पाकिस्तान में एक बार फिर बड़ा उलटफेर हो सकता है। पेट्रोलियम कीमतों को बढ़ाने का साहसिक फैसला होगा, जिसकी दूर-दूर तक उम्मीद नहीं दिखती। पिछले महीने ही प्रधानमंत्री बने शहबाज शरीफ संसद को भंग करने का फैसला ले सकते हैं।
आर्थिक संकट में जकड़े पाकिस्तान के लिए नए प्रधानमंत्री अगले चुनाव में खुद और अपनी पार्टी पाकिस्तान मुस्लिम लीग (नवाज) की छवि को बचाने के लिहाज से सरकार में शामिल गठबंधन के प्रमुख नेताओं से अलग-अलग मुलाकात कर किसी एक फैसले तक पहुंचने की कोशिश में हैं।
शहबाज शरीफ पेट्रोल की कीमतें बढ़ाकर अवाम को नाराज करने की जगह चुनाव में उतरने की तैयारी कर रहे हैं।
पीएम शहबाज ने पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी प्रमुख आसिफ अली जरदारी, जमात उलेमा-ए-इस्लाम के प्रमुख मौलाना फजल-उर-रहमान और मुत्ताहिदा कौमी मूवमेंट (MQM) के संयोजक खालिद मकबूल सिद्दीकी से इस्लामाबाद में अलग-अलग बैठक की। महंगाई और आर्थिक अस्थिरता को बैठक का मुद्दा बताया जा रहा है, हालांकि एक बात साफ तौर पर निकल कर आ रही है कि बढ़ते आर्थिक और राजनीतिक दबाव के मद्देनजर पीएम शहबाज अपने मंत्रिमंडल को भंग कर सकते हैं।
सरकार के पास चुनाव अंतिम विकल्प
आर्थिक अस्थिरता के कारण डेढ़ महीने के अंदर दूसरी बार पाकिस्तान बुरी तरह राजनीतिक अस्थिरता के चंगुल में है। सबसे बड़ा संकट अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) की शर्तों के मुताबिक पेट्रोलियम की कीमतें बढ़ाने के निर्णय को लेकर है। कीमत बढ़ाने से जनता में आक्रोश तय है, जिसका नुकसान सत्तारूढ़ गठबंधन को होना भी तय है।
जिस नई कैबिनेट को अधिकतम 16 महीने तक देश पर शासन कर चुनाव में उतरना था, वह 40 दिनों में ही चुनाव को अंतिम विकल्प मान रही है। पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ के अनुसार, किसी भी फैसले के लिए पीएम राष्ट्र को संबोधित करेंगे और आम अवाम को विश्वास में लेकर ही कुछ करेंगे। इधर, शहबाज सरकार ने अब लग्जरी सामान के आयात पर रोक लगा दी है।
IMF ने इमरान सरकार के दौर में सभी तरह की सब्सिडी खत्म करने को कहा था।
सेना की मदद के बिना कठोर निर्णय लेना असंभव
वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक विश्लेषक नजम शेट्टी कहते हैं- सेना के समर्थन के बिना गठबंधन सरकार के लिए पेट्रोलियम की कीमतों में वृद्धि या इंटरनेशनल मॉनेट्री फंड (IMF) से आर्थिक मदद मांगने जैसा साहसिक कदम उठाना असंभव है। अब तक सेना ने सरकार को ऐसा कोई समर्थन नहीं दिया है, हालांकि जुलाई तक नए सिरे से चुनाव का संदेश जरूर आ चुका है।
संसद को भंग करने का फैसला ले सकते हैं शहबाज
इस हालत में अपनी छवि बचाने के लिए शहबाज संसद को भंग करने का फैसला ज्यादा आसानी से ले सकते हैं। सच यह भी है कि शहबाज के प्रयासों के बावजूद चीन, सऊदी अरब, UAE, अमेरिका जैसे मित्र देश भी पाकिस्तान के लिए सहायता राशि की घोषणा नहीं कर रहे हैं।
पेट्रोलियम लेवी में राहत के कारण राजस्व का हाल बुरा
पाकिस्तान की आर्थिक अस्थिरता में पेट्रोलियम लेवी बड़ी वजह है। 2.56 लाख करोड़ रुपए के अनुमानित नॉन-टैक्स रेवेन्यू के मुकाबले पेट्रोलियम लेवी में राहत के कारण सरकार केवल 426.8 करोड़ रुपए ही हासिल कर सकती है। इसके साथ ही, साल के अंत तक इन्फ्लेशन 15% को पार कर सकता है। खाद्य कीमतों में और वृद्धि होने की आशंका भी साफ दिख रही है।
जिस एकता से इमरान को हटाया, वो हालत अब नहीं
राजनीतिक विश्लेषक उस्मान खान ने कहा- इमरान की पिछली सरकार पाकिस्तान को बिगड़ती आर्थिक स्थिति में छोड़ गई है। इमरान को हटाने के लिए जिन दलों ने एकता दिखाई, वह गठबंधन सरकार बनाने के बाद देश की आर्थिक हालत सुधारने के लिए एक साथ रहकर जरूरी फैसले नहीं ले सकी। गठबंधन के प्रमुख सहयोगियों के बीच इस समय गहरा मतभेद है।