देश का हर गांव और शहर स्वच्छता के लिए लड़ाई लड़ रहा है और हमारे बैंकों के बीच घोटालों का सरताज बनने की होड़ मची हुई है। DHFL का 34 हजार करोड़ का ताजा घोटाला अब तक के कई घोटालों का रिकॉर्ड तोड़ रहा है। रिजर्व बैंक के अनुसार 2021- 2022 में सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों का चालीस हजार करोड़ रुपया घोटालों के हवाले हो गया। वित्तीय वर्ष 2020-21 में यह आंकड़ा 81 हजार करोड़ था।
पिछले पांच-सात साल के चर्चित घोटाले ही देखें तो विजय माल्या से यह सिलसिला शुरू हुआ था। कवि संपत सरल ने इस पर करारा व्यंग्य किया था। श्री-श्री रविशंकर दिल्ली में यमुना की सफाई में लगे हुए थे और विजय माल्या गंगा नहा गया। भाई ने 17 बैंकों की हालत उन नहाती हुई गोपियों की तरह कर दी, जिनके कपड़े लेकर कृष्ण जी पेड़ पर चढ़ गए थे।
भगोड़े कारोबारी विजय माल्या के घोटाले ने देश की 17 बैंकों पर असर डाला। भारतीय स्टेट बैंक (SBI) की अगुआई वाले बैंकों के समूह का उस पर कुल 9,900 करोड़ रुपए बकाया था।
बहरहाल, पिछले दस साल से बैंकों के सुधार की बात जोर- शोर से हो रही है। कॉर्पोरेट वर्क कल्चर लाया जाएगा। सब कुछ ऑनलाइन होगा। किसी फ्रॉड की कोई गुंजाइश नहीं होगी। रिजर्व बैंक भी, वित्त सचिव भी और वित्त मंत्री भी, जब तब बड़े-बड़े भाषण देते रहते हैं, लेकिन होता कुछ नहीं। इतना जरूर हुआ है कि सुधारों की बजाय घोटालों की रफ्तार तेज हो गई।
अजीब बात यह है कि अब तक के सभी बैंक घोटालों की रिपोर्ट सालों बाद होती है। साफ दिखाई दे रहा होता है फिर भी बैंक पैसे की वापसी की राह तकते रहते हैं, इसलिए यह देरी होती है या घोटाले के जिम्मेदार या जवाबदार अफसर रिटायर होने तक इसे दबाए रहते हैं, कोई इस तरफ ध्यान नहीं देता। माल्या विदेश भाग गया। नीरव मोदी भी देश से बाहर है। ताजा 34 हजार करोड़ के घोटाले के जिम्मेदार वधावन बंधु जरूर एक दूसरे घोटाले में जेल में बंद हैं।
नीरव मोदी और मेहुल चोकसी पर बैंकों के साथ 14,000 करोड़ रुपए से ज्यादा की धोखाधड़ी करने का आरोप है। यह फ्रॉड इन्होंने पंजाब नेशनल बैंक में किया। मोदी अभी ब्रिटेन में है।
ऐसे घोटालों पर अंकुश लगाना ही है तो केवल कॉर्पोरेट वर्क कल्चर से ही काम नहीं चलने वाला। स्ट्रांग मॉनिटरिंग और नियम कायदे भी ईमानदारी के साथ इम्प्लीमेन्ट करने होंगे, क्योंकि ICICI बैंक में तो कॉर्पोरेट कल्चर ही है। फिर भी उसमें बड़ा घोटाला हुआ, जो जग जाहिर है। आम आदमी अपने जीवनभर की कमाई इसलिए बैंकों में रखता है ताकि कोई भी विपत्ति आ जाए, यहां उनका पैसा सुरक्षित रहेगा। ऊपर से ठसक देखिए कि कोई कितना भी पैसा बैंक में रखे वे दस लाख से ज्यादा की गारंटी नहीं देते, यानी बैंक डूब गया तो जिसके करोड़ रुपए जमा हैं, उसे भी दस लाख से ज्यादा नहीं मिल पाएंगे। इसके पहले कि इन घोटालेबाज बैंकों से लोगों का विश्वास उठ जाए, सुधार लाना ही होगा। घोटाले रोकना ही होंगे।