यूक्रेन और रूस के बीच जारी युद्ध में बच्चों की शिक्षा के अरमान भी कुचले जा रहे हैं। न जाने कितने बच्चों की शिक्षा पर खतरा मंडरा रहा है। हाल ही में रूस की सेना ने खार्किव के तीन स्कूल इस शक में तबाह कर दिए कि उनमें यूक्रेन के सैनिक छिपे हो सकते हैं, जबकि स्कूलों में सैनिक नहीं थे।
बाल अधिकारों और बाल शोषण की सुरक्षा के लिए काम कर रही संस्था सेव द चिल्ड्रन के मुताबिक 26 फरवरी तक यूक्रेन के संघर्ष में तीन बच्चों की भी मौत हुई। इससे पता चलता है कि कोई भी युद्ध बच्चों के खिलाफ युद्ध है। अब भी यह डर सता रहा है कि अगर लड़ाई तुरंत समाप्त नहीं हुई तो और अधिक मासूम बच्चों की जान जा सकती है। हो सकता है कि इन छोटे बच्चों को युद्ध क्या है, यह तक पता न हो।
रूस के हमले के दौरान यूक्रेन के कम से कम 16 बच्चों के मारे जाने का दावा किया जा रहा है। यूएन सिक्योरिटी काउंसिल (UNSC) में यूक्रेन के राजदूत सर्गेई किस्लित्सिया ने बताया कि कम से कम साढ़े तीन लाख स्कूली बच्चे युद्ध के कारण स्कूल नहीं जा पा रहे हैं।
ह्यूमन राइट्स वॉच (HRW) की एक रिपोर्ट के अनुसार पहले भी यूक्रेन में युद्ध के दौरान सैकड़ों स्कूल नष्ट हुए थे। जिनमें से कई का इस्तेमाल दोनों पक्षों द्वारा सैन्य उद्देश्यों के लिए किया गया था।
17 फरवरी को यूक्रेन के स्टैनित्सिया लुहांस्का की बस्ती में एक किंडरगार्टेन (छोटे बच्चों के स्कूल) पर कथित गोलाबारी हुई। स्कूल के मलबे के बीच खड़ी एक महिला।
हजारों यूक्रेनी बच्चे अपने आसपास हो रही बम और गोलीबारी के कारण भयानक रूप से डरे हुए हैं।
28 फरवरी, 2022 को यूक्रेन के खार्किव शहर के पास एक स्कूल नष्ट हो गया।
बच्चों के अधिकारों के लिए काम करने वाली कई संस्थाओं ने रूस से हमले के दौरान यूक्रेन के स्कूलों और अस्पतालों पर हथियारों का इस्तेमाल न करने के लिए कहा है।
युद्ध के दौरान यूक्रेन में बच्चों ने कई स्कूलों का ही आसरा लिया हुआ है।
जैसे ही किसी धमाके की आवाज आती है, बच्चे डर के कारण कांपने लगते हैं।