'मैंने बचपन में एक बात सुनी थी। कबूतर जब बिल्ली को देखता है तो वह जानता है कि बिल्ली उसे खा जाएगी। बिल्ली को कबूतर बहुत स्वादिष्ट लगता है। कबूतर इतना भोला और नादान होता है कि वह सोचता है कि आंखें बंद कर लूंगा तो बिल्ली दिखेगी नहीं। इस तरह से बिल्ली उसको खा जाती है। 1947 की स्थिति में धार्मिक स्थलों को बनाए रखना, यानी कबूतर की तरह बिल्ली से आंखें मूंदना है।'
द प्लेसेज ऑफ वर्शिप बिल, 1991 का विरोध करते हुए BJP नेता उमा भारती ने लोकसभा में ये बातें कही थीं। उन्होंने बहस के दौरान काशी की ज्ञानवापी मस्जिद का मुद्दा भी उठाया था। इसके बाद 31 सालों में गंगा-यमुना में बहुत पानी बह चुका है, लेकिन काशी और मथुरा पर BJP का स्टैंड नहीं बदला।
भास्कर इंडेप्थ में आज हम 9 सितंबर 1991 की पूरी हाइलाइट्स बता रहे हैं, जब लोकसभा में द प्लेसेज ऑफ वर्शिप बिल (उपासना स्थल विधेयक) पेश किया गया था।
तारीखः 9 सितंबर 1991
दिनः सोमवार
समयः 2 PM
स्थानः लोकसभा
विधेयक का प्रस्ताव रखाः एसबी चव्हाण (तत्कालीन गृह मंत्री)
विधेयक के विरोध में प्रमुख वक्ताः उमा भारती, गुलाम मल लोढ़ा
विधेयक के समर्थन में प्रमुख वक्ताः पीएम सईद, रामविलास पासवान, गुलाम नबी आजाद
उपासना स्थल अधिनियम के मुताबिक भारत में 15 अगस्त 1947 को जो धार्मिक स्थान जिस स्वरूप में था, वह उसी स्वरूप में रहेगा। उसकी स्थिति में कोई बदलाव नहीं किया जा सकेगा।
लोकसभा में विधेयक पेश होने के बाद उपाध्यक्ष ने बहस के लिए उमा भारती का नाम पुकारा। उमा भारती ने खड़े होकर विधेयक के विरोध में अपना भाषण शुरू किया।
BJP नेता उमा भारती के भाषण के हाइलाइट्स
- मैं इस बिल का विरोध करने के लिए खड़ी हुई हूं, लेकिन इस बिल के खंड 4 (2) को पढ़ने के बाद एक सुखद बात समझ आई कि कांग्रेस भी हमारी बात से सहमत है कि आस्थाओं के मामले अदालत में तय नहीं होते और मैं तो बहुत धन्यवाद देती हूं कि इस मामले में अयोध्या को छोड़ दिया गया।
- 1947 की स्थिति में धार्मिक स्थलों को बनाए रखना, यानी कबूतर की तरह बिल्ली से आंखें मूंदना है। जो तनाव बिल्ली की तरह पदचाप बढ़ाते हुए देश में आ रहा है, उसकी तरफ कबतूर की भावना लेकर आंखें मूंदना। यानी आगे आने वाली पीढ़ियों के लिए तनाव प्रिजर्व करके रखा जा रहा है।
- मैं 20 दिन पहले बनारस गई थी। उस दिन मूसलाधार बारिश हो रही थी। मैंने ज्ञानवापी का स्थान कभी देखा नहीं था। मैं उस जगह पहुंची जहां विश्वनाथ भगवान का मंदिर तोड़कर औरंगजेब ने मस्जिद बनाई थी। इतनी मूसलाधार बारिश में भीगते हुए भी जब मैंने मंदिर के भग्नावशेष के ऊपर मस्जिद को खड़े देखा तो मुझे ऐसे लगा जैसे मेरे शरीर में ज्वाला फट रही हो। क्या उस मंदिर के अवशेष को छोड़ने के पीछे औरंगजेब की बदनीयत नहीं थी कि आगे आने वाली हिंदुओं की पीढ़ियों को याद रहे कि उनकी औकात क्या है और मुसलमानों की पीढ़ियों को याद रहे कि उनकी ताकत क्या है? मैं कांग्रेस की सरकार से और यह बिल लाने वालों से पूछना चाहती हूं कि औरंगजेब की बदनीयत की विरासत को आप क्यों कायम करना चाहते हैं?
