मुर्मू ने साल 2009 में तब भी अपनी विधानसभा सीट पर जीत हासिल की, जब बीजू जनता दल (BJD) ने ओडिशा के चुनावों से कुछ हफ्ते पहले भाजपा से नाता तोड़ लिया था। उस चुनाव में मुख्यमंत्री नवीन पटनायक की पार्टी बीजद (BJD) ने जीत दर्ज की थी।