मार्च का महीना शुरू हुआ तो हल्की-हल्की ठंड बाकी थी, लेकिन होली के आसपास पारा अचानक आसमान चढ़ने लगा। बीते मार्च में इतनी ज्यादा गर्मी पड़ी है कि 121 साल का रिकॉर्ड टूट गया है। भारत में जब से मौसम का हिसाब-किताब रखा जा रहा है तब से ही मार्च महीने में इतनी गर्मी कभी नहीं पड़ी।
उत्तर भारत के राज्यों राजस्थान, हरियाणा, दिल्ली के अलावा मध्य प्रदेश, आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में भी गर्मी की तपिश महसूस की गई है। चौंकाने वाली बात ये है कि समुद्र तटीय इलाकों और हिमाचल की तलहटी वाले क्षेत्रों में भी तापमान औसत से काफी ज्यादा बना हुआ है।
हमने मौसम विभाग के सीनियर साइंटिस्ट आरके जेनामनि और स्काईमेट के वेदर एक्सपर्ट महेश पलावत से तपती गर्मी को लेकर बात की है। उनका कहना है कि मार्च में इतना तापमान बढ़ना सामान्य घटना नहीं है। मार्च में इतना ड्राई मौसम रहना बहुत ही अजीब है। हमने एक्सपर्ट से इस असामान्य गर्मी के कारण और भविष्य के अनुमानों को समझा है।
भारतीय मौसम विभाग (IMD) ने भी पुष्टि की है कि 1901 के बाद अब तक मार्च के महीने में इतना तापमान देखने को नहीं मिला। मार्च 2022 में देश का अधिकतम औसत तापमान 33.10 डिग्री सेल्सियस रजिस्टर किया गया है। वहीं इसके पहले मार्च 2010 में अधिकतम औसत तापमान 33.09 डिग्री सेल्सियस था।
मौसम से जुड़ी जानकारी देने वाली संस्था स्काईमेट के वाइस प्रेसिडेंट महेश पलावत कहते हैं, “दिल्ली के लिए ये अब तक का चौथा सबसे गर्म मार्च का महीना रहा है। पिछले 10 सालों में न्यूनतम तापमान का औसत वो भी दिल्ली में सबसे ज्यादा 17.6 रहा है, ये भी एक्सट्रीम वेदर कंडीशन दिखाता है।’
मौसम विभाग के सीनियर साइंटिस्ट आरके जेनामनि बताते हैं, “सामान्य तापमान से जब अधिकतम तापमान 6.5 डिग्री सेल्सियस से ज्यादा हो जाता है तो उसे सीवियर हीट वेव माना जाता है। वहीं जब ये 4.5 डिग्री सेल्सियस से ज्यादा होता वो हीट वेव की कैटेगरी में आता है।
एक दिन पहले ही हमने राजस्थान, दिल्ली, दक्षिण हरियाणा में तापमान 42-43 डिग्री सेल्सियस रिकॉर्ड किया है। जबकि इन क्षेत्रों का आमतौर पर तापमान 36-37 डिग्री रहता है। साफ है कि इन इलाकों में सीवियर हीट वेव चल रही है और ये ऐतिहासिक भी है।”
तपती धरती के पीछे क्या हैं वजहें?
स्काइमेट के महेश पलावत मानते हैं कि आमतौर पर वेस्टर्न डिस्टरबैंस (पश्चिमी विक्षोभ- पश्चिम से आने वाली हवाएं) की वजह से मार्च के मौसम में थोड़ी नमी देखने को मिलती है, लेकिन इस बार पाकिस्तान की तरफ से आने वाली हवाएं एकदम शुष्क (सूखी) रहीं। इस वजह से राजस्थान, गुजरात, हरियाणा में तापमान खासा बढ़ा है। इस गर्मी के पीछे अल-निनो या ला-निनो का कोई खास असर नहीं है।
IMD के सीनियर साइंटिस्ट आरके जेनामन कहते हैं कि ‘पाकिस्तान की तरफ से आने वाली हवाएं राजस्थान के रेगिस्तान से होकर गुजरीं तो वो पूरी तरह से शुष्क हो गईं और ये सूखी हवाएं जब आगे बढ़ीं तो उसकी वजह से तापमान सामान्य से काफी ऊपर चला गया। इस तरह की घटना कई सालों में देखने को मिलती है।
हमने एक्सपर्ट्स से पूछा कि क्या इस साल गर्मी बढ़ने के पीछे क्लाइमेट चेंज और ग्लोबल वॉर्मिंग का भी हाथ हो सकता है? इस पर महेश पलावत का कहना है कि ‘हमने देखा है कि धरती का तापमान पिछले सालों में लगातार बढ़ा है और क्लाइमेट चेंज की वजह से धरती लगातार गर्म हो रही है, इसमें कोई दो राय नहीं है। लेकिन मार्च महीने में इतना तापमान बढ़ने के पीछे क्लाइमेट चेंज है, ऐसा नहीं कहा जा सकता।’
वहीं मौसम विभाग के साइंटिस्ट जेनामनी ने बताया, “मार्च महीने में असामान्य गर्मी पड़ने के पीछे क्लाइमेट चेंज का कितना रोल है, इस पर हम डेटा स्टडी करेंगे।”
किन इलाकों में गर्मी का सबसे ज्यादा असर?
राजस्थान, मध्य प्रदेश, गुजरात, महाराष्ट्र, दिल्ली जैसे राज्यों में हीट वेव का सबसे ज्यादा असर रहा है। इन राज्यों में मार्च महीने में सामान्य से काफी ज्यादा तापमान दर्ज किया गया है। मौसम विभाग ने 4 अप्रैल को बताया है कि पश्चिमी राजस्थान, उत्तर पूर्वी मध्य प्रदेश, विदर्भ, उत्तरी गुजरात और मराठवाड़ा में तापमान 41-43 डिग्री सेल्सियस के बीच बना हुआ है।
एमपी के बाकी हिस्से, यूपी, गुजरात, हरियाणा, दिल्ली, झारखंड, उड़ीसा, तेलंगाना में तापमान 40-42 डिग्री सेल्सियस रिकॉर्ड किया गया है। जम्मू और हिमाचल के कई इलाकों में तापमान सामान्य से 6-8 डिग्री सेल्सियस ऊपर चल रहा है।
अप्रैल के लिए क्या है अनुमान?
स्काईमेट का अनुमान है कि आने वाले 10-15 दिनों में भी इसी तरह की जोरदार गर्मी पड़ती रहेगी क्योंकि मौसम में ज्यादा बदलाव के संकेत नहीं दिख रहे हैं। वहीं] मौसम विभाग के वैज्ञानिकों का भी अनुमान है कि 15 अप्रैल तक गर्मी का आलम ज्यों का त्यों रहेगा। अगले 2 हफ्ते तक बारिश होने की कोई संभावना नजर नहीं आ रही है और गर्मी लगातार बढ़ने का अनुमान बरकरार है।
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