नेशनल मेडिकल कमीशन (एनएमसी) ने कम्प्लसरी रोटेटिंग मेडिकल इंटर्नशिप (सीआरएमआई) रेग्युलेशंस-2021 के एफएक्यू जारी कर दिए हैं। ये एफएक्यू मेडिकल स्टूडेंट्स के संशय को दूर करने के लिए जारी किए गए हैं। रेग्युलेशंस में किए गए प्रावधान के अनुसार, अब मेडिकल स्टूडेंट्स इंटर्नशिप के लिए कॉलेज नहीं बदल पाएंगे। जिस कॉलेज से छात्र ने एमबीबीएस की पढ़ाई को पूरी की है, वहीं से उसे इंटर्नशिप भी करनी होगी।
लिस्टेड कॉलेज से एमबीबीएस करने वाले छात्र ही इंटर्नशिप करेंगे
अंडर ग्रेजुएट मेडिकल एजुकेशन बोर्ड के सेक्शन 35 के तहत लिस्टेड कॉलेज से एमबीबीएस करने वाले छात्र ही इंटर्नशिप कर पाएंगे। मेडिकल कॉलेजों में सीआरएमआई को लागू करवाने की जिम्मेदारी डीन/प्रिंसिपल/डायरेक्टर या फिर समकक्ष योग्यता रखने वाले अधिकारी की होगी।
विशेष परिस्थितियों में बढ़ेगा इंटरर्नशिप का टाइम
इंटर्नशिप की टाइम लिमिट 12 माह की रहेगी। कुछ विशेष परिस्थितियों में ही इंटर्नशिप का टाइम बढ़ाया जा सकता है। इसमें कम उपस्थिति के साथ प्राकृतिक आपदाओं की स्थिति शामिल है। इंटर्नशिप के दौरान छात्रों को साधारण अवकाश के रूप में 15 दिन मिलेंगे।
लड़कियों को मेटरनिटी लीव, संंबंधित राज्य सरकार के नियमों के अनुसार मिलेगा। पैटरनिटी लीव लगातार दो सप्ताह या फिर अलग-अलग अंतराल में एक-एक सप्ताह की दी जाएगी। मेडिकल लीव साधारण अवकाश के 15 दिनों में ही शामिल होगी।
मेंटर की योग्यता पोस्ट ग्रेजुएशन रहेगी
मेडिकल कॉलेजों के प्रोफेसर और हेड ऑफ डिपार्टमेंट इंटर्न के लिए मेंटर नियुक्त करेंगे। इन मेंटर्स की योग्यता पोस्ट ग्रेजुएशन रहेगी। स्टाइपेंड की राशि संबंधित संस्थान तय करेंगे और ये 12 माह तक मिलेगा। सीआरएमआई, 18 नवंबर 2021 के बाद से इंटर्नशिप कर रहे मेडिकल ग्रेजुएट्स पर लागू किए जाएंगे। इसे लागू करना जरूरी होगा।
प्रैक्टिस के हिसाब से मेडिकल ट्रेनिंग खास
इंटर्नशिप मेडिकल स्टूडेंट्स के कॅरिअर को देखते हुए काफी महत्वपूर्ण है। इसमें उन्हें क्लिनिकल अनुभव के साथ सीनियर डाॅक्टर्स का मार्गदर्शन मिलता है। वहीं क्वालिटी इंटर्नशिप के बाद छात्र बेहतर तरीके से प्रैक्टिस भी कर सकते हैं।
विदेश से पढ़ने वाले छात्रों को मिलेंगे नए मेडिकल कॉलेज
जो छात्र विदेश से एमबीबीएस करके लौटे हैं, वे एफएमजीई पास करके इंटर्नशिप कर सकते हैं। उन्हें प्राथमिकता के आधार पर नए मेडिकल कॉलेज दिए जाएंगे। कॉलेज की 7.5% सीटों पर ये इंटर्नशिप करेंगे। काउंसलिंग व सीट अलोकेशन प्रोसेस से मेरिट के आधार पर भी कॉलेज दिया जा सकता है।
पास आउट स्टूडेंट्स के लिए रहेगी समय सीमा समान
रेग्युलेशंस में स्पष्ट किया गया है कि एमबीबीएस करने के बाद मेडिकल ग्रेजुएट्स को अधिकतम दो साल में इंटर्नशिप पूरी करनी होगी। फॉरेन मेडिकल ग्रेजुएट एग्जामिनेशन पास करने वालों पर भी यही नियम लागू होगा। नेक्स्ट लागू होने के बाद इसके पास आउट स्टूडेंट्स के लिए भी यही टाइम लिमिट रहेगी। वहीं कम से कम टाइम लिमिट एक साल ही रहेगी।