कोटा में चंबल नदी में गिरी कार के इलेक्ट्रॉनिक सिस्टम फेल हो गए थे। ऐसे में कार के गेट लॉक हो गए थे। ड्राइवर कांच तोड़कर बाहर निकला, लेकिन बच नहीं सका। बताया जा रहा है कि हादसे की एक वजह टूटी सड़क और खराब रोड इंजीनियरिंग भी है। पुलिया पर न रेलिंग बनी हुई है और न ही स्ट्रीट लाइट है। जगह-जगह बने बंप के कारण गाड़ी अनियंत्रित होकर नदी में गिरने की आशंका रहती है। एक दिन पहले रविवार को हुए हादसे में दूल्हे सहित 9 बारातियों की मौत हो गई थी।
गाड़ी में ही थे 7 शव
गोताखोर विष्णु श्रृंगी ने बताया कि पानी में जाने के साथ ही कार के इलेक्ट्रॉनिक सिस्टम फेल हो गए थे। कार के दरवाजे लॉक हो गए थे। कार सवार लोगों ने बचने की पूरी कोशिश की, लेकिन बाहर नहीं निकल सके थे। ड्राइवर ने भी बाहर निकलने के लिए काफी मशक्कत की। क्योंकि ड्राइवर साइड का गेट का शीशा टूटा हुआ था। कार में सात लोग ही थे। ड्राइवर की लाश कार से बाहर मिली थी। जैसे-तैसे निकलने की कोशिश की होगी, लेकिन वह सफल नहीं हो सका।
क्रेन की मदद से रस्सी बांधकर कार को बाहर निकाला गया तो उसमें लाशें थी। कार में सवार 7 लोग तो बाहर ही नहीं निकल पाए थे।
कार पानी के करीब डेढ़ फीट नीचे थी
विष्णु श्रृंगी ने बताया घटना सुबह पांच, साढ़े पांच बजे की बताई जा रही है। पुलिस कंट्रोल रूम से अग्निशमन के कंट्रोल रूम पर आठ बजकर नौ मिनट पर हादसे की जानकारी मिली थी। आठ बजकर दस मिनट पर मेरे पास जानकारी आई थी। उसके बाद हम तुरंत एक्टिव हुए। टीम और उपकरण लेकर मौके के लिए रवाना हो गए थे। बीस मिनट में हम मौके पर पहुंच कर रेस्क्यू शुरू कर चुके थे। कार पानी के करीब डेढ़ फीट नीचे थी। हमने नीचे पहुंचकर देखा तो अंदर लोग थे।
कार का दरवाजा खोलने की कोशिश की, लेकिन वह जाम थे। ड्राइवर साइड का कांच टूटा था। ये तो साफ था कि लोग बचे नहीं हैं। हमने कार को क्रेन की मदद से बाहर निकाला, इसमें सात लोग थे। ड्राइवर साइड का कांच टूटा हुआ था ऐसे में मुझे लगा कि कार में और भी लोग होंगे। जो नदी में डूबे होंगे। ऐसे में हमने हादसे वाली जगह के पास ही तलाश शुरू की। दो और लाश निकली। साढ़े आठ बजे शुरू हुआ रेस्क्यू ग्यारह बजे तक चला था।
अस्पताल में लाशों की कतार लग गई। परिवार पर दुख का पहाड़ टूट पड़ा।
मैं नाव में था, कार देखी तो डर गया
कुन्हाड़ी इलाके में ही रहने वाले धन्ना लाल कश्यप चंबल में मछली पकड़ने का काम करता है। सुबह वह भी रोज की तरह मछली पकड़ने चंबल में नाव से उतरा था। धन्ना लाल ने बताया कि सुबह 6 बजे मैंने कार को देखा था। पुलिया के पास मछली पकड़ने नाव लेकर गया तो सफेद चीज पर नजर पड़ी। पास जाकर देखा तो वह कार थी। उसका आगे का हिस्सा नदी की तलहटी की और था। पिछले हिस्सा ऊपर की तरफ था। शक तो हो गया था कि कोई बड़ा हादसा हुआ है।
जिस जगह कार गिरी वो जगह गहरी थी। इतने में पुलिया पर तीन चार लोग भी आ गए थे। उन्होंने कार देखी तो दूसरे लोगों को जानकारी दी। इसके बाद यहां लोगों का आना शुरू हो गया। इसी दौरान पुलिया पर ही मौजूद किसी ने पुलिस को जानकारी दी। जिसके बाद पुलिस आई। उसके बाद तो सारे अधिकारी आ गए थे।
सुबह नांव में सवार होकर चंबल में मछली पकड़ने गए थे लोग। इस दौरान नदी में कार नजर आई तो लगा बड़ा हादसा हुआ है।
हर बार बारिश में पुलिया क्षतिग्रस्त हो जाती है
हादसे के पीछे की वजह क्या रही इसके बारे में पुलिस भी पुख्ता तौर पर कुछ नहीं कह पा रही है। इस छोटी पुलिया पर स्ट्रीट लाइट तक नहीं है। पुलिया के दोनों तरफ रेलिंग नहीं है। ये पुलिया काफी नीची है, लेकिन इसके बाद भी आज तक यहां रेलिंग नहीं बनाई गई है। हर बार बारिश में पुलिया क्षतिग्रस्त हो जाती है। बाद में इस पर डामर रोड बनाया गया। उसे इस तरह से बनाया गया है कि हमेशा हादसों का डर रहता है।
पुलिया पर जगह जगह बंप है। ऐसे में थोड़ी भी रफ्तार में गाड़ी हो तो उनके अनियंत्रित होकर सीधा चंबल नदी में जाने का खतरा रहता है। कार चालक इस रूट से अनजान था। ऐसे में ये भी माना जा रहा है कि बंप पर उछलकर गाड़ी अनियंत्रित हुई हो और पानी में जा गिरी। हादसे की वजह प्रारंभिक तौर पर पुलिस कुछ नहीं बता पा रही है।
क्रेन की मदद से कार को बाहर निकाला गया।
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