- इस देश के जो भी धार्मिक स्थल हैं, अगर किसी मंदिर को तोड़ कर मस्जिद बनाई गई और अगर किसी मस्जिद को तोड़कर मंदिर बनाया गया तो उसके लिए पूरी तैयारी करके पूरी सूची बनाकर उनको वास्तविक स्थिति में बहाल करना चाहिए। क्या किसी तिथि से हम इतिहास को बदल सकते हैं?
- वड़ोदरा के पास एक स्थान है पावागढ़ जी। वहां पर देवी का मंदिर है। संडे के दिन वहां 50-55 हजार लोग दर्शन के लिए आते हैं। उस मंदिर के गुंबद पर एक मजार बनाया गया है। मंदिर में लोग जाएंगे और जब वहां गुंबद की तरफ नजर पड़ेगी। ऐसे में आपको लिखना होगा कि यह 1947 के पहले अगर बना है तो ऐसे ही बना रहेगा। चाहे तुम्हारा जी जले, चाहे कुछ भी हो। इसलिए आप इसको मत देखो, नीचे देखो।
- जब तक बनारस का ज्ञानवापी रहेगा, जब तक पावागढ़ में देवी मंदिर पर गुंबद के ऊपर मजार बना रहेगा, तब तक उसको देखकर औरंगजेब की याद आएगी और याद आएगा औरंगजेब का अत्याचार।
- इसलिए मैं अपनी पार्टी के अलावा उपस्थित माननीय सदस्यों से निवेदन करूंगी कि अगर वे ईमानदारी से अपने बच्चों से प्यार करते हैं, बच्चों का भविष्य उन्हें प्यारा है तो हमारे साथ मिलकर इस बिल का विरोध करिए। इन शब्दों के साथ मैं इस बिल का विरोध करते हुए अपनी बात समाप्त करती हूं।
उमा भारती BJP और हिंदुत्व की फायरब्रांड नेता रही हैं। द प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट के विरोध में उनका भाषण बेहद चर्चा में रहा था। (फाइल फोटो)
उमा भारती का भाषण खत्म होने के बाद सभापति ने लक्षद्वीप के सांसद पीएम सईद को विधेयक पर बहस के लिए नाम पुकारा। सईद ने विधेयक के समर्थन में अपनी बात रखनी शुरू की। उनके भाषण की हाइलाइट्स बताने से पहले हम एक पोल पर आपकी राय जानना चाहते हैं।
पीएम सईद के भाषण की हाइलाइट्स
- यह विधेयक पिछले चुनावों के घोषणा-पत्र में की गई हमारी वचनबद्धता की पुष्टि करता है। मेरी बहन उमा भारती जी ने जो भी कहा उसे मैं बड़े गौर से सुन रहा था। पिछले चुनावों में जारी किए गए कैसेटों को आपने सुना था या नहीं। इन्हीं के कैसेटों को प्रतिबंधित किया गया था और वे अब उपलब्ध नहीं हैं। (इस पर उमा भारती खड़ी हो गईं और कैसेटों में उनका नाम नहीं होने की बात कही)
- देश का हर एक स्वस्थ चित्त व्यक्ति यह कहेगा कि पिछले दो वर्षों में राजनीति को धर्म के साथ मिला दिया गया था। (किसी सदस्य ने कहा किसके द्वारा) आपके द्वारा। क्या रथ यात्रा एक धार्मिक यात्रा थी। इसमें बहुत सारे संकेतों के साथ भारतीय जनता पार्टी का झंडा था। BJP ने ही धर्म और राजनीति का घालमेल किया था।
पीएम सईद का भाषण खत्म होने के बाद सभापति ने बिहार के रोसड़ा के तत्कालीन सांसद रामविलास पासवान को विधेयक पर बहस के लिए पुकारा। पासवान ने विधेयक के समर्थन में अपनी बात रखनी शुरू की…
