मोबाइल पर क्लिक करिए और आपके घर चंद मिनटों में पीने का पानी पहुंच जाएगा। यह पहल की है इंदौर के रहने वाले अंकित ने। उन्होंने अपने दोस्त अर्पित के साथ मिलकर एक मोबाइल ऐप तैयार किया है। इसके जरिये वे ऑन डिमांड पानी की सप्लाई कर रहे हैं। उनके साथ 20 हजार से ज्यादा वाटर सप्लायर्स जुड़े हैं। मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, दिल्ली सहित 14 राज्यों में वे सर्विस प्रोवाइड कर रहे हैं। सालाना 60 लाख रुपए उनका टर्नओवर है।
अमेरिका में शुरू की कंपनी, दो साल बाद भारत लौट आए
अंकित ने साल 2010 में न्यूयॉर्क से कंम्प्यूटर साइंस में मास्टर्स की पढ़ाई पूरी की। इसके बाद उनकी जॉब लग गई। करीब दो साल तक उन्होंने न्यूयॉर्क में नौकरी की। इसके बाद खुद की एक कंपनी बनाई और ऐप डेवलपमेंट को लेकर काम करने लगे। उन्होंने एजुकेशन फील्ड से रिलेटेड कई ऐप बनाए। कई बड़ी कंपनियों से उनका टाइअप भी हुआ। हालांकि, यह सफर ज्यादा लंबा नहीं रहा और दो साल बाद यानी 2014 में अमेरिका छोड़कर भारत लौट आए।
अंकित और अर्पित (बाएं से दाएं) बचपन के दोस्त हैं। अंकित ने लंबे समय तक ऐप डेवलपमेंट को लेकर काम किया है। जबकि, अर्पित ने लंबे समय तक प्लास्टिक के बॉटल और कंटेनर्स को लेकर काम किया है।
भास्कर से बात करते हुए अंकित कहते हैं कि अमेरिका में हमारा सब कुछ ठीक चल रहा था, लेकिन कमाई के मुकाबले लागत ज्यादा थी। मार्केटिंग को लेकर भी कई तरह के इश्यू थे। लिहाजा मैंने तय किया कि भारत में ही कुछ किया जाए। तब भारत में भी स्टार्टअप को लेकर बेहतर ईकोसिस्टम डेवलप हो रहा था। कई कंपनियां अच्छी कमाई कर रही थी। यहीं सोचकर मैं भारत आ गया और नए-नए आइडिया को लेकर रिसर्च करने लगा। करीब 4 साल तक अलग-अलग स्टार्टअप के साथ काम भी किया।
बचपन के दोस्त के साथ मिलकर शुरू किया स्टार्टअप
इसी बीच अंकित की मुलाकात अर्पित से हुई। अर्पित, अंकित के बचपन के दोस्त रहे हैं और लंबे समय तक प्लास्टिक की बॉटल और कंटेनर्स को लेकर काम किया है। अर्पित ने ही अंकित को एक ऐप बनाने का सुझाव दिया जिससे कि वाटर सप्लायर्स की परेशानी भी दूर हो जाए और लोगों को आसानी से पीने का पानी मिलने लगे। अंकित को भी यह आइडिया पसंद आया। इसके बाद उन्होंने साल 2019 में एक ऐप तैयार किया और नाम रखा Gopaani।
अंकित कहते हैं कि मुझे टेक्नोलॉजी की समझ थी और अर्पित के पास इस फील्ड में काम करने का एक्सपीरिएंस था। साथ ही अर्पित को इस फील्ड में आने वाली चुनौतियों के बारे में भी अच्छी खासी समझ थी। उन्हें पता था कि वाटर सप्लायर्स को किन-किन मुश्किलों का सामना करना पड़ता है।
जल्द ही अच्छी खासी संख्या में वाटर सप्लायर्स जुड़ गए
अंकित बताते हैं कि इस ऐप के जरिए कस्टमर्स को तो फायदा हो ही रहा है, साथ ही वाटर सप्लायर्स को भी पानी पहुंचाने में सहूलियत हो रही है।
अंकित कहते हैं कि अर्पित के पास पहले से कई वाटर सप्लायर्स कॉन्टैक्ट में थे। इसलिए हमें उन तक पहुंचने में ज्यादा दिक्कत नहीं हुई। एक-एक करके हमने कई वाटर सप्लायर्स से बात की, उन्हें अपने ऐप के बारे में बताया और अपने साथ जोड़ते गए। चूंकि, हमने ऐप को इस तरह डिजाइन किया था कि वाटर सप्लायर्स ज्यादा से ज्यादा कस्टमर्स तक पहुंच सकें और उन्हें अपना डेटा मेंटेन करने और कस्टमर्स से पैसे लेने में आसानी हो। लेन-देन और बॉटल के रिकॉर्ड को डायरी पर दर्ज नहीं करना पड़े। यही वजह रही कि जल्द ही हमारे साथ अच्छी खासी संख्या में वाटर सप्लायर्स जुड़ गए।
कैसे करते हैं काम, क्या है बिजनेस मॉडल?
अंकित कहते हैं कि हम फिलहाल थर्ड पार्टी के रूप में काम कर रहे हैं। यानी न तो हम वाटर सप्लायर्स हैं और न ही यूजर्स, हम दोनों के बीच एक ब्रिज की तरह काम करते हैं। हम दोनों के लिए एक प्लेटफॉर्म प्रोवाइड करते हैं, जिससे यूजर्स अपने लिए पानी की बुकिंग कर सकें और वाटर सप्लायर्स पानी की डिलीवरी यूजर्स के घर तक कर सकें।
कोई भी हमारा ऐप डाउनलोड करने के बाद आसानी से हमसे जुड़ सकता है। इसके लिए नाम, पता जैसे बेसिक डिटेल्स की जरूरत होती है। अभी हमारे पास 20 हजार से ज्यादा वाटर सप्लायर्स और 50 हजार से ज्यादा यूजर्स जुड़े हैं। हम वाटर सप्लायर्स से कुछ अमाउंट चार्ज करते हैं, लेकिन यूजर्स के लिए सब कुछ फ्री है।
अपने इस स्टार्टअप के जरिए अंकित ने 50 से ज्यादा लोगों को रोजगार दिया है।
ऐप पर क्या-क्या सुविधाएं हैं?
आगे अंकित कहते हैं कि हमारी टीम सबका रिकॉर्ड मेंटेन करती है। जैसे ही कोई वाटर सप्लायर हमारे ऐप पर लॉगइन करता है, उसके सामने पूरी रिकॉर्ड बुक खुल जाती है। यानी कौन-कौन लोग उसके कस्टमर्स हैं? किसे कितना पानी की जरूरत है? किसके पास उसके कितने जार हैं, कितना अमाउंट बकाया है। लास्ट डिलीवरी कब की थी। मतलब सब कुछ।
इसी तरह यूजर्स के लिए भी फैसिलिटी है। वो ऐप के माध्यम से आसानी से यह जान सकते हैं कि उनके एरिया में कौन-कौन से लोग वाटर सप्लायर्स हैं? उनकी खासियत क्या है, रेटिंग्स क्या है और क्या चार्ज वे लेते हैं। इसके बाद वे ऑर्डर और पेमेंट भी कर सकते हैं। ऐप के जरिए वे भी अपना रिकॉर्ड भी देख सकते हैं।
अगर इस तरह के स्टार्टअप में आपकी दिलचस्पी है तो यह खबर आपके काम की है
भोपाल के दो दोस्तों ने एक ऑनलाइन ऐप की शुरुआत की है। इसके जरिये वे लोगों को ऑनलाइन योग सिखा रहे हैं। यह ऐप AI यानी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस टेक्नोलॉजी पर बेस्ड है। दस महीने से कम वक्त में दोनों ने इस ऐप के जरिये 10 लाख रुपए का बिजनेस किया है। (पढ़िए पूरी खबर)