उदयपुर में कांग्रेस का चिंतन शिविर हुआ और उम्मीद जगी कि अब पार्टी के हाल सुधरेंगे, लेकिन कुछ दिन बाद ही कांग्रेस पार्टी के तीन विकेट उखड़ गए। पहले हार्दिक पटेल, फिर सुनील जाखड़ और अब कपिल सिब्बल ने पार्टी छोड़ दी है। कपिल सिब्बल ने कांग्रेस पार्टी तो छोड़ी ही, साथ ही समाजवादी पार्टी के समर्थन से राज्यसभा के लिए नामांकन भी भरा है।
सिब्बल ने दैनिक भास्कर से बातचीत में कहा कि उनकी कांग्रेस से कोई रंजिश नहीं है, लेकिन उन्होंने अपने लिए नया रास्ता तलाशा है। ये रास्ता है 2024 में विपक्षी दलों को एक साथ एक मंच पर लाना और मोदी सरकार को हराना। कपिल सिब्बल के साथ हमारे खास इंटरव्यू के सवाल-जवाब...
सवाल: आपने कांग्रेस में रहते हुए मुखालफत की लंबी लड़ाई लड़ी और अब आखिरकार पार्टी छोड़ दी और समाजवादी पार्टी के समर्थन से राज्यसभा का पर्चा भरा है। कांग्रेस छोड़ने का आपका ट्रिगर पॉइंट क्या रहा?
जवाब: ऐसी कोई बात नहीं है, मैंने तय किया है कि मुझे अब कोई नया रास्ता अपनाना चाहिए। मेरी कांग्रेस से कोई रंजिश नहीं है। मैंने सोचा कि अब मेरी संसद में स्वतंत्र आवाज होनी चाहिए। मैंने चाहा कि अगर कोई ऐसा दल है, जो मुझे निर्दलीय के रूप में समर्थन कर सकता है तो समाजवादी पार्टी के नेता अखिलेश यादव ने इस पर सहमति जताई और इसलिए मैंने निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर अपना राज्यसभा के लिए नामांकन भरा है।
सवाल: एक राजनेता के तौर पर आप अपनी भूमिका किस तौर पर देखते हैं? आपके पॉलिटिक्स में एक्टिव होने का क्या तरीका होगा?
जवाब: जब मैं संसद में पहुंचूंगा, तब तय करूंगा कि मुझे क्या मुद्दे उठाने हैं। आज मुझे खुशी है कि मैं किसी दल से नहीं जुड़ा हूं और अपनी स्वतंत्र आवाज उठा सकता हूं। ऐसा मौका इतिहास में बहुत ही कम लोगों को मिला है। इसलिए मैं समाजवादी पार्टी के नेतृत्व और अखिलेश जी का शुक्रगुजार हूं।
बाकी मेरी कोशिश होगी कि सभी विपक्षी दल एक मंच पर आकर एक मजबूत विपक्ष की भूमिका निभाएं। ये काम आसान नहीं है, लेकिन ऐसा करने की पूरी कोशिश करूंगा।
सवाल: आप 2024 के लिए विपक्षी दलों का गठजोड़ बनाना चाहते हैं, लेकिन इसमें आप कांग्रेस पार्टी की क्या भूमिका देखते हैं?
जवाब: कांग्रेस एक अहम नेशनल पार्टी है इसलिए उनकी भूमिका तो रहेगी ही। मेरी कोशिश होगी कि सभी को एक मंच पर लाया जाए। मैं इस काम को अकेला नहीं कर सकता, हम बातचीत करके इसको आगे बढ़ाएंगे।
सवाल: विपक्षी दलों के गठजोड़ में आपको क्या लगता है, इसका चेहरा यानी लीडर कौन होगा?
