कांग्रेस को नए सिरे से खड़ा करने के लिए उदयपुर में चिंतन शिविर के फैसलों के तीन दिन बाद ही पार्टी में विवाद शुरू हो गया है। जिस वागड़ में राहुल गांधी से लेकर कांग्रेस के दिग्गज नेताओं ने चिंतन किया, वहां राज्यसभा चुनाव से पहले कांग्रेस नेताओं के बीच अंदरूनी झगड़ा अब खुलकर सामने आ गया है। जनजाति बाहुल्य जिलों के कांग्रेस विधायकों और नेताओं ने खुलकर नाराजगी जतानी शुरू कर दी है। विवाद भी उस इलाके में हो रहा है, जहां चिंतन शिविर हुआ और राहुल गांधी की सभा हुई।
झगड़े की असली जड़ आदिवासी बनाम गैर-आदिवासी के वर्चस्व से जुड़ी है। आदिवासी विधायक अब गैर-आदिवासी नेताओं के वर्चस्व से नाराज हैं। कांग्रेस विधायक गणेश घोघरा और रामलाल मीणा इस मुद्दे पर खुलकर विरोध में आ चुके हैं। गणेश घोघरा के नाराज होकर इस्तीफा देने के पीछे इसी वर्चस्व की लड़ाई को कारण बताया जा रहा है। राजनीतिक जानकारों के मुताबिक कांग्रेस में आदिवासी इलाके से राज्यसभा उम्मीदवार बनाए जाने को लेकर भी झगड़ा है। कांग्रेस के आदिवासी नेता राज्यसभा के लिए दावेदारी कर रहे हैं।
बीजेपी के अभी भी दो राज्यसभा सांसद, कांग्रेस का एक भी नहीं
आदिवासी कांग्रेस का परंपरागत वोट बैंक माना जाता है। डूंगरपुर, बांसवाड़ा, प्रतापगढ़ और उदयपुर जिलों से पिछले 36 साल में किसी आदिवासी को कांग्रेस ने राज्यसभा नहीं भेजा। वर्ष 1980 में कांग्रेस ने खेरवाड़ा के धुलेश्वर मीणा को राज्यसभा सांसद बनाया था। तब से अब तक आदिवासी बेल्ट से कांग्रेस से कोई आदिवासी नेता राज्यसभा सांसद नहीं बना। इसके ठीक उलट बीजेपी में मौजूदा समय में वागड़ क्षेत्र से दो राज्यसभा सांसद हैं। पूर्व मंत्री और आदिवासी नेता कनकमल कटारा बीजेपी से राज्यसभा सांसद हैं। वहीं, डूंगरपुर के पूर्व राजपरिवार के सदस्य हर्षवर्धन सिंह भी बीजेपी के राज्यसभा सांसद हैं। कांग्रेस के आदिवासी नेता अब बीजेपी से तुलना कर राज्यसभा में भागीदारी मांग रहे हैं।
गुजरात-एमपी-राजस्थान में 70 से ज्यादा सीटों पर वर्चस्व
राजस्थान के आदिवासी बहुल इलाके की सियासत का प्रभाव गुजरात और मध्यप्रदेश पर भी पड़ता है। वागड़ से सटे मध्यप्रदेश और गुजरात के आदिवासी बहुल इलाकों में 70 से ज्यादा सीटों पर आदिवासियों का वर्चस्व है। तीन राज्यों के ट्राइबल सब प्लान ( टीएसपी) इलाके में गुजरात में 25, मध्यप्रदेश में 28 और राजस्थान में 18 सीटें हैं। तीनों राज्यों की इन 70 सीटों पर फिलहाल कांग्रेस से एक भी आदिवासी नेता राज्यसभा सांसद नहीं है। आदिवासी नेता अब एक सीट राज्यसभा की चाहते हैं। कांग्रेस से जुड़े आदिवासी नेता इसके लिए लॉबिंग भी कर रहे हैं। अपनी बात कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं तक पहुंचाई भी है।