रामविलास पासवान के भाषण की हाइलाइट्स
- धर्मनिरपेक्षता, सामाजिक न्याय, पॉवर टु पुअर देश की रीढ़ है। हमने पहले भी मांग की थी कि 15 अगस्त 1947 को आप एक रेखा खींचें, जिसके मुताबिक मंदिर-मस्जिद के जो भी विवाद हैं उनको सदा के लिए खत्म किया जाना चाहिए।
- महाभारत में एक जगह गीता में कहा गया है कि जब कर्ण ने कहा कि हमारी चिता उस स्थान पर जले जहां किसी की चिता नहीं जली हो, तो उस समय कृष्ण बहुत आश्चर्य में पड़ गए और उन्हें हाथ पर जलाने की नौबत आ गई। उसी प्रकार कोई आज नहीं कह सकता कि यह जमीन क्या थी। मस्जिद थी या मंदिर या बौद्ध स्थल।
धर्मनिरपेक्षता और जरूरी मुद्दों का हवाला देते हुए रामविलास पासवान ने उपासना स्थल विधेयक का समर्थन किया था। (फाइल फोटो)
रामविलास पासवान के भाषण के बाद तीन सरकारों द्वारा तीन बाल्टिक राज्यों को मान्यता दिए जाने के बारे में स्टेटमेंट दिया गया। इसके बाद विधेयक पर दोबारा बहस शुरू हुई।
मणिशंकर अय्यर के भाषण की हाइलाइट्स
मैं जब एक मंदिर और मस्जिद को साथ-साथ देखता हूं। तब मेरे मन में एक ही भावना आती है कि यह धर्मनिरपेक्ष देश है। तकरीबन हर गांव में एक सुंदर मस्जिद के बिल्कुल निकट एक मंदिर है और हमारे हिंदू-मुसलमान भाई सहमति और प्यार से रह रहे हैं।
सोमनाथ चटर्जी के भाषण की हाइलाइट्स
हमारे देश में लोगों के अलग-अलग धर्म हैं। अलग-अलग भाषाएं हैं, अलग संस्कृतियां हैं। सभी एक साथ रहते हैं। हम इस देश की एकता को छोड़ नहीं सकते। अगर हम आज धर्म अथवा भाषा अथवा जाति के आधार पर आपस में लड़ते रहे तो हमारे देश का भविष्य अंधकारमय होगा।
इसके बाद उस वक्त के संसदीय कार्यमंत्री गुलाम नबी आजाद ने विधेयक का समर्थन करने वालों को धन्यवाद देते हुए कुछ बातें कहीं। कुछ और वक्ताओं के बोलने के बाद लोकसभा की कार्यवाही अगले दिन के लिए स्थगित कर दी गई।
द प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट फिलहाल चर्चा में क्यों?
हाल ही में वाराणसी की एक सिविल कोर्ट ने ज्ञानवापी मस्जिद परिसर का सर्वे करने का आदेश दिया। इसके खिलाफ अंजुमन इंतेजामिया प्रबंध समिति ने सुप्रीम कोर्ट में एक अपील दायर करके कहा है कि ज्ञानवापी परिसर का सर्वे कराने वाला वाराणसी सिविल कोर्ट का आदेश स्पष्ट रूप से द प्लेसेज ऑफ वर्शिप (स्पेशल प्रोविजंस) एक्ट 1991 का उल्लंघन है।
इसके बाद ज्ञानवापी विवाद की पूरी बहस इसी कानून के इर्द-गिर्द टिकी हुई है। सुप्रीम कोर्ट 20 मई, यानी आज दोपहर 3 बजे इस मामले में सुनवाई करेगा। तब तक सिविल कोर्ट से कोई एक्शन लेने से मना किया गया है।