कोरोना महामारी के दौरान देश में शेयर निवेशकों की संख्या करीब दोगुनी हो गई। लेकिन दिलचस्प है कि इस दौरान शेयर ब्रोकरों की संख्या बड़े पैमाने पर घटी है। बीएसई और एनएसई के करीब 200 ब्रोकरों यानी एक चौथाई ने या तो खुद ही मेंबरशिप छोड़ दी है या उनकी सदस्यता रद्द कर दी गई है।
बीएसई के 98 ब्रोकरों ने मेंबरशिप कार्ड सरेंडर किए
बीते दो साल में एनएसई के 82 और बीएसई के 98 ब्रोकरों ने मेंबरशिप कार्ड सरेंडर कर दिया है। 32 ब्रोकर ऐसे भी हैं, जिन्होंने एनएसई पर डिफॉल्ट किया है। इसके अलावा कुछ एक्सचेंजों के ब्रोकरों की सदस्यता रद्द भी की गई है। चूंकि कुछ ब्रोकरेज फर्म्स दोनों प्रमुख एक्सचेंजों के मेंबर हैं, लिहाजा मेंबरशिप छोड़ने वाले ब्रोकरों की कुल संख्या कम भी हो सकती है। इस साल 31 मार्च तक की स्थिति के मुताबिक, एनएसई में 300 से ज्यादा रजिस्टर्ड ब्रोकर हैं, इतने ही ब्रोकर बीएसई में हैं।
स्वास्तिका इन्वेस्टमार्ट के एमडी सुनील न्याती ने कहा, ‘पहले ज्यादातर क्लाइंट्स ब्रोकर के दफ्तर आते थे। लेकिन अब लोग ऐप के जरिये मोबाइल पर ट्रेडिंग करने लगे हैं। इसके अलावा बाजार नियामक सेबी(SEBI) ने निगरानी और अनुपालन कड़े कर दिए हैं। इसके चलते छोटी ब्रोकरेज कंपनियों के लिए टिके रहना मुश्किल हो गया है।’
बड़े ब्रोकरों के बीच सिमट रहा काम, छोटे हो रहे बाहर -अंबरीश बालिगा, स्वतंत्र शेयर बाजार विशेषज्ञ
- स्टॉक ब्रोकिंग बिजनेस कंसॉलिडेशन में है। कारोबार बड़े ब्रोकरों के बीच सिमट रहा है, छोटी फर्म बाहर हो रही हैं।
- बढ़ते नियामकीय अनुपालनों और प्रतिस्पर्धा बढ़ने से छोटी फर्म्स के लिए बिजनेस में टिके रहना मुश्किल हो गया है।
- कुछ ब्रोकरेज कंपनियों में अपना बिजनेस बड़ी फर्म में मर्ज कर दिया और खुद की मेंबरशिप छोड़ दी।
तीन साल में 32 ब्रोकरों ने किया डिफॉल्ट
मई 2019 से अब तक एनएसई के 32 ब्रोकरों ने डिफॉल्ट किया, जिसके चलते एक्सचेंज ने उनकी मेंबरशिप रद्द कर दी। बीते माह सननेस कैपिटल इंडिया प्राइवेट लिमिटेड देश के सबसे बड़े एक्सचेंज पर डिफॉल्ट करने वाली आखिरी ब्रोकरेज कंपनी थी। एनएसई ने कहा है कि इस साल 30 अप्रैल तक उसने 19 ब्रोकरों के खिलाफ जुर्माने की कार्रवाई की है।