जवाब: पहले मंच तो तैयार होने दीजिए। उसके बाद देखा जाएगा।
सवाल: कांग्रेस के अंदर रहते हुए आपने पार्टी में परिवारवाद पर काफी सवाल उठाए, लेकिन अब आप जिस सपा के समर्थन से राजसभा में एंट्री कर रहे हैं, वो खुद एक परिवारवाद की पार्टी है? दोनों बातों में आपको विरोधाभास नजर नहीं आता?
जवाब: अखिलेश यादव जी उत्तर प्रदेश में कई चुनाव जीत चुके हैं। उन्होंने अपनी काबिलियत जनता को दिखाई है। वो UP के मुख्यमंत्री के तौर पर 5 साल राज कर चुके हैं। वो सिर्फ परिवार से आते हैं इसलिए राजनीतिक भूमिका नहीं निभा सकते, ये बात गलत है। अखिलेश अच्छे और सुलझे हुए मुख्यमंत्री के रूप में प्रदेश की बेहतरी के लिए बहुत कुछ कर सकते हैं।
सवाल: जब भी कोई पार्टी किसी निर्दलीय उम्मीदवार को राज्यसभा भेजती है तो आरोप लगता है कि पार्टी ने अपने कार्यकर्ताओं के साथ धोखा किया। जो कार्यकर्ता पार्टी के लिए दिन-रात मेहनत करता है, उसे मौका ना मिलकर बाहर से आए नेता को राज्यसभा का टिकट मिल जाता है। क्या आप इसे गलत नहीं मानते?
जवाब: जो ऐसा कह रहे हैं, आप उनसे सवाल पूछिए। मैं इसके बारे में टिप्पणी क्यों करूं? आप उनसे पूछिए।
सवाल: कांग्रेस से एक के बाद एक नेताओं के विकेट गिर रहे हैं। सिंधिया, जितिन प्रसाद, आरपीएन सिंह, सुनील जाखड़, हार्दिक पटेल और अब आपने भी पार्टी छोड़ दी है। आपको क्या लगता है कि कांग्रेस से ये भगदड़ क्यों मची है?
जवाब: मैं किसी दूसरे के बारे में तो नहीं बोल सकता, लेकिन मेरी वजह मैंने आपको बता दी है।
सवाल: आप विपक्षी दलों को एक साथ लाने की कोशिश करने वाले हैं, लेकिन विपक्षी दलों में तमाम विचारधाराओं की पार्टियां हैं। आप सभी के लिए कॉमन प्लेटफॉर्म कैसे बना पाएंगे, इसका वैचारिक आधार क्या होगा?
जवाब: अभी बातचीत ही शुरू नहीं हुई है। हम लोगों से बात करके तय करेंगे कि किस तरह के मंच की जरूरत है, क्या करना है, क्या मिनिमम प्रोग्राम होगा, चुनाव लड़ने की क्या रणनीति होगी? इन सवालों के जवाब इंटरव्यू में तय नहीं किए जा सकते। विपक्षी दलों को साथ लाने की कोशिश का परिणाम मैं आज नहीं बता सकता।
सवाल: आपके कांग्रेस छोड़ने की खबर के साथ ही जितिन प्रसाद ने तंज करते हुए आपका पुराना एक ट्वीट रीट्वीट किया और पूछा कि ‘मिस्टर सिब्बल प्रसाद कैसा है?’
जवाब: मैं किसी शख्स के ट्वीट के बारे में कोई जवाब नहीं देना चाहता। शायद जो ऐसी बातें करते हैं, उनको मेरे राजनीतिक इतिहास और वकालत के बारे में कुछ नहीं पता। मैं ऐसी बातों का कोई जवाब नहीं दूंगा।
सवाल: राज्यसभा में भेजने के लिए आपको दूसरी पार्टियों ने भी ऑफर किया होगा, लेकिन आपने दूसरी पार्टियों के ऑफर को छोड़कर सपा के ऑफर को ही क्यों चुना?
जवाब: जो बातें मेरे और दूसरी पार्टियों के बीच हुई हैं, ये बातें सार्वजनिक करना उचित नहीं है। मैं इस चर्चा में पड़ना ही नहीं चाहता